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लॉकडाउन से आजीविका का संकट, प्रवासी मजदूर दो वक्त की रोटी को मुहताज

जम्मू-कश्मीर में कोरोना महामारी से निपटने के लिए लगाई पाबंदियों से प्रवासी मजदूरों के सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया है. दूसरे राज्यों से आए इन मजदूरों को दो वक्त की रोटी तक नसीब नहीं हो पा रही है. प्रवासी मजदूरों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

लॉकडाउन से आजीविका खत्म
लॉकडाउन से आजीविका खत्म
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Published : May 8, 2021, 7:29 AM IST

Updated : May 8, 2021, 8:35 AM IST

श्रीनगर : देश के कई राज्यों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में भी कोरोना वायरस से निपटने के लिए प्रशासन ने मार्च के महीने में सख्ती के साथ पाबंदियां लगाईं, जिससे आम लोगों की जिंदगी पर बुरा प्रभाव पड़ा है. साथ ही गरीब लोगों की मुसीबतें और बढ़ गई हैं.

प्रवासी मजदूर दो वक्त की रोटी को मुहताज

जम्मू में दूसरे राज्यों से आए कबाड़ व अन्य कार्य करने वाले प्रवासी मजदूर दो वक्त की रोटी के लिए तरस रहे हैं. उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले की रहने वाले महिला तारा खातून का कहना है कि वह पिछले छह सालों से जम्मू में ढोल-डफली बेच कर, रद्दी के कागज और कूड़ा कचरा जमा करके उसे कंपनियों में भेजते थे और अपनी आजीविका चलाते थे. लेकिन कोरोना वायरस के कारण लगाए गए लॉकडाउन से हमारे कारोबार पर बुरा असर पड़ा है, क्योंकि लोग माल खरीदने के लिए तैयार नहीं हैं.

महिला ने कहा कि उन्हें जीवन में पहली बार इस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. अब हम अपने घर भी वापस नहीं जा पा रहे हैं. मुश्किल से एक वक्त की रोटी मिलती है.

वहीं, हिम्मत अली का कहना है कि हम ढोल बेचकर बच्चों को पालते थे, लेकिन इस बार जम्मू में लॉकडाउन होने से हमारे काम पर बुरा असर पड़ा, हम घर भी वापस नहीं जा पा रहे हैं. हिम्मत अली ने सरकार से अपील की कि उनकी मदद की जाए.

श्रीनगर : देश के कई राज्यों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में भी कोरोना वायरस से निपटने के लिए प्रशासन ने मार्च के महीने में सख्ती के साथ पाबंदियां लगाईं, जिससे आम लोगों की जिंदगी पर बुरा प्रभाव पड़ा है. साथ ही गरीब लोगों की मुसीबतें और बढ़ गई हैं.

प्रवासी मजदूर दो वक्त की रोटी को मुहताज

जम्मू में दूसरे राज्यों से आए कबाड़ व अन्य कार्य करने वाले प्रवासी मजदूर दो वक्त की रोटी के लिए तरस रहे हैं. उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले की रहने वाले महिला तारा खातून का कहना है कि वह पिछले छह सालों से जम्मू में ढोल-डफली बेच कर, रद्दी के कागज और कूड़ा कचरा जमा करके उसे कंपनियों में भेजते थे और अपनी आजीविका चलाते थे. लेकिन कोरोना वायरस के कारण लगाए गए लॉकडाउन से हमारे कारोबार पर बुरा असर पड़ा है, क्योंकि लोग माल खरीदने के लिए तैयार नहीं हैं.

महिला ने कहा कि उन्हें जीवन में पहली बार इस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. अब हम अपने घर भी वापस नहीं जा पा रहे हैं. मुश्किल से एक वक्त की रोटी मिलती है.

वहीं, हिम्मत अली का कहना है कि हम ढोल बेचकर बच्चों को पालते थे, लेकिन इस बार जम्मू में लॉकडाउन होने से हमारे काम पर बुरा असर पड़ा, हम घर भी वापस नहीं जा पा रहे हैं. हिम्मत अली ने सरकार से अपील की कि उनकी मदद की जाए.

Last Updated : May 8, 2021, 8:35 AM IST
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