बेल्लारी/मैसूर: मैंगलोर ऑटो रिक्शा विस्फोट मामले में जांच के दौरान यह पता चला है कि आरोपी शारिक ने सिम कार्ड प्राप्त करने के लिए संदूर के एक तकनीकी विशेषज्ञ के दस्तावेज दिए थे. तकनीकी विशेषज्ञ ने डेढ़ साल पहले अपना रिकॉर्ड खो दिया था. बताया जा रहा है कि अरुण कुमार गोवली नाम के एक तकनीकी विशेषज्ञ ने बैंगलोर में अपने दस्तावेज़ खो दिए. उन दस्तावेजों की मदद से ही आरोपी ने एक सिम कार्ड हासिल किया था.
जांचकर्ताओं ने पुष्टि की है कि मामले और टेक के बीच कोई संबंध नहीं है. जानकारी के अनुसार तकनीकी विशेषज्ञ ने जांचकर्ताओं को बताया कि उसने डेढ़ साल पहले बैंगलोर में अपने दस्तावेज खो दिए थे. अरुण कुमार गोवली एमबीए और इंजीनियरिंग स्नातक हैं और बैंगलोर में एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं. मामले से जुड़ी जानकारी लेने के लिए राष्ट्रीय जांच दल के अधिकारी मैसूर पहुंचे हैं और जांच शुरू कर दी है.
राष्ट्रीय जांच विभाग के पांच अधिकारियों की एक टीम ने सोमवार से मैसूर में तलाशी अभियान शुरू किया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि संदिग्ध मैसूर में कहां रहता था, कहां रहने गया, किसके साथ था, किस व्यक्ति के नाम पर उसने फर्जी पता देकर मोबाइल फोन और सिम कार्ड हासिल किया था और कहां से मोबाइल रिपेयरिंग का प्रशिक्षण ले रहा था. साथ ही आरोपी के किराए के कमरे की दोबारा जांच की गई.
स्थानीय पुलिस द्वारा किया गया निरीक्षण
मैसूर पुलिस शहर के कुछ संवेदनशील इलाकों और बाहरी इलाकों में किराए पर लिए गए नए किराएदारों के बारे में जानकारी जुटा रही है. स्थानीय थानों को भी किराया देने वाले मालिकों से जानकारी लेने का निर्देश दिया गया है. इस बीच, जिस घर में संदिग्ध रहता था, वहां एक पुलिस गार्ड को रखा गया है.
सीसीटीवी से भी निगरानी
पर्यटन नगरी मैसूर में देश भर से पर्यटकों के आगमन को देखते हुए संदिग्ध व्यक्तियों पर नजर रखने के लिए शहर के प्रमुख चौराहों, बस स्टैंडों, रेलवे स्टेशनों, पर्यटन स्थलों और होटलों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही सीसीटीवी फुटेज की जांच के लिए स्थानीय पुलिस और खुफिया विभाग को निर्देश दिए गए हैं.
कोयंबटूर में भी पुलिस ने की जांच
जांच के दौरान यह भी सामने आया कि करने पर यह भी पता चला कि आरोपी शारिक तमिलनाडु और केरल में कुछ जगहों पर गया था. साथ ही, फर्जी आधार नंबर और फर्जी व्हाट्सएप नंबर का इस्तेमाल कर उसे कई लॉज में भी ठहराया गया, जो जांच में सामने आया है. जांच में सामने आया कि उसने प्रेम राज के नाम से एक सेलफोन नंबर का इस्तेमाल किया था और वह गौरी अरुणकुमार के रूप में कोयम्बटूर लॉज में भी रुका था.
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इस सत्ते में, शारिक द्वारा उपयोग किए गए व्हाट्सएप अकाउंट में ईशा आधी योगी की प्रतिमा का एक चित्र है, जो कोयंबटूर के सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में से एक है. वह 18 नवंबर तक इस व्हाट्सएप नंबर के जरिए भी सक्रिय था. इस बीच, पुलिस ने कहा, 'हम अपनी जांच को इस तरह के कोणों में संसाधित कर रहे हैं कि क्या आरोपी कोयंबटूर में रहने के दौरान ईशा गया था? क्या कोई उसके साथ ईशा जाने पर था? या फिर उसके पास अपनी मूल पहचान छिपाने के लिए सिर्फ वह डिस्प्ले तस्वीर थी?'