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मराठा आरक्षण : सुप्रीम कोर्ट से झटके के बाद महाराष्ट्र सरकार ने ईडब्ल्यूएस कोटा बढ़ाया

उच्चतम न्यायालय ने पांच मई को प्रदेश सरकार के उस कानून को रद्द कर दिया था जिसके तहत नौकरियों व शिक्षा में मराठा समुदाय को आरक्षण दिया जा रहा था. सरकारी आदेश में कहा गया कि इडब्ल्यूएस आरक्षण नौ सितंबर 2020 को अंतरिम स्थगन (मराठा आरक्षण पर) से इस साल पांच मई को उच्चतम न्यायालय के अंतिम फैसले तक लागू होगा.

शिवसेना
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Published : May 31, 2021, 10:55 PM IST

मुंबई : महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को आर्थिक रूप से कमजोर आय वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी के तहत दिये जाने वाले आरक्षण का लाभ मराठा समुदाय को देने की घोषणा की. हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने सामाजिक रूप से सशक्त समूह को नौकरियों व शिक्षा में अलग से आरक्षण दिये जाने के फैसले को रद्द कर दिया था.

सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) द्वारा इस आशय का एक सरकारी आदेश (जीओ) यहां जारी किया गया. फिलहाल किसी तरह के आरक्षण के दायरे में नहीं आने वाले वर्ग के लिये 10 प्रतिशत का ईडब्ल्यूएस आरक्षण उपलब्ध है.

ये भी पढ़ें : प्रतिनियुक्ति पर केंद्र और राज्य आमने-सामने, जानें क्या कहते हैं नियम

सामान्य वर्ग के गरीबों को नौकरियों व शिक्षा में आरक्षण देने के लिये दो साल पहले ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू किया गया था. जीएडी के आदेश में कहा गया है कि सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़ा (एसईबीसी) श्रेणी में वर्गीकृत मराठा समुदाय 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ ले सकता है.

उच्चतम न्यायालय ने पांच मई को प्रदेश सरकार के उस कानून को रद्द कर दिया था जिसके तहत नौकरियों व शिक्षा में मराठा समुदाय को आरक्षण दिया जा रहा था. सरकारी आदेश में कहा गया कि इडब्ल्यूएस आरक्षण नौ सितंबर 2020 को अंतरिम स्थगन (मराठा आरक्षण पर) से इस साल पांच मई को उच्चतम न्यायालय के अंतिम फैसले तक लागू होगा.

ईडब्ल्यूएस आरक्षण उन एसईबीसी प्रतिभागियों पर लागू होगा जिनकी नियुक्ति अंतरिम स्थगन से पहले लंबित थी और उन प्रतिभागियों पर लागू नहीं होगा, जिन्होंने नियुक्तियों और दाखिलों में एसईबीसी आरक्षण का लाभ लिया.

ये भी पढे़ं : भारत की जीडीपी : 2020-21 में 7.3 फीसदी गिरावट, 40 साल में पहली बार

एक अन्य घटनाक्रम में शिवसेना के नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी सरकार ने उच्चतम न्यायालय के पांच मई के फैसले की समीक्षा और सरकार को आगे की कार्रवाई के लिये सुझाव देने को गठित न्यायमूर्ति दिलीप भोसले समिति का कार्यकाल सात जून तक बढ़ा दिया है. इससे पहले इस बहु सदस्यीय समिति को 31 मई तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को आर्थिक रूप से कमजोर आय वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी के तहत दिये जाने वाले आरक्षण का लाभ मराठा समुदाय को देने की घोषणा की. हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने सामाजिक रूप से सशक्त समूह को नौकरियों व शिक्षा में अलग से आरक्षण दिये जाने के फैसले को रद्द कर दिया था.

सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) द्वारा इस आशय का एक सरकारी आदेश (जीओ) यहां जारी किया गया. फिलहाल किसी तरह के आरक्षण के दायरे में नहीं आने वाले वर्ग के लिये 10 प्रतिशत का ईडब्ल्यूएस आरक्षण उपलब्ध है.

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सामान्य वर्ग के गरीबों को नौकरियों व शिक्षा में आरक्षण देने के लिये दो साल पहले ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू किया गया था. जीएडी के आदेश में कहा गया है कि सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़ा (एसईबीसी) श्रेणी में वर्गीकृत मराठा समुदाय 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ ले सकता है.

उच्चतम न्यायालय ने पांच मई को प्रदेश सरकार के उस कानून को रद्द कर दिया था जिसके तहत नौकरियों व शिक्षा में मराठा समुदाय को आरक्षण दिया जा रहा था. सरकारी आदेश में कहा गया कि इडब्ल्यूएस आरक्षण नौ सितंबर 2020 को अंतरिम स्थगन (मराठा आरक्षण पर) से इस साल पांच मई को उच्चतम न्यायालय के अंतिम फैसले तक लागू होगा.

ईडब्ल्यूएस आरक्षण उन एसईबीसी प्रतिभागियों पर लागू होगा जिनकी नियुक्ति अंतरिम स्थगन से पहले लंबित थी और उन प्रतिभागियों पर लागू नहीं होगा, जिन्होंने नियुक्तियों और दाखिलों में एसईबीसी आरक्षण का लाभ लिया.

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एक अन्य घटनाक्रम में शिवसेना के नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी सरकार ने उच्चतम न्यायालय के पांच मई के फैसले की समीक्षा और सरकार को आगे की कार्रवाई के लिये सुझाव देने को गठित न्यायमूर्ति दिलीप भोसले समिति का कार्यकाल सात जून तक बढ़ा दिया है. इससे पहले इस बहु सदस्यीय समिति को 31 मई तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी.

(पीटीआई-भाषा)

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