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जम्मू-कश्मीर के वेटलैंड्स में लगा प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा, पर्यटकों की चांदी

सर्दियां आते ही जम्मू कश्मीर के वेटलैंड्स पक्षियों से गुलजार होने लगे हैं. यहां यूरोपीय और पश्चिमी देशों के प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है. ईटीवी भारत ने जम्मू कश्मीर के वन्यजीव प्रतिपालक से बातचीत की और इन पक्षियों के बारे में जानकारी हासिल की. Migratory birds, Migratory birds in Jammu kashmir, wetlands of Jammu and Kashmir.

Bird camp in Jammu and Kashmir
जम्मू-कश्मीर में पक्षियों का डेरा
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 14, 2023, 3:41 PM IST

जम्मू-कश्मीर में प्रवासी पक्षियों का डेरा

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में सर्दियों के आगमन के साथ ही जहां विभिन्न देशों से पर्यटक यहां की सुंदरता का आनंद लेने आते हैं, वहीं यूरोपीय और पश्चिमी देशों से प्रवासी पक्षी भी लंबी दूरी तय करके घाटी में पहुंचते हैं. ये पक्षी कश्मीर को अपना अस्थायी ठिकाना बनाने के लिए यहां आते हैं.

घाटी के जल निकाय इन मेहमान पक्षियों से गुलजार हो जाते हैं और पर्यटकों व स्थानीय लोगों को एक सुंदर दृश्य भी प्रदान करते हैं. सैकड़ों वर्षों से ये पक्षी ऐसे ही यात्रा करते चले आ रहे हैं. इस वर्ष भी कश्मीर घाटी में प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है और आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक लगभग 20,000 पक्षी जम्मू-कश्मीर के आर्द्रभूमि में डेरा डाले हुए हैं, जिनमें से 5,000 श्रीनगर के होकरसर में हैं.

इस संबंध में वन्यजीव प्रतिपालक (वेटलैंड्स) इफशान दीवान ने ईटीवी भारत को बताया कि 'प्रवासी पक्षियों के आगमन में कोई देरी नहीं हुई है. वे धीरे-धीरे और समूहों में यहां आ रहे हैं. इस साल फरवरी के अंत में जब गणना होगी तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि यहां कितने पक्षी आए हैं. इसके अलावा यह भी पता चलेगा कि घाटी में कितने नए पक्षी आए हैं.'

उन्होंने आगे कहा कि 'पिछले साल कश्मीर घाटी में 12 लाख से अधिक प्रवासी पक्षी आए थे, जिनमें से कई पहली बार यहां आए थे. इन पक्षियों को उपयुक्त आवास प्रदान करने के लिए, हमारे विभाग ने आर्द्रभूमि में जल स्तर बनाए रखने के लिए कई पहल की हैं. इसके अलावा इन पक्षियों के अवैध शिकार को रोकने के लिए भी टीमों का गठन किया गया है.'

उन्होंने कहा कि 'पिछले कुछ वर्षों में प्रवासी पक्षियों के अवैध शिकार में उल्लेखनीय कमी आई है, जो एक स्वागत योग्य विकास है.' गौरतलब है कि प्रवासी पक्षी होकरसर के अलावा वुलर झील, हैगाम, शालबुघ, डल झील और मिरगुंड में भी सर्दियों में करीब पांच महीने के लिए आते हैं. इस बीच भारत की आजादी के 75वें साल के मौके पर केंद्र सरकार ने कश्मीर घाटी के दो और वेटलैंड्स को रामसर साइटों की सूची में शामिल किया है.

शालबुघ (गांदरबल जिले में) और हैगाम (श्रीनगर में) को रामसर स्थल घोषित किए जाने के साथ, जम्मू और कश्मीर में ऐसे स्थलों की संख्या पांच हो गई है. इससे पहले होकरसर, सुरिंसर और वुलर झील को पहले से ही रामसर में शामिल किया गया था.

हर साल घाटी में आने वाले प्रवासी पक्षियों में टफ्टेड डक, गुडवाल, ब्राह्मणी डक, गारगेंटुआन, ग्रेलैग गूज, मल्लार्ड, कॉमन मेर्गेंसर, नॉर्दर्न पिंटेल, कॉमन पोचार्ड, फेरुगिनस पोचार्ड, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, रूडी शेल्डक, नॉर्दर्न शॉवेलर, कॉमन टील और यूरेशियन वैगटेल शामिल हैं. ये पक्षी मार्च के आखिरी सप्ताह में घाटी से लौटना शुरू कर देते हैं.

जम्मू-कश्मीर में प्रवासी पक्षियों का डेरा

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में सर्दियों के आगमन के साथ ही जहां विभिन्न देशों से पर्यटक यहां की सुंदरता का आनंद लेने आते हैं, वहीं यूरोपीय और पश्चिमी देशों से प्रवासी पक्षी भी लंबी दूरी तय करके घाटी में पहुंचते हैं. ये पक्षी कश्मीर को अपना अस्थायी ठिकाना बनाने के लिए यहां आते हैं.

घाटी के जल निकाय इन मेहमान पक्षियों से गुलजार हो जाते हैं और पर्यटकों व स्थानीय लोगों को एक सुंदर दृश्य भी प्रदान करते हैं. सैकड़ों वर्षों से ये पक्षी ऐसे ही यात्रा करते चले आ रहे हैं. इस वर्ष भी कश्मीर घाटी में प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है और आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक लगभग 20,000 पक्षी जम्मू-कश्मीर के आर्द्रभूमि में डेरा डाले हुए हैं, जिनमें से 5,000 श्रीनगर के होकरसर में हैं.

इस संबंध में वन्यजीव प्रतिपालक (वेटलैंड्स) इफशान दीवान ने ईटीवी भारत को बताया कि 'प्रवासी पक्षियों के आगमन में कोई देरी नहीं हुई है. वे धीरे-धीरे और समूहों में यहां आ रहे हैं. इस साल फरवरी के अंत में जब गणना होगी तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि यहां कितने पक्षी आए हैं. इसके अलावा यह भी पता चलेगा कि घाटी में कितने नए पक्षी आए हैं.'

उन्होंने आगे कहा कि 'पिछले साल कश्मीर घाटी में 12 लाख से अधिक प्रवासी पक्षी आए थे, जिनमें से कई पहली बार यहां आए थे. इन पक्षियों को उपयुक्त आवास प्रदान करने के लिए, हमारे विभाग ने आर्द्रभूमि में जल स्तर बनाए रखने के लिए कई पहल की हैं. इसके अलावा इन पक्षियों के अवैध शिकार को रोकने के लिए भी टीमों का गठन किया गया है.'

उन्होंने कहा कि 'पिछले कुछ वर्षों में प्रवासी पक्षियों के अवैध शिकार में उल्लेखनीय कमी आई है, जो एक स्वागत योग्य विकास है.' गौरतलब है कि प्रवासी पक्षी होकरसर के अलावा वुलर झील, हैगाम, शालबुघ, डल झील और मिरगुंड में भी सर्दियों में करीब पांच महीने के लिए आते हैं. इस बीच भारत की आजादी के 75वें साल के मौके पर केंद्र सरकार ने कश्मीर घाटी के दो और वेटलैंड्स को रामसर साइटों की सूची में शामिल किया है.

शालबुघ (गांदरबल जिले में) और हैगाम (श्रीनगर में) को रामसर स्थल घोषित किए जाने के साथ, जम्मू और कश्मीर में ऐसे स्थलों की संख्या पांच हो गई है. इससे पहले होकरसर, सुरिंसर और वुलर झील को पहले से ही रामसर में शामिल किया गया था.

हर साल घाटी में आने वाले प्रवासी पक्षियों में टफ्टेड डक, गुडवाल, ब्राह्मणी डक, गारगेंटुआन, ग्रेलैग गूज, मल्लार्ड, कॉमन मेर्गेंसर, नॉर्दर्न पिंटेल, कॉमन पोचार्ड, फेरुगिनस पोचार्ड, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, रूडी शेल्डक, नॉर्दर्न शॉवेलर, कॉमन टील और यूरेशियन वैगटेल शामिल हैं. ये पक्षी मार्च के आखिरी सप्ताह में घाटी से लौटना शुरू कर देते हैं.

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