नई दिल्ली: सड़क परिवहन और राजमार्ग क्षेत्र में सबसे अधिक 407 परियोजनाएं लंबित हैं. इसके बाद रेलवे की 114 और पेट्रोलियम क्षेत्र की 86 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं. सरकार की एक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है. अवसंरचना क्षेत्र की परियोजनाओं पर फरवरी, 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, सड़क परिवहन और राजमार्ग क्षेत्र में 717 में से 407 परियोजनाओं में देरी हो रही है. रेलवे की 173 में से 114 परियोजनाएं अपने समय से पीछे चल रही हैं. वहीं पेट्रोलियम क्षेत्र की 146 में से 86 परियोजनाएं अपने निर्धारित समय से पीछे चल रही हैं.
अवसंरचना एवं परियोजना निगरानी प्रभाग (आईपीएमडी) 150 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली केंद्रीय क्षेत्र की परियोजनाओं की निगरानी करता है. आईपीएमडी, सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत आता है. रिपोर्ट से पता चलता है कि मुनीराबाद-महबूबनगर रेल परियोजना सबसे अधिक देरी वाली परियोजना हैं. यह अपने निर्धारित समय से 276 महीने पीछे है.
दूसरी सबसे देरी वाली परियोजना उधमपुर-श्रीनगर-बारापूला रेल परियोजना है. इसमें 247 माह का विलंब है. इसके अलावा बेलापुर-सीवुड शहरी विद्युतीकरण दोहरी लाइन परियोजना अपने निर्धारित समय से 228 महीने पीछे है.
फरवरी, 2023 की रिपोर्ट में 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक की लागत वाली केंद्रीय क्षेत्र की 1,418 परियोजनाओं का ब्योरा है. रिपोर्ट के अनुसार, 823 परियोजनाएं अपने मूल समय से पीछे हैं. वहीं 346 परियोजनाएं ऐसी हैं जिनकी लागत बढ़ चुकी है. 242 परियोजनाएं देरी से भी चल रही हैं और इनकी लागत भी बढ़ी है.
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कुल 823 परियोजनाएं अपनी मूल निर्धारित समयसीमा से पीछे हैं और 159 परियोजनाएं ऐसी हैं जिनमें पिछले माह की तुलना में विलंब और बढ़ा है. इन 159 परियोजनाओं में से 38 बड़ी यानी 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं हैं.
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग क्षेत्र के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि 717 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 3,97,255.47 करोड़ रुपये थी, जिसके अब बढ़कर 4,14,400.44 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. इस तरह इन परियोजनाओं की लागत 4.3 प्रतिशत बढ़ी है.
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फरवरी, 2023 तक इन परियोजनाओं पर 2,33,007.06 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जो मूल लागत का 56.2 प्रतिशत है. इसी तरह रेलवे क्षेत्र में 173 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 3,72,761.45 करोड़ रुपये थी, जिसे बाद में संशोधित कर 6,26,632.52 करोड़ रुपये कर दिया गया. इस तरह इनकी लागत में 68.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इन परियोजनाओं पर फरवरी, 2023 तक 3,79,380.95 करोड़ रुपये या परियोजनाओं की अनुमानित लागत का 60.5 प्रतिशत खर्च किया जा चुका है.
पेट्रोलियम क्षेत्र की 146 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 3,67,615.67 करोड़ रुपये थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 3,85,117.08 करोड़ रुपये कर दिया गया. इन परियोजनाओं की लागत में 4.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इन परियोजनाओं पर फरवरी, 2023 तक 1,44,162.3 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जो कुल लागत का 37.4 प्रतिशत बैठता है.
(पीटीआई-भाषा)