नई दिल्ली: दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अपनी पत्नी के स्वास्थ्य के लिए चिकित्सा आधार का हवाला देते हुए अब अंतरिम जमानत के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है. कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को नोटिस जारी किया है. बता दें कि आबकारी घोटाला मामले में सिसोदिया ने सीबीआई द्वारा दर्ज केस में राउज एवेन्यू कोर्ट से जमानत याचिका दायर की थी, जिसका सीबीआई की ओर से जमकर विरोध किया गया था. इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई नौ मई तक के लिए स्थगित कर दी थी.
जमानत के विरोध में दी गईं थीं ये दलीलें
सीबीआई की ओर से जमानत याचिका के विरोध में अपनी दलीलें जारी रखते हुए एएसजी एसवी राजू ने कथित घोटाले में सिसोदिया की भूमिका के बारे में कई अन्य सबूत पेश किए थे. सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि पूछताछ के दौरान गवाहों ने स्पष्ट रूप से दिल्ली सरकार की 2021-22 के लिए आबकारी नीति में हेरफेर करने में सिसोदिया की भूमिका की पुष्टि की है.
न्यायाधीश दिनेश कुमार शर्मा के समक्ष सीबीआई ने आरोप लगाया कि इस नीति को बनाने के लिए ली गई जनता की राय भी फर्जी थी. राजू ने आगे कहा कि इस नीति के बारे विशेष समिति (रवि धवन की रिपोर्ट) की रिपोर्ट को दरकिनार किया. न्यायालय को बताया कि इसके लिए नीति को सार्वजनिक स्वीकृति दिखाने के लिए फर्जी ई-मेल लगाकर जनता की राय को प्रभावित किया. सीबीआई ने कहा कि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट को दरकिनार करने लिए सिसोदिया के इशारे पर नकली जनता की राय तैयार की गई थी.
सीबीआई ने एक अन्य गवाह राहुल सिंह के बयान का हवाला दिया. सीबीआई ने कहा कि सिंह ने अपने बयान में कहा है कि सिसोदिया ने उनके साथ एक बैठक की थी, जहां उन्होंने कहा था कि इस मामले में गठित मंत्री समूह विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं थे. न्यायालय को यह भी बताया कि सिंह ने अपने बयान में कहा है कि उसने विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में इतने बड़े पैमाने पर संशोधनों के बारे में आपत्ति जताई. इस पर सिसोदिया ने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है और इसमें मंत्रियों के एक समूह द्वारा निर्देश दिए जाएंगे.