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डेनमार्क पीएम की भारत यात्रा, किम डेवी के प्रत्यर्पण पर होगी चर्चा - Mette Frederiksen

किम डेवी पुरुलिया हथियार कांड का मास्टर माइंड है. भारत लंबे समय से किम डेवी के प्रत्यर्पण के लिए कोशिशें कर रहा है. भारत और डेनमार्क के बीच हुई शिखर वार्ता के दौरान कई बार यह मुद्दा उठाया है.

किम डेवी के प्रत्यर्पण
किम डेवी के प्रत्यर्पण
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Published : Oct 7, 2021, 6:30 PM IST

नई दिल्ली : डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन (Denmark PM Mette Frederiksen) की भारत पर यात्रा पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यह यात्रा परिपक्व रणनीतिक साझेदारी की समीक्षा करने और यह देखने का अवसर देगी कि हम आगे क्या कर सकते हैं. 200 डेनिश कंपनियां हैं जो भारत में निवेश कर रही हैं और 60 भारतीय कंपनियों ने डेनमार्क में निवेश किया है.

उन्होंने कहा कि डेनमार्क की प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान एजेंडा में नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ प्रौद्योगिकियां, जल और अपशिष्ट प्रबंधन, कृषि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, डिजिटलीकरण, स्मार्ट शहर जैसे कुछ तत्व शामिल हो सकते हैं.

बागची ने कहा कि हम किम डेवी (Kim Davy) के प्रत्यर्पण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. हमने इसे पहले भी उठाया है और इस मुद्दे पर डेनमार्क के साथ बातचीत कर रहे हैं। चर्चाएं चल रही हैं. किम डेवी पुरुलिया हथियार कांड का मास्टर माइंड है. भारत लंबे समय से किम डेवी के प्रत्यर्पण के लिए कोशिशें कर रहा है. भारत और डेनमार्क के बीच हुई शिखर वार्ता के दौरान कई बार यह मुद्दा उठाया है.

बता दें, 17 दिसंबर 1995 को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में विमान से हथियार गिराए गए थे. अगले दिन लोगों ने खेत में गिरे बक्सों को हथियारों से भरा पाया जिसमें करीब 300 एके-47 और एके-56 राइफल, लगभग 15,000 राउंड गोलयां, 6 रॉकेट लांचर, बड़ी संख्या में हथगोले, पिस्तौल और नाइट विजन डिवाइज मौजूद थे.

भारत और अफगानिस्तान के बीच उड़ान सेवा बहाल किए जाने की फिलहाल कोई उम्मीद नहीं है. इस संबंध में गुरुवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि उनके पास हवाई यात्रा फिर से शुरू करने की कोई जानकारी नहीं है. यह काफी जटिल और संवेदनशील मामला है. इस मामले में कई कारक है जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है.

'चीन द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करे'

भारत-चीन सीमा विवाद पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागच ने कहा कि हमारी अपेक्षा है कि चीन हमारे साथ मिलकर काम करेगा. बाकि इलाकों में भी डिसएंगेजमेंट आगे बढ़े. कुछ इलाकों में डिसएंगेजमेंट हो गया है और कुछ इलाकों में बाकी है. हम चाहते हैं कि चीन द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल को माने.

जम्मू-कश्मीर में हाल दिनों में हुए आतंकी हमलों पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बागची ने कहा कि हम ऐसे हमलों की कड़ी निंदा करते हैं. हम सीमा पार आतंकवाद को लेकर चिंतित हैं और विभिन्न प्लेटफॉर्म पर इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं.

नई दिल्ली : डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन (Denmark PM Mette Frederiksen) की भारत पर यात्रा पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यह यात्रा परिपक्व रणनीतिक साझेदारी की समीक्षा करने और यह देखने का अवसर देगी कि हम आगे क्या कर सकते हैं. 200 डेनिश कंपनियां हैं जो भारत में निवेश कर रही हैं और 60 भारतीय कंपनियों ने डेनमार्क में निवेश किया है.

उन्होंने कहा कि डेनमार्क की प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान एजेंडा में नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ प्रौद्योगिकियां, जल और अपशिष्ट प्रबंधन, कृषि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, डिजिटलीकरण, स्मार्ट शहर जैसे कुछ तत्व शामिल हो सकते हैं.

बागची ने कहा कि हम किम डेवी (Kim Davy) के प्रत्यर्पण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. हमने इसे पहले भी उठाया है और इस मुद्दे पर डेनमार्क के साथ बातचीत कर रहे हैं। चर्चाएं चल रही हैं. किम डेवी पुरुलिया हथियार कांड का मास्टर माइंड है. भारत लंबे समय से किम डेवी के प्रत्यर्पण के लिए कोशिशें कर रहा है. भारत और डेनमार्क के बीच हुई शिखर वार्ता के दौरान कई बार यह मुद्दा उठाया है.

बता दें, 17 दिसंबर 1995 को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में विमान से हथियार गिराए गए थे. अगले दिन लोगों ने खेत में गिरे बक्सों को हथियारों से भरा पाया जिसमें करीब 300 एके-47 और एके-56 राइफल, लगभग 15,000 राउंड गोलयां, 6 रॉकेट लांचर, बड़ी संख्या में हथगोले, पिस्तौल और नाइट विजन डिवाइज मौजूद थे.

भारत और अफगानिस्तान के बीच उड़ान सेवा बहाल किए जाने की फिलहाल कोई उम्मीद नहीं है. इस संबंध में गुरुवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि उनके पास हवाई यात्रा फिर से शुरू करने की कोई जानकारी नहीं है. यह काफी जटिल और संवेदनशील मामला है. इस मामले में कई कारक है जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है.

'चीन द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करे'

भारत-चीन सीमा विवाद पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागच ने कहा कि हमारी अपेक्षा है कि चीन हमारे साथ मिलकर काम करेगा. बाकि इलाकों में भी डिसएंगेजमेंट आगे बढ़े. कुछ इलाकों में डिसएंगेजमेंट हो गया है और कुछ इलाकों में बाकी है. हम चाहते हैं कि चीन द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल को माने.

जम्मू-कश्मीर में हाल दिनों में हुए आतंकी हमलों पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बागची ने कहा कि हम ऐसे हमलों की कड़ी निंदा करते हैं. हम सीमा पार आतंकवाद को लेकर चिंतित हैं और विभिन्न प्लेटफॉर्म पर इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं.

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