पलामूः सोमवार को सुरक्षाबलों के साथ हुए मुठभेड़ में मारा गया माओवादियों का टॉप कमांडर अजित उर्फ चार्लीस और गौतम पासवान संगठन के टेक्निकल एक्सपर्ट्स थे. ये दोनों माओवादियों के लिए नई नई तकनीक को विकसित किया करते थे. अजित उर्फ चार्लीस माओवादियों के लिए इम्प्रोवाइज मिसाइल विकसित कर रहा था जबकि झारखंड बिहार सीमा पर इसी ने माओवादियों के लिए रॉकेट लॉन्चर बनाया था.
सुरक्षा बलों ने झारखंड बिहार सीमा पर छकरबंधा में जून 2022 में अभियान के दौरान बड़ा खुलासा किया था. सुरक्षाबलों को यह जानकारी मिली थी कि माओवादी इम्प्रोवाइज मिसाइल विकसित कर रहे हैं, सुरक्षाबलों को मौके से मिले दस्तावेज वीडियो से यह जानकारी मिली थी कि अजित उर्फ चार्लीस मिसाइल विकसित कर रहा है, मौके से सुरक्षा बलों को कुछ अवशेष भी मिले थे.
अजित का मिसाइल बनाने का टेस्ट फेल हो गया था, वह यूट्यूब और इंटरनेट के माध्यम से मिसाइल बनाने की कोशिश कर रहा था. अजित उर्फ चार्लीस माओवादियों के आईडी जिसे लैंड माइंस के कई तरीकों को विकसित किया था.
छत्तीसगढ़ तेलंगाना सीमा पर ली थी ट्रेनिंगः अजित उर्फ चार्लीस लातेहार के बालूमाथ के नैना गांव का रहने वाला था. अजित 8 वर्ष की उम्र में ही माओवादी दस्ते में शामिल हो गया. दस्ते में शामिल होने के बाद वह कभी वापस घर नहीं लौटा. माओवादी दस्ते में अजित को तूफान जी, चार्लीस, चार्लीस उरांव के नाम से जाना जाता था. गौतम पासवान और अजित ने मिलकर ही झारखंड बिहार सीमा पर लैंडमाइंस की कई तकनीक को विकसित किया था और पूरे इलाके को लैंड माइंस से घेरा था.
जून 2015-16 में औरंगाबाद गया सीमा पर माओवादियों के हमले में 10 कोबरा के जवान शहीद हुए थे. इस हमले के लिए गौतम और चार्लीस ने ही पूरे इलाके में लैंड माइंस लगाया था. चार्लीस और गौतम छत्तीसगढ़ तेलंगाना सीमा पर माओवादियों के लिए तकनीकी जानकारी का प्रशिक्षण लिया था. गौतम माओवादियों के अन्य कैडर को लैंडमाइंस बनाने के तरीके और उसे लगाने के तरीकों को बताता था. अजित उर्फ चार्लीस माओवादियों के हथियार बनाने के साथ साथ अन्य तकनीक को विकसित करता था.