हल्द्वानी: लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला का अंतिम संस्कार पूरे सैनिक सम्मान के साथ आज रानीबाग के चित्रशिला घाट पर किया गया. शहीद लांसनायक चंद्रशेखर हरबोला की दोनों बेटियां कविता और बबीता ने पिता को मुखाग्नि दी. इस दौरान शहीद के अंतिम दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में लोग घाट पर मौजूद रहे. सेना, प्रशासन और पुलिस के जवानों ने शहीद को नमन करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी. सीएम धामी, कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य, गणेश जोशी और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने भी शहीद के परिजनों से मुलाकात की. वहीं, शहीद लांसनायक चंद्रशेखर हरबोला की दोनों बेटियां कविता और बबीता ने पिता को मुखाग्नि दी.
बता दें आज सेना के जवान लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला का पार्थिव शरीर हल्द्वानी के आर्मी हेलीपैड पर पहुंचा. जहां से पार्थिव शरीर को उनके आवास पर अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया. इस दौरान स्थानीय लोगों से लेकर वीआईपी लोगों ने शहीद को याद करते हुए उन्हें नमन किया. सीएम धामी भी शहीद के दर्शनों के लिए उनके घर पहुंचे. सीएम धामी ने लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला के परिजनों से मुलाकात करते हुए उन्हें ढांढस बंधाया.
इस दौरान सीएम धामी ने कहा शहीद चंद्रशेखर हरबोला के बलिदान को याद रखा जाएगा. उन्होंने कहा उनका बलिदान आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सीख है. सीएम धामी ने कहा चंद्रशेखर हरबोला एक परिवार के नहीं हैं, वे पूरे देश के हैं. उन्होंने कहा सैन्य धाम में भी उनकी स्मृतियों को संजोकर रखा जाएगा. उनके नाम पर स्कूल, सड़क और स्मारक की की मांग के सवाल पर बोलते हुए सीएम धामी ने कहा परिवार की भावनाओं का सम्मान करते हुए उनकी मांगो पर जरुर विचार किया जाएगा. इस दौरान कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य, गणेश जोशी और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य भी सीएम के साथ मौजूद रहे.
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बाद में पूरे सैन्य सम्मान के साथ शहदी की अंतिम यात्रा निकाली गई. अंतिम यात्रा में भारत माता की जय, शहीद चंद्रशेखर हरबोला अमर रहे के नारे गूंजे. आखिर में पूरे सैनिक सम्मान के साथ रानीबाग के चित्रशिला घाट पर लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला का अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान सभी के आंखे नम नजर आई. बता दें मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट के हाथीगुर बिंता निवासी चंद्रशेखर हरबोला 19 कुमाऊं रेजीमेंट में लांसनायक थे. वह 1975 में सेना में भर्ती हुए थे. वे 38 साल पहले सियाचिन में शहीद हुए थे.
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ऑपरेशन मेघदूत में थे शामिल: मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट के हाथीगुर बिंता निवासी चंद्रशेखर हरबोला 19 कुमाऊं रेजीमेंट में लांसनायक थे. वह 1975 में सेना में भर्ती हुए थे. 1984 में भारत और पाकिस्तान के बीच सियाचिन के लिए झड़प हो गई थी. भारत ने इस मिशन का नाम ऑपरेशन मेघदूत रखा था.
ग्लेशियर की चपेट में आकर हुए थे शहीद: भारत की ओर से मई 1984 में सियाचिन में पेट्रोलिंग के लिए 20 सैनिकों की टुकड़ी भेजी गई थी. इसमें लांसनायक चंद्रशेखर हरबोला भी शामिल थे. सभी सैनिक सियाचिन में ग्लेशियर टूटने की वजह से इसकी चपेट में आ गए जिसके बाद किसी भी सैनिक के बचने की उम्मीद नहीं रही. भारत सरकार और सेना की ओर से सैनिकों को ढूंढने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया गया. इसमें 15 सैनिकों के पार्थिव शरीर मिल गए थे लेकिन पांच सैनिकों का पता नहीं चल सका था.