नई दिल्ली: भारत ने गुरुवार को दोहराया कि श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के देश छोड़ कर जाने में उसकी कोई भूमिका नहीं है. हाल के घटनाक्रम में राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे संकटग्रस्त श्रीलंका में विरोध प्रदर्शनों के बीच मालदीव भाग गए. वह सऊदी अरब एयरलाइंस के विमान से गुरुवार को सिंगापुर पहुंचे. इसके तुरंत बाद उन्होंने संसद अध्यक्ष को भेजे एक ईमेल के माध्यम से राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया.
साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, 'आपने हमारे उच्चायोग की टिप्पणियों को देखा होगा. हमने स्पष्ट रूप से किसी भी भूमिका से इनकार किया है या उनके (गोटाबाया राजपक्षे) प्रस्थान या श्रीलंका से उनकी यात्रा की सुविधा प्रदान की है. मैं यह अनुमान लगाने की स्थिति में नहीं हूं कि वह कहां हैं. मैंने अभी मीडिया रिपोर्ट्स देखी हैं कि वह सिंगापुर में है.'
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'हम श्रीलंका के लोगों और लोकतांत्रिक तरीकों और संवैधानिक ढांचे के माध्यम से उनकी आकांक्षाओं के साथ खड़े रहेंगे.' इससे पहले, कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने स्पष्ट रूप से उन मीडिया रिपोर्टों का खंडन किया था जिसमें कहा गया था कि भारत ने श्रीलंका से गोटाबाया राजपक्षे के भागने में सुविधा प्रदान की.'
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श्रीलंका के लोगों के प्रति अपना समर्थन दोहराते हुए उच्चायोग ने एक विदेशी प्रचार रिपोर्ट पर विराम लगा दिया जिसमें देश में चल रहे संकट के बीच राजपक्षे की मालदीव की यात्रा को सुविधाजनक बनाने में भारत की भूमिका का दावा किया गया था. इस बीच, सिंगापुर के विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की कि श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को निजी यात्रा पर सिंगापुर में प्रवेश की अनुमति दी गई. और कहा गया कि उन्होंने न तो शरण मांगी है और न ही उन्हें शरण दी गई है.