नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण यूक्रेन में फंसे मेघालय के 36 छात्रों की सूची मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा (Meghalaya Chief Minister Conrad Sangma) ने विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला (Foreign Secretary Harsh Vardhan Shringla) को सौंपी. साथ ही सीएम संगमा ने यूक्रेन में फंसे छात्रों को तत्काल निकालने की अपील की है. इस संबंध में सीएम संगमा ने एक संदेश में कहा, 'यूक्रेन में फंसे मेघालय के छात्रों की सूची भारत के विदेश सचिव को भेजी गई है. उन्होंने हर संभव मदद का आश्वासन दिया है.'
संगमा द्वारा सौंपी गई सूची में 23 छात्राएं शामिल हैं जो संघर्षग्रस्त यूक्रेन के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ रही हैं. हालांकि, बुकोविनियन स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ रही शिलांग के लैतुमखरा की 22 वर्षीय इशिका देबनाथ रविवार को भारत लौट आई. जंग होने के कारण यूक्रेन के हालात काफी गंभीर हैं फिर मेघालय के कई छात्रों ने अपने छात्रावास में ही रहना पसंद किया जब तक कि उन्हें भारत सरकार के द्वारा खाली करने के लिए नहीं गया.
वहीं यूक्रेन के विभिन्न शहरों में स्थित विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले कुछ छात्रों ने राज्य सरकार से संपर्क के दौरान बताया कि उनकी स्थिति गंभीर है लेकिन वे अन्य भारतीय छात्रों के साथ विश्वविद्यालय में सुरक्षित हैं. इस बारे में मेघालय में सीएमओ कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि छात्र डेनिएला ने फोन पर बताया है कि वहां के हालात बेहद गंभीर हैं लेकिन वह अन्य 1500 भारतीय छात्रों के साथ विश्वविद्यालय में सुरक्षित है.
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इसी तरह यूक्रेन के ज़ापोरिज़्झिया शहर के ज़ापोरिज़्झिया राज्य चिकित्सा विश्वविद्यालय की एक छात्रा खारुमुनिद ने कहा कि वह अन्य भारतीय छात्रों के साथ यूक्रेन के स्टालेवरिव स्ट्रीट में अपने छात्रावास संख्या 4 पर प्रतीक्षा कर रही है. मेघालय के कुछ छात्रों ने राज्य सरकार को भी बताया कि वे विश्वविद्यालय के छात्रावास में सुरक्षित हैं और दूतावास से प्राप्त सूची के अनुसार वे कल तक हंगरी की सीमा की यात्रा करेंगे. इसी तरह यूक्रेन में उज़होरोड नेशनल यूनिवर्सिटी के 24 वर्षीय बलारिकोर्डोर खरसाती ने बताया कि विश्वविद्यालय के छात्रावास में सुरक्षित हैं और कल तक हंगरी की सीमा तक पहुंचने के लिए यात्रा करेगा.
इस बीच, विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि विदेश मंत्रालय द्वारा जारी की गई सलाह के अनुसार संघर्ष से पहले 4,000 भारतीयों ने यूक्रेन छोड़ दिया था. उन्होंने कहा कि हमने उस समय अनुमान लगाया था कि भारत के करीब 15 हजार नागरिक यूक्रेन में रह गए थे जब कि ऑपरेशन गंगा की सराहना की गई थी. चूंकि संघर्ष शुरू होने के बाद यूक्रेन में हवाई क्षेत्र बंद हो गया था इसलिए हमने यूक्रेन से लगे चार पड़ोसी देशों हंगरी, पोलैंड, रोमानिया और स्लोवाकिया के रास्ते लोगों को निकालने के विकल्प की पहचान की.
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