पश्चिम चंपारण (बेतिया): बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के चनपटिया प्रखंड के चूहड़ी में एक ग्रिल गेट बनाने वाले मिस्त्री ने बाइक के इंजन से 4 सीट की मिनी क्लासिक जीप (Mini Jeep Made From Bike Engine In Bettiah) बनाई है. इस 4 सीटर मिनी क्लासिक जीप का लुक देखकर हर कोई दंग है. क्लासिक जीप को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आ रहे हैं. यह गाड़ी जिले में चर्चा का विषय बनी हुई है कि आखिर बाइक के इंजन से कैसे 4 सीटर मिनी क्लासिक जीप तैयार हो गई. वह भी 1 लीटर में 30 किलोमीटर चलने वाली.
4 सीटर मिनी क्लासिक जीप: दरअसल ग्रेट ग्रिल का काम करने वाले मिस्त्री लोहा सिंह को लॉकडाउन के दौरान घर पर बैठना पड़ा था. तब उन्होंने कुछ करने की सोची. एक दिन उन्होंने यूट्यूब पर देखा कि क्लासिक जीप कैसे बनती है. फिर उसके मन में ख्याल आया कि क्यों ना ऐसी जीप बनाई जाए, जो सरपट पतली गलियों में भी जा सके. लोहा सिंह ने फिर काम करना शुरू किया. जरूरत पड़ने पर यूट्यूब का भी सहारा लिया और करीब 40 से 50 दिनों की मेहनत के बाद बाइक के इंजन से 4 सीटर मिनी क्लासिक जीप बना डाली.
1 लीटर में 30 किमी का माइलेज: मिनी क्लासिक जीप को देख सभी आश्चर्यचकित हैं. करीब 5 क्विंटल वजन की जीप पर ड्राइवर सहित चार लोग सवार होकर कहीं भी जा सकते हैं. इस जीप से 10 क्विंटल का वजन ले जाया जा सकता है. लोहा सिंह ने बताया कि जीप में सीबीजेड बाइक का 150 सीसी इंजन लगा है. जबकि टेंपो का गियर बॉक्स इस्तेमाल किया गया है. सेल्फ स्टार्ट जीप से 10 क्विंटल वजन लेकर भी आसानी से जा सकता है. यह जीप 1 लीटर पेट्रोल में 30 किलोमीटर (30 KM Mileage in One Liter Patrol) दूरी तय कर सकती है.
जीप की खासियत : क्लासिक जीप में पावर टीलर के पहिया लगाने के कारण जीप ऊबड़-खाबड़, कीचड़ या खेतों के रास्ते में भी कहीं भी दौड़ सकती है. यह जीप बैक गियर सहित कुल 6 गियर वाली गाड़ी है. मिनी क्लासिक जीप 60 से 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चार सवारी और 100 क्विंटल वजन लेकर दौड़ सकती है. एक बार स्टार्ट होने पर 150 से 200 किलोमीटर की यात्रा आसानी से की जा सकती है. जीप निर्माण में करीब 40 से 50 दिनों का समय और एक से डेढ़ लाख का खर्च आया है.
जीप का लुक देखकर हर कोई हैरान : इस मिनी क्लासिक जीप का लुक देखकर लोग दंग हैं. लोहा सिंह ने बताया कि जीप को कहीं भी लेकर जाया जा सकता है. जब जीप लेकर सड़कों पर निकलते हैं तो देखने वालों की भीड़ लग जाती है. लोग तारीफ किए बिना नहीं रहते. दुकान की सामग्री इस जीप से ढोई जाती है. आकार में छोटी होने के कारण जीप पतली गलियों में भी तेजी से निकलती है.
लोहा सिंह को मदद की दरकार: जीप खरीदने के लिए कई ग्राहक आए, लेकिन पहली जीप होने के कारण लोहा सिंह ने इसे नहीं बेचा. अब लोहा सिंह की जीप की मांग मार्केट में होने लगी है. जीप का निर्माण कर अब लोगों को बेचने का भी मन लोहा सिंह ने बनाया हैं लेकिन पूंजी के अभाव में वह नई जीप तैयार नहीं कर सकते. ऐसे में इन्हें सरकारी मदद की दरकार है, ताकि वह और भी क्लासिक जीप तैयार कर सकें और लोग भी इसका लुत्फ उठा सकें.
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