श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर की पीडीपी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (former Jammu and Kashmir chief minister Mehbooba Mufti) ने गुरुवार को कहा कि तालिबान पर उनके बयान को जानबूझकर विकृत किया जा रहा है और उसका गलत तरीके से प्रयोग किया जा रहा है.
दरअसल महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को कहा था कि तालिबान को 'असली शरिया' कानून के तहत अफगानिस्तान पर शासन करना चाहिए. उन्हें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी पहले की छवि मानवता और बुनियादी अधिकारों के खिलाफ थी. महबूबा ने कहा कि अगर तालिबानी अफगानिस्तान पर शासन करना चाहते हैं, तो उन्हें वास्तविक शरिया नियमों का पालन करना चाहिए. इन टिप्पणियों के कारण मीडिया के साथ-साथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी उनकी काफी आलोचना हुई.
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वहीं इस टिप्पणी के एक दिन बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें आश्चर्य नहीं है कि शरिया पर उनके बयान को जानबूझकर तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया. उन्होंने कहा कि शरिया को कायम रखने का दावा करने वाले अधिकांश देश इसके वास्तविक मूल्यों को आत्मसात करने में विफल रहे हैं. महबूबा ने ट्विटर पर लिखा, उन्हें केवल क्या करें और क्या न करें, ड्रेस कोड आदि के जरिए महिलाओं पर प्रतिबंध लगाना आता है.
उन्होंने कहा कि असली मदीना चार्टर पुरुषों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए समान अधिकार निर्धारित करता है. महबूबा ने कहा कि इस्लामी इतिहास सशक्त महिलाओं के उदाहरणों से भरा है. हजरत खदीजा तुल कुबरा, पैगंबर एसडब्ल्यूए की पहली पत्नी एक स्वतंत्र और सफल व्यवसायी महिला थीं. उन्होंने कहा कि हजरत आयशा सिद्दीकी ने ऊंट की लड़ाई का नेतृत्व किया और 13000 सैनिकों के दल का नेतृत्व किया.
उनका कहना है कि मुसलमानों से हमेशा यह उम्मीद की जाती है कि वह साबित करें कि वे हिंसा के साथ नहीं हैं. महबूबा ने कहा कि मैं देख सकती हूं कि इस धारणा को आगे बढ़ाने के लिए मेरे बयान का इस्तेमाल किस वजह से किया जा रहा है.
(आईएएनएस)