कोटा. राजस्थान के कोटा निवासी अमनप्रीत आज युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए हैं. डेयरी चलाने के साथ ही उन्होंने बायोमास के लिए दो प्लांट लगाए हुए हैं, जिससे उनका बिजली का खर्च 80 प्रतिशत तक कम हो चुका है. रविवार को मन की बात के 104वें संस्करण में पीएम नरेंद्र मोदी ने भी अमनप्रीत की तारीफ की है. उन्होंने देश के युवाओं को नए-नए स्टार्टअप में नवीन तकनीक और ऊर्जा की खपत कम करने के लिए प्रेरित किया.
मन की बात में पीएम मोदी ने कहा कि आज ऐसे बहुत से लोग हैं, जो डेयरी को अपना कर इसे Diversify कर रहे हैं. राजस्थान के कोटा में डेयरी फार्म चला रहे अमनप्रीत सिंह के बारे में भी आपको ज़रूर जानना चाहिए. उन्होंने डेयरी के साथ बायोगैस पर भी फोकस किया और दो बायोगैस प्लांट्स लगाए. इससे बिजली पर होने वाला उनका खर्च करीब 70 प्रतिशत कम हुआ है. इनका यह प्रयास देशभर के डेयरी फार्मर को प्रेरित करने वाला है. आज कई बड़ी डेयरी, बायोगैस पर फोकस कर रही हैं. इस प्रकार के समुदाय प्रेरित मूल्यवर्धन बहुत उत्साहित करने वाले हैं. मुझे विश्वास है कि देशभर में इस तरह के ट्रेंड्स निरंतर जारी रहेंगे.
अमनप्रीत ने बताया कि मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट के साथ उन्होंने बायोमास के लिए दो प्लांट लगाए हुए हैं, जिसमें शुद्ध रूप से गाय का गोबर और गोमूत्र को ही भेजा जाता है. उनके पास करीब 260 गाय हैं. इसके जरिए रोजाना 1500 से लेकर 2000 लीटर तक दूध का उत्पादन हो रहा है और दूध के कई प्रोडक्ट्स बनाए जा रहे हैं. अमनप्रीत के अनुसार उनके पास केंचुआ खाद का भी प्लांट लगा हुआ है, जिसके जरिए एक माह में 7 से 8 टन खाद बनाया जाता है. इसके अलावा लिक्विड खाद के रूप में काम आने वाला केंचुए का पानी भी डेयरी की ओर से ऑनलाइन भी बेचा जा रहा है. करीब 250 से 300 लीटर तक की बिक्री होती है.
भाइयों के नाम से शुरू किया था उद्योग : अमनप्रीत ने बताया कि वे तीन चचेरे भाई हैं, जिनका नाम गगनप्रीत, अमनप्रीत और उत्तमजोत है. तीनों के नाम के पहले अक्षर पर GAU (गौ) डेयरी की शुरुआत की गई थी. यह बतौर स्टार्टअप शुरू की गई थी, जिसके बाद आज उनके पास 260 के आसपास गाय हैं. इसके साथ एक बड़ा प्रोसेसिंग प्लांट है, जिनमें 40-40 किलोवाट के दो बायोमास प्लांट लगाए हैं. इसके अलावा 70 किलोवाट का एक सोलर प्लांट है.
साल में 24 लाख रुपए बिजली का खर्च बचा : उन्होंने बताया कि उन्हें करीब 130 से 150 किलोवाट बिजली की ही जरूरत होती है, जो सोलर और बायोमास के जरिए पूरी हो रही है. केवल 10 से 20 प्रतिशत बिजली कोटा इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन से लेना पड़ रहा है. बायोमास का पहला प्लांट 2017 में इंस्टॉल किया गया था. इसके बाद दूसरा 2019 में लगाया गया. इस तरह से अमनप्रीत हर माह करीब दो लाख रुपए और साल में करीब 24 लाख रुपए बिजली का खर्च बचा रहे हैं.
शुद्ध गोबर और गोमूत्र का प्लांट में उपयोग : अमनप्रीत के अनुसार प्लांट को चलाने के लिए मीथेन की आवश्यकता होती है. ऐसे में बायोमास में कचरा और मिट्टी नहीं भेजकर केवल शुद्ध ताजा गोबर और गौमूत्र ही भेजते हैं. इस मीथेन के लिए ऐसी फैसिलिटी बना रखी है. एक प्लांट को 100 गायों का गोबर चाहिए होता है, इससे अच्छी मीथेन मिल जाती है. उसके बाद जो स्लरी बचती है, वह केंचुआ खाद बनाने में उपयोग की जाती है. स्लरी का लिक्विड फर्टिलाइजर में उपयोग आता है.
1500 से 2000 लीटर दूध का उत्पादन : अमनप्रीत ने बताया कि उनके पास मारवाड़ी, साहीवाल, फ्रीसवाल और गिर गायें हैं. इनसे 1500 से 2000 लीटर के आसपास दूध का प्रोडक्शन हो रहा है. इसको प्रोसेसिंग कर पनीर, मावा, छाछ, घी, आइसक्रीम और लस्सी बनाई जाती है. इसके अलावा सफेद मक्खन, रसगुल्ला, गुलाब जामुन, मिठाई और दही भी बनाई जाती है. साथ ही 10 एकड़ में मधुमक्खी पालन और शरबती गेहूं भी उगा रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनकी खासियत बिलोना का घी है, जिसे विदेशों में एक्सपोर्ट किया जा रहा है. शरबती गेहूं का आटा, शहद, सरसों का तेल भी एक्सपोर्ट होता है. इसके अलावा केंचुआ और लिक्विड ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर भी बेच रहे हैं.