चेन्नई: अन्नाद्रमुक के अपदस्थ नेता ओ पन्नीरसेल्वम (ओपीएस) को मद्रास हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है. मद्रास उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने अन्नाद्रमुक जनरल काउंसिल की बैठक में पारित प्रस्तावों को चुनौती देने वाली ओ पन्नीरसेल्वम और तीन अन्य नेताओं की सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है.
न्यायमूर्ति आर महादेवन और न्यायमूर्ति मोहम्मद शफीक की पीठ ने दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला लिया. शुक्रवार को पीठ ने याचिकाओं को खारिज करते हुए अंतिम आदेश सुनाया. पीठ ने कहा कि अपीलकर्ताओं की ओर से प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनाया गया है. पिछले साल 11 जुलाई को हुई सामान्य परिषद की बैठक की वैधता के संबंध में, सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इसकी अनुमति दे दी है, इसलिए बैठक की वैधता को रद्द करने के लिए कोई अंतरिम निषेधाज्ञा नहीं दी जा सकती.
ओपीएस और उनके समर्थकों को अन्नाद्रमुक से निष्कासित करने वाले प्रस्तावों के खिलाफ दी गई चुनौतियों पर पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से प्रथम दृष्टि में कोई मामला नहीं बनाया गया है. इसलिए अपील खारिज की जा रही है. पीठ ने पार्टी के महासचिव चुनाव को चुनौती देने वाली अपील भी खारिज कर दी.
इससे पहले, ओपीएस और उनके समर्थकों ने एआईएडीएमके की सामान्य परिषद की बैठक पर प्रतिबंध लगाने के लिए मद्रास हाई कोर्ट का रुख किया था. जो पिछले साल 11 जुलाई को हुई थी. हालांकि, एमएचसी ने बैठक पर प्रतिबंध लगाने के लिए याचिका कर्ता सु्प्रीम कोर्ट भी गये थे जहां से उन्हें मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने को कहा गया था. 28 मार्च को मद्रास हाई कोर्ट के एकल न्यायाधीश ने प्रस्तावों की वैधता को चुनौती देने वाली ओपीएस गुट की दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था.
ये भी पढ़ें |
इसके बाद, ओपीएस गुट ने एमएचसी डिवीजन बेंच का रुख किया और एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देते हुए याचिकाएं दायर कीं.