नई दिल्ली : निगम का शिक्षक बनने के लिए अपनी जगह परीक्षा में मुन्नाभाई को बिठाने वाले शिक्षक को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है. 2018 में आयोजित इस परीक्षा में चयनित होने के चलते वह 2019 से शिक्षक की नौकरी कर रहा था. लेकिन परीक्षा केंद्र की CCTV फुटेज एवं फिंगर प्रिंट ने उसके फर्जीवाड़े का खुलासा कर दिया. आरोपी रवि डबास से परीक्षा देने वाले शख्स को लेकर पूछताछ की जा रही है.
डीसीपी राजेश देव के अनुसार, दिल्ली सरकार के डिप्टी सेक्रेटरी एमके निखिल की तरफ से एक शिकायत क्राइम ब्रांच को दी गई थी. उन्होंने बताया कि वह DSSSB में डिप्टी सेक्रेटरी हैं. DSSSB ने असिस्टेंट प्राइमरी टीचर एवं MCD स्कूल टीचर के लिए परीक्षाएं आयोजित करवाई थी. कड़ी सुरक्षा के बावजूद कुछ लोग अपनी जगह किसी दूसरे को परीक्षा में बिठाकर फर्जीवाड़ा करने में कामयाब रहे हैं. इसे लेकर दिसंबर 2019 में क्राइम ब्रांच में एक मामला दर्ज किया गया था.
छानबीन के दौरान संस्था के सभी डाटा को खंगाला गया. इससे उन्हें पता चला कि रवि डबास नामक युवक MCD प्राइमरी टीचर के लिए चयनित हुआ है. अक्टूबर 2019 में उसने साउथ दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के प्राइमरी स्कूल में नौकरी शुरू की है. छानबीन के दौरान उस परीक्षा केंद्र के वीडियो रिकॉर्डिंग को खंगाला गया जहां उसकी परीक्षा हुई थी. 30 नवंबर 2018 के खानपुर स्थित परीक्षा केंद्र के वीडियो से पता चला कि परीक्षा केंद्र एवं परीक्षा हॉल में रवि आया ही नहीं था.
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DSSSB द्वारा यह प्रावधान किया गया था कि परीक्षा में आने वाले सभी परीक्षार्थी अंगूठे का निशान एडमिट कार्ड की दूसरी कॉपी पर लगाएंगे. यह कॉपी उनके पास जमा होनी थी. पुलिस टीम ने रवि डबास के अंगूठे के निशान और जमा कराए गए एडमिट कार्ड पर मौजूद अंगूठे के निशान को जांच के लिए फिंगरप्रिंट ब्यूरो में भेजा. वहां से पता चला कि परीक्षा देने वाले शख्स और रवि डबास के अंगूठे का निशान मैच नहीं कर रहा है. इस जानकारी पर पुलिस टीम ने कंझावला निवासी रवि डबास को गिरफ्तार कर लिया है. उससे पूरे फर्जीवाड़े को लेकर पूछताछ की जा रही है.
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गिरफ्तार किया गया आरोपी रवि डबास रोहतक की एमडी यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट है. वह विवाहित है और उसके दो बच्चे हैं. उसने अपना एजुकेशन डिप्लोमा मध्य प्रदेश से किया था. उसके पिता डीडीए से सेवानिवृत्त है जबकि मां सेवानिवृत शिक्षिका है. पूछताछ के दौरान उसने बताया है कि उसने परीक्षा में अपनी बिना शेविंग की फोटो लगाई थी. वहीं परीक्षा में उसकी जगह बैठने वाले शख्स की शेविंग थी. इसके चलते परीक्षा हॉल में मौजूद जांच अधिकारी उसके फर्जीवाड़े को नहीं पकड़ सके.