बेंगलुरु : कर्नाटक के कलबुर्गी जिले के एक युवा राज्य में पीले रंग का तरबूज उगाने वाला पहला किसान बन गया है. जिले के अलंदा तालुक के कोरल्ली गांव के बसवराज पाटिल ने जर्मनी से पीले तरबूज के बीज खरीदे और उन्हें पहली बार प्रयोग के तौर पर दो एकड़ जमीन में बोया. कुछ समय के भीतर बसवराज को इसकी अच्छी उपज मिली और वह राज्य में पीले तरबूज उगाने वाले पहले किसान बन गए.
पिछले 10 वर्षों से लाल रंग तरबूज उगाने वाले युवा किसान को यूट्यूब पर एक वीडियो देखकर पीले रंग के तरबूज के बारे में पता चला. इसके बाद उन्होंने इसके बारे में पूरी जानकारी जुटाई. इस दौरान उन्होंने जर्मनी से बीज आयात किया और पीले तरबूज की खेती करने में सफल रहे.
पीला तरबूज अक्सर अफ्रीका महाद्वीप में उगाया जाता है. इस तरह के तरबूज ज्यादातर उष्णकटिबंधीय देशों में उगाए जा सकते हैं, जिनमें उच्च तापमान वाले क्षेत्र होते हैं.
कलबुर्गी जिले में भी सबसे अधिक तापमान होता है, जो यहां की सबसे बड़ी फसल के रूप में पीले तरबूज को उगाने में मदद कर सकता है. इसके अलावा, इसमें कैलोरी अधिक होती है और गर्मियों में इसकी बहुत मांग होती है.
बता दें कि पीला तरबूज दुर्लभ फलों में से एक है और यह मानव शरीर के लिए अधिक स्वस्थ है. लाल तरबूज के मुकाबले बाजार में इस फल की अधिक मांग है.
मार्केट में, लाल तरबूज एक टन के लिए 5-7 हजार की लागत पर बेचा जाता है और पीले तरबूज एक टन के लिए 15 हजार तक बिकता है.
बसवाराज पाटिल का कहना है कि मैंने पहली बारपीले तरबूज को उगाया है, आमतौर पर यहां सभी लोग लाल तरबूज उगाते हैं, लेकिन मैंने नया प्रयास किया है.
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लाल तरबूज की तुलना में बाजार में इसकी कीमत और उपज बहुत अच्छी है. आम तौर पर लाल तरबूज 6-7 रुपये में बिकता है, लेकिन यह पीला 15 रुपये प्रति पीस तक बिकता है. इसकी अलावा इसकी क्वालिटी भी अच्छी होती है और मीठे भी बहुत होता है और इसके लिए कीटनाशकों की भी आवश्यकता कम होती है.