इंफाल: मणिपुर में सेना ने न्यू किठेलमंबी गांव की घेराबंदी कर भारी मात्रा में हथियार बरामद किए हैं. इस बीच भारतीय सेना के अधिकारियों ने बताया कि सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करने के लिए आज मणिपुर का दौरा करेंगे. उन्होंने कहा कि स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए किए गए उपायों के बारे में पूर्वी कमान के अधिकारी सेना प्रमुख को जानकारी देंगे.
सेना ने की न्यू किठेलमंबी गांव की घेराबंदी: सेना ने अंधेरा छाने के साथ ही मणिपुर की राजधानी इंफाल से करीब 40 किलोमीटर दूर न्यू किठेलमंबी गांव की घेराबंदी शुरू की और लोगों के घरों पर छापे मारकर हथियार बरामद किए. सेना और असम राइफल्स के जवान शुक्रवार को इंफाल घाटी के किनारे कांगपोकपी जिले में स्थित गांव में घुसे और हथियारों की तलाश की. सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा कि पिछले कुछ दिन में हमने देखा कि समुदाय आग्नेयास्त्रों से एक-दूसरे पर हमला कर रहे हैं. कुछ मामलों में लोगों की हत्या की जा रही है. अचानक से हथियारों के आने से पूरी शांति प्रक्रिया में देरी हो रही है.'
सेना ने कहा कि राज्य में जातीय हिंसा के कारण कई हिस्सों में सशस्त्र समूह कानून अपने हाथ में ले रहे हैं, जिससे शांति प्रक्रिया जटिल हो गयी है. उग्रवादी समूह भी इसमें शामिल हो गए हैं, जिससे जातीय तनाव और भी बढ़ गया है. नाम न उजागर करने की शर्त पर सेना के एक अधिकारी ने बताया कि वे अब राज्य में शांति बहाली के लिए खतरा पहुंचा रहे तत्वों को रोकने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हमारे पास खबरें थीं कि गांव में लोगों के पास आग्नेयास्त्र और विस्फोटक हैं. हमारा मुख्य उद्देश्य राजमार्ग की रक्षा करना है ताकि वहां कोई अप्रिय घटना न हो. करीब 250 ट्रक हर दिन इस सड़क का इस्तेमाल कर रहे हैं और आवश्यक सामान लेकर यहां से गुजरते हैं.'
उधर, भारतीय सेना और असम राइफल्स ने पूरे मणिपुर में अपनी सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी है. हालांकि, शुक्रवार को कर्फ्यू में कुछ घंटों की छूट दी गई थी. यह छूट कुछ इलाकों में सिर्फ दवाइयों और आवश्यक वस्तुओं की खरीद के लिए ही दी गई थी. इस बीच सेना ने कहा कि इंफाल पूर्व और चुरचंदपुर में दोनों सुरक्षा टीमों ने दो समुदायों के बीच गोलीबारी की घटनाओं को रोका गया है, जहां कुछ सशस्त्र बदमाशों ने गोलियां चलाईं और ऊंचे इलाकों की ओर भाग गए. हालांकि, किसी के हताहत होने की खबर नहीं है और आगे की कार्रवाई जारी है.
मणिपुर में इस महीने की शुरुआत में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा था कि हिंसा में लगभग 60 लोगों की जान चली गई है. हिंसा के दौरान घरों को भी जलाया गया और राज्य के कुछ हिस्सों से नई घटनाओं की भी सूचना मिली है. इससे पहले शुक्रवार को मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने बताया कि अतिरिक्त सुरक्षा बलों को राज्य में तैनात किया गया था, जिसमें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF), मणिपुर पुलिस, मणिपुर राइफल्स, इंडिया रिजर्व बटालियन (IRB) और ग्राम रक्षा बल (VDF) के सुरक्षाकर्मी शामिल थे. इनकी तैनाती 38 संवेदनशील क्षेत्रों में की गई थी.
जिन 38 स्थानों पर सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया था, उनमें नपट, हाओटक, सालटन हेयाइकोन, सैटन लीटनपोकपी, नगानुकोन, सलाल कोनजिन, फौगाकचाओ इखाई ममंग, तोरबंग, गोविंदपुर, तोरबंग बंगलो, फौगाकचाओ इखाई मैनिंग, फौगाकचाओ इखाई अवांग, क्वाक्टा मैनिंग, तेराखोंगशांगबी, खुदेकपी शामिल हैं. टोरोंग्लोबी, ओक्सोंगबंग, नगंगखालवई, थम्नापोकपी, नारनसीना, सुनुसिपाई, फुबाला, थिनुंगेई, निंगथौखोंग खा-खुनौ, निंगथोखोंग माचा एबेमा, उपोक्पी, पोतसांगबम, नाचौ, चोथे, नगेरियन ऑयल पंप, कीनौ, इरेंगबाम तलहटी, वारोइचिंग, लीमाराम, कामोंग, हेइक्रूजम, सागंग बाजार और चेयरल मंजिल है.
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मुख्यमंत्री की जनता से अपील: मुख्यमंत्री ने जनता से अपील है कि डरे नहीं. मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में सशस्त्र उग्रवादियों के विरुद्ध अभियान चलाया गया है. उन्होंने कहा कि सभी वर्गों के लोगों के साथ शांति वार्ता करने का प्रयास किया जा रहा है और सरकार मणिपुर में मौजूदा स्थिति के मद्देनजर गठित विभिन्न शांति समितियों से मिल रही है. सीएम ने लोगों से अपील की है कि वे हिंसक गतिविधियों से दूर रहें. निराधार अफवाहों पर विश्वास न करें या न फैलाएं. उन्होंने सामान्य स्थिति लाने के लिए सरकार के प्रयासों के प्रति जनता का समर्थन मांगा है.
गौरतलब है कि अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को कई जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च का आयोजन किया गया था, जिसके बाद मणिपुर में हिंसक झड़पें हुई थीं. मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और ये ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासी- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं. मणिपुर में हुए इस जातीय संघर्ष में 70 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी और पूर्वोत्तर राज्य में सामान्य स्थिति की बहाली के लिए लगभग 10,000 सैन्य और अर्ध-सैन्य कर्मियों को तैनात करना पड़ा था.
(एजेंसियां)