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मयूखा की दोस्त से बलात्कार मामला : न्यायालय जॉनसन की अग्रिम जमानत याचिका पर 30 जुलाई को सुनवाई करेगा

ओलंपियन मयूखा जॉनी की 2016 में उसकी दोस्त के साथ बलात्कार के संबंध में केरल उच्च न्यायालय कथित आरोपी चुंगथ जॉनसन की अग्रिम जमानत याचिका पर 30 जुलाई को सुनवाई करेगा.

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Published : Jul 27, 2021, 7:01 PM IST

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कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह उस व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका पर 30 जुलाई को सुनवाई करेगा, जिसने ओलंपियन मयूखा जॉनी की दोस्त से कथित तौर पर बलात्कार किया और पीड़िता को ब्लैकमेल करने के लिए उसकी नग्न तस्वीरें लीं.

न्यायमूर्ति शिरसी वी ने मामले को 10 दिन के लिए स्थगित करने से इनकार कर दिया. आरोपी चुंगथ जॉनसन के वकील ने मामले को स्थगित करने का अनुरोध किया था. न्यायमूर्ति शिरसी ने कहा, 'हम इसे इस तरह स्थगित नहीं कर सकते.'

जॉनसन के वकील ने सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया था क्योंकि मामले में पेश होने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता किसी व्यक्तिगत परेशानी में थे. अदालत ने कहा कि वह 30 जुलाई को पीड़िता द्वारा दाखिल याचिका के साथ अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करेगी. पीड़िता की याचिका में आरोप लगाया गया है कि बलात्कार के मामले की ठीक से जांच नहीं की जा रही है.

अदालत ने 19 जुलाई को बलात्कार मामले की जांच कर रहे अधिकारी से रिपोर्ट मांगी थी. अदालत ने जब मंगलवार को रिपोर्ट मांगी, तो पुलिस की ओर से सरकारी वकील ने कहा कि यह तैयार है और जल्द ही इसे दाखिल किया जाएगा.

सुनवाई की पिछली तिथि पर अभियोजक ने अदालत को बताया था कि राज्य पुलिस प्रमुख के आदेश पर पांच जुलाई को जांच अपराध शाखा को सौंपी गई थी. अभियोजक ने अदालत को यह भी बताया था कि अपराध शाखा ने आठ जुलाई को जांच अपने हाथ में ले ली थी.

उन्होंने अदालत को बताया था कि अपराध से संबंधित कई मोबाइल फोन जब्त किए गए हैं और मामले की जांच के लिए 18 जुलाई को अपराध शाखा ने एक विशेष टीम का गठन किया था.

पढ़ें :- कोर्ट में पुलिस की दलील- ओलंपियन मयूखा की दोस्त से दुष्कर्म मामले में कोई सबूत नहीं

गौरतलब है कि पिछले महीने जॉनी ने एक संवाददाता सम्मेलन कर अपनी एक दोस्त के साथ वर्ष 2016 में हुए कथित बलात्कार मामले की जांच को लेकर केरल पुलिस और राज्य महिला आयोग की एक पूर्व अधिकारी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे.

जॉनी ने आरोप लगाया है कि उनकी दोस्त के साथ एक व्यक्ति ने बलात्कार किया और उसकी नग्न तस्वीरें लेकर उनका इस्तेमाल उसे धमकाने के लिए किया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि शुरुआती दौर में हरकत में आई पुलिस बाद में आरोपी के पक्ष में उच्च स्तरीय प्रभावशाली लोगों के हस्तक्षेप के चलते निष्क्रिय हो गई.

(पीटीआई-भाषा)

कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह उस व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका पर 30 जुलाई को सुनवाई करेगा, जिसने ओलंपियन मयूखा जॉनी की दोस्त से कथित तौर पर बलात्कार किया और पीड़िता को ब्लैकमेल करने के लिए उसकी नग्न तस्वीरें लीं.

न्यायमूर्ति शिरसी वी ने मामले को 10 दिन के लिए स्थगित करने से इनकार कर दिया. आरोपी चुंगथ जॉनसन के वकील ने मामले को स्थगित करने का अनुरोध किया था. न्यायमूर्ति शिरसी ने कहा, 'हम इसे इस तरह स्थगित नहीं कर सकते.'

जॉनसन के वकील ने सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया था क्योंकि मामले में पेश होने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता किसी व्यक्तिगत परेशानी में थे. अदालत ने कहा कि वह 30 जुलाई को पीड़िता द्वारा दाखिल याचिका के साथ अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करेगी. पीड़िता की याचिका में आरोप लगाया गया है कि बलात्कार के मामले की ठीक से जांच नहीं की जा रही है.

अदालत ने 19 जुलाई को बलात्कार मामले की जांच कर रहे अधिकारी से रिपोर्ट मांगी थी. अदालत ने जब मंगलवार को रिपोर्ट मांगी, तो पुलिस की ओर से सरकारी वकील ने कहा कि यह तैयार है और जल्द ही इसे दाखिल किया जाएगा.

सुनवाई की पिछली तिथि पर अभियोजक ने अदालत को बताया था कि राज्य पुलिस प्रमुख के आदेश पर पांच जुलाई को जांच अपराध शाखा को सौंपी गई थी. अभियोजक ने अदालत को यह भी बताया था कि अपराध शाखा ने आठ जुलाई को जांच अपने हाथ में ले ली थी.

उन्होंने अदालत को बताया था कि अपराध से संबंधित कई मोबाइल फोन जब्त किए गए हैं और मामले की जांच के लिए 18 जुलाई को अपराध शाखा ने एक विशेष टीम का गठन किया था.

पढ़ें :- कोर्ट में पुलिस की दलील- ओलंपियन मयूखा की दोस्त से दुष्कर्म मामले में कोई सबूत नहीं

गौरतलब है कि पिछले महीने जॉनी ने एक संवाददाता सम्मेलन कर अपनी एक दोस्त के साथ वर्ष 2016 में हुए कथित बलात्कार मामले की जांच को लेकर केरल पुलिस और राज्य महिला आयोग की एक पूर्व अधिकारी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे.

जॉनी ने आरोप लगाया है कि उनकी दोस्त के साथ एक व्यक्ति ने बलात्कार किया और उसकी नग्न तस्वीरें लेकर उनका इस्तेमाल उसे धमकाने के लिए किया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि शुरुआती दौर में हरकत में आई पुलिस बाद में आरोपी के पक्ष में उच्च स्तरीय प्रभावशाली लोगों के हस्तक्षेप के चलते निष्क्रिय हो गई.

(पीटीआई-भाषा)

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