मुंबई: इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि समुद्री डकैती अभी भी हिंद महासागर पर एक बड़ा सुरक्षा खतरा है, सरकारी अधिकारियों, नीति निर्माताओं के साथ-साथ विशेषज्ञों ने मंगलवार को कहा कि भारतीय और वैश्विक व्यापार संवर्धन दोनों को सुनिश्चित करने के लिए समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करना बहुत महत्वपूर्ण है. पश्चिमी नौसेना कमान के प्रमुख कमांडिंग वाइस एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने इसे लेकर जानकारी दी.
त्रिपाठी ने कहा कि 'पिछले एक साल में हिंद महासागर में 1,500 से अधिक सशस्त्र डकैतियां हुईं. समुद्री डकैती चिंता का एक प्रमुख क्षेत्र है और इसके लिए हमें यदि आवश्यक हो तो बल का प्रयोग करके निवारकों के लिए क्षमता निर्माण सुनिश्चित करना होगा.' त्रिपाठी मुंबई में चल रहे ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट (जीएमआईएस) के दौरान समुद्री सुरक्षा और सुरक्षा के मुद्दे को संबोधित कर रहे थे.
यह कहते हुए कि सुरक्षा सूचना से शुरू होती है, त्रिपाठी ने कहा, 'समुद्री डोमेन जागरूकता बहुत आवश्यक है. समुद्री खुफिया जानकारी की बहुत आवश्यकता है. इसे ध्यान में रखते हुए, हमने 20 से अधिक राष्ट्रीय और बहुराष्ट्रीय ऑपरेटरों के साथ साझेदारी की है.' यह कहते हुए कि भारतीय नौसेना सभी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए हमेशा तैयार है, त्रिपाठी ने आगे कहा कि भारतीय नौसेना युद्ध प्रभावित इज़राइल से सभी भारतीयों को निकालने के लिए तैयार है.
गौरतलब है कि भारत सरकार ने युद्ध से तबाह इजराइल में फंसे सभी भारतीयों को निकालने के लिए 'ऑपरेशन अजय' शुरू किया है. समुद्री सुरक्षा पर बात करते हुए गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से भारतीय सुरक्षा एजेंसियां समुद्री क्षेत्र में पर्याप्त सुरक्षा प्रदान कर रही हैं. राय ने कहा कि 'भारत के बढ़ते वैश्विक कद के साथ, हिंद महासागर में भारत की जिम्मेदारियां भी बढ़ रही हैं.'
मंत्री ने भारत के क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (सागर) अभियान के बारे में विस्तार से बताया, जो 2015 से चालू है. SAGAR पहल हिंद महासागर, इसके भीतर के देशों और समुद्री व्यापार मार्गों की सुरक्षा की निगरानी के लिए समर्पित है. राय ने कहा कि हमारी नौसेना, तटरक्षक बल और पुलिस बल सभी हमारे समुद्री क्षेत्रों और तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. तीन सेनाओं की ये शृंखला हमारे विशाल तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा को पूरी तरह से प्रभावी बनाना संभव बनाती है.
उन्होंने कहा कि सागर अभियान के तहत भारत हिंद महासागर और उसमें मौजूद सभी मित्र देशों तथा समुद्री व्यापार मार्गों की सुरक्षा की सफलतापूर्वक और सतर्कता से निगरानी कर रहा है. उन्होंने कहा कि इस अभियान के तहत, हम क्षेत्र में अपने सभी मित्र देशों के साथ मिलकर एक सुरक्षित वातावरण बनाना चाहते हैं, जो व्यापार को बढ़ावा दे और मित्र देशों और क्षेत्र में समृद्धि लाए. राय ने समुद्री मार्गों की सुरक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि इसे कानून-संचालित अभियानों के माध्यम से हासिल किया जा सकता है.
राय ने कहा कि इसके अतिरिक्त, बंदरगाह और समुद्री व्यापार में निजी पूंजी और व्यक्तियों के आने से भारत को 'ब्लू ओशन इकोनॉमी' बनाने की भारत सरकार की पहल को पूरा करने में मदद मिलेगी. भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए समुद्री ऑप्टिकल फाइबर को बढ़ावा देना भी महत्वपूर्ण है. यह कहते हुए कि भारत का लगभग 95 प्रतिशत व्यापार समुद्री परिवहन के माध्यम से होता है, राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक वाइस एडमिरल (सेवानिवृत्त) जी अशोक कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि खतरे को समझना और उसका विश्लेषण करना बहुत आवश्यक है.
कुमार ने समुद्री सुरक्षा के लिए भारत सरकार की पहल पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत सरकार समुद्री सुरक्षा के लिए कई पहल लागू कर रही है. मल्टी-एजेंसी मैरीटाइम सिक्योरिटी ग्रुप (एमएएमएसजी) की बैठक अभी हो रही है. सभी तटीय राज्य और अन्य हितधारक भाग ले रहे हैं और हर पखवाड़े हम एक सुरक्षा बैठक आयोजित करते हैं.
इससे पहले जून में, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने भारत के पहले राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक (एनएमएससी) कुमार की अध्यक्षता में एमएएमएसजी की पहली बैठक का उद्घाटन किया था. समुद्री सुरक्षा के लिए केंद्र और तटीय राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों में विविध हितधारकों को एक साथ लाकर एमएएमएसजी के गठन को एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में ब्रांडेड किया गया है.