नई दिल्ली: कई पुजारियों ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर अपनी टिप्पणी से उनका अपमान करने का सोमवार को आरोप लगाया. राहुल गांधी ने कहा था कि भारत तपस्वियों का देश है न कि पुजारियों का. गांधी ने हाल में हरियाणा में कहा था कि कांग्रेस तपस्या में यकीन रखती है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पूजा का संगठन है. उन्होंने आरोप लगाया था कि भाजपा-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) लोगों को उनकी पूजा करने के लिए मजबूर करते हैं.
उन्होंने कहा था कि भारत तपस्वियों का देश है, न कि पुजारियों का. युवा तीर्थ पुरोहित महासभा के उज्ज्वल पंडित ने आरोप लगाया कि गांधी ने भारत की प्राचीन सांस्कृतिक परंपराओं का अपमान किया है, जिसमें पुजारियों ने केंद्रीय भूमिका निभाई है. उन्होंने एक बयान में आरोप लगाया है कि यह स्पष्ट है कि कांग्रेस नेता दिखावे के लिए 'जनेऊ' पहनते हैं और अपने सिर पर तिलक लगाते हैं. पंडित ने दावा किया कि गांधी की टिप्पणी ब्राह्मणों के खिलाफ है.
स्वामी दीपांकर ने कहा कि गांधी ने अपनी 'भारत जोड़ो यात्रा' को 'मोहब्बत की दुकान' बताया है, लेकिन वह नफरत की बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता को बोलने से पहले सोचना चाहिए और कहा कि एक ओर तो वह लोगों को जोड़ने के लिए काम कर रहे हैं जबकि दूसरी ओर इस तरह के बयान दे रहे हैं. दीपांकर ने पूछा कि क्या पुजारियों को समुद्र में फेंक देना चाहिए? उन्होंने कहा, 'उन्होंने (गांधी ने) इतनी शानदार यात्रा की है. मैं हैरान हूं कि उन्होंने ऐसा बयान दिया है.'
गंगोत्री धाम के रजनीकांत सेमवाल ने कहा कि सनातन धर्म की भूमि में पुजारियों का महत्वपूर्ण स्थान रहा है. उन्होंने कहा कि पुजारी प्राचीन परंपरा का पालन करते रहे हैं. सेमवाल ने गांधी से इसका अध्ययन करने का आग्रह किया. उत्तर प्रदेश के प्रयागराज सहित कुछ स्थानों पर पुजारियों ने विरोध प्रदर्शन किया और राहुल गांधी के पुतले जलाए. झारखंड की मंदिर नगरी देवघर में पुजारियों ने अपनी परंपरा का अपमान करने के लिए कांग्रेस नेता से माफी की मांग की.