मुंबई : महाराष्ट्र के जलगांव में पहले से इस्तेमाल किए गए कोरोना मास्क से गद्दे बनाए जाने का मामला सामने आया है. दुकानदार गद्दों में रुई भरने के बजाये पुरने और पहले से इस्तेमाल कर फेंक दिए गए मास्क गद्दों में भर रहा था. इन्हीं गद्दों की बिक्री भी हो रही थी.
सूचना मिलने पर पुलिस ने दुकान पर छापा मारा जिसके बाद पुलिस ने दुकान मालिक अमजद अहमद मंसूर को गिरफ्तार किया है. फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है.
कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए एहतियात के तौर पर लोग मास्क लगा रहे हैं. ऐसे में गद्दों में यूज हो चुके मास्क भरकर बेचना कितना घातक हो सकता है, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है.
लोग बहुत से यूज किए गए मास्क को खुले में सड़कों पर फेंक रहे हैं. मास्क एक बायोमेडिकल वेस्ट है, यदि सही प्रकार से इसका निस्तारण न किया जाए तो यह वातावरण में संक्रमण फैला सकता है.
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मास्क पर माइक्रो आर्गेनिज्म, वायरस आदि चिपके होते हैं. हम मास्क पहन कर जहां-जहां जा रहे होते हैं, वहां के वायरस, बैक्टीरिया इस पर चिपक जाते हैं, जो हमें दिखाई नहीं देते, यदि हम इन्हें कहीं भी फेंकते हैं तो यह हमारे लिए ही खतरनाक हो सकते हैं.
बायोमेडिकल वेस्ट को प्लास्टिक में कवर करके जमीन में दबाया जाना चाहिए ताकि इससे संक्रमित वायरस धरती के अंदर ना फैले. हालांकि ऐसा देखा गया है कि अमूमन लोग इसका प्रयोग करके इधर उधर फेंक देते हैं. ऐसा करके ना केवल वो अपने बल्कि समाज के लिए भी खतरा पैदा करते हैं. जानकार यह मानते हैं कि उन्हे अपने कूडा दान में ही डालना चाहिए जिसका की वैज्ञानिक रूप से डिस्पोजल हो सके.