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भारतीय किसान यूनियन के साथ सरकार की बैठक जारी, कृषि कानूनों पर चर्चा

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के निमंत्रण के बाद, पंजाब के मुख्य रूप से 32 किसान नेताओं ने आज विज्ञान भवन में केंद्र सरकार के साथ की. किसान सितंबर में लागू तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं. पंजाब के किसान नेताओं के बाद सरकार चार राज्यों के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से भी बातचीत कर रही है.

narendra singh tomar
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर
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Published : Dec 1, 2020, 6:03 PM IST

Updated : Dec 1, 2020, 8:30 PM IST

नई दिल्ली : नये कृषि कानूनों के विरोध में सड़कों पर उतरे किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और केंद्रीय मंत्रियों के बीच आज विज्ञान भवन में बैठक हुई. सरकार उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली के भारतीय किसान यूनियन के नेताओं के साथ बैठक कर रही है.

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए गाजीपुर-गाजियाबाद (दिल्ली-यूपी) सीमा पर मौजूद भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि सभी इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय चाहते हैं.

बता दें, किसान संगठन मोदी सरकार द्वारा लागू तीन नये कृषि कानून, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन व कृषि सेवा पर करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि इन कानूनों का फायदा किसानों को नहीं, बल्कि कॉरपोरेट को होगा.

यह भी पढ़ें- सरकार-किसानों के बीच बातचीत जारी, हिरासत में शाहीन बाग की दादी

  • दूसरा बड़ा मसला न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की गारंटी का है. किसान चाहते हैं कि केंद्र सरकार उन्हें एमएसपी पर फसलों की खरीद की गारंटी दे.
  • तीसरा मसला पराली दहन से संबंधित है. केंद्र सरकार ने हाल ही में पराली दहन पर रोक लगाने के लिए एक अध्यादेश लाया है जिसमें नियमों का उल्लंघन करने पर पांच साल तक जेल की सजा या एक करोड़ रुपये तक जुर्माना या दोनों का प्रावधान है. किसान नेता इस अध्यादेश के मसले पर भी बातचीत करेंगे.
  • वहीं, चौथा अहम मुद्दा बिजली से संबंधित है. पंजाब में किसानों को ट्यूबवेल के लिए मुफ्त में बिजली मिलती है. उन्हें आशंका है कि सरकार द्वारा बिजली वितरण निजी हाथों में देने पर उन्हें यह छूट नहीं मिलेगी. इसलिए किसान नेता इस वार्ता के दौरान बिजली के मसले पर भी चर्चा करना चाहते हैं.

नई दिल्ली : नये कृषि कानूनों के विरोध में सड़कों पर उतरे किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और केंद्रीय मंत्रियों के बीच आज विज्ञान भवन में बैठक हुई. सरकार उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली के भारतीय किसान यूनियन के नेताओं के साथ बैठक कर रही है.

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए गाजीपुर-गाजियाबाद (दिल्ली-यूपी) सीमा पर मौजूद भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि सभी इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय चाहते हैं.

बता दें, किसान संगठन मोदी सरकार द्वारा लागू तीन नये कृषि कानून, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन व कृषि सेवा पर करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि इन कानूनों का फायदा किसानों को नहीं, बल्कि कॉरपोरेट को होगा.

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  • दूसरा बड़ा मसला न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की गारंटी का है. किसान चाहते हैं कि केंद्र सरकार उन्हें एमएसपी पर फसलों की खरीद की गारंटी दे.
  • तीसरा मसला पराली दहन से संबंधित है. केंद्र सरकार ने हाल ही में पराली दहन पर रोक लगाने के लिए एक अध्यादेश लाया है जिसमें नियमों का उल्लंघन करने पर पांच साल तक जेल की सजा या एक करोड़ रुपये तक जुर्माना या दोनों का प्रावधान है. किसान नेता इस अध्यादेश के मसले पर भी बातचीत करेंगे.
  • वहीं, चौथा अहम मुद्दा बिजली से संबंधित है. पंजाब में किसानों को ट्यूबवेल के लिए मुफ्त में बिजली मिलती है. उन्हें आशंका है कि सरकार द्वारा बिजली वितरण निजी हाथों में देने पर उन्हें यह छूट नहीं मिलेगी. इसलिए किसान नेता इस वार्ता के दौरान बिजली के मसले पर भी चर्चा करना चाहते हैं.
Last Updated : Dec 1, 2020, 8:30 PM IST
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