चंडीगढ़ : पंजाब पुलिस ने 8.49 करोड़ रुपये की लूट की मास्टरमाइंड मनदीप कौर उर्फ मोना और उसके पति जसविंदर सिंह को शनिवार को उत्तराखंड से गिरफ्तार किया है. पुलिस ने 'केज द क्वीन बी' अभियान के तहत इन्हें गिरफ्तार किया है. डीजीपी गौरव यादव ने ट्वीट कर कहा कि 100 घंटे के अंदर मास्टरमाइंड को पकड़ लिया गया. वहीं, पुलिस आयुक्त मनदीप सिंह सिद्धू ने भी दंपति की गिरफ्तारी की पुष्टि की है. साथ ही पुलिस ने उनके साथी को भी गिरफ्तार किया है. इससे पहले पुलिस को शक था कि मनदीप और उसका पति नेपाल भाग गए हैं.
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Proud of @Ludhiana_Police & Counter Intelligence unit to solve the CMS Cash Robbery Case after arresting fugitive Mandeep Kaur @ Mona & her Husband Jaswinder Singh from #Uttarakhand
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छह पहले गिरफ्तार किए जा चुके : इससे पहले पुलिस ने छह आरोपियों मनजिंदर सिंह मणि, मनदीप सिंह, हरविंदर सिंह, परमजीत सिंह, हरप्रीत सिंह और नरिंदर सिंह को गिरफ्तार कर उनके पास से 5 करोड़ रुपये बरामद किए थे.
ये है मामला : दरअसल, पिछले हफ्ते लुधियाना शहर में स्थित कैश मैनेजमेंट फर्म सीएमएस इंफो सिस्टम्स लिमिटेड के कार्यालय में 8.49 करोड़ रुपये की पंजाब की सबसे बड़ी लूट के पीछे मास्टरमाइंड और एक महिला नेतृत्व वाले गिरोह के बीच 'लव एंगल' की बात सामने आई है. जिसमें महिला का सपना रातों रात अमीर बनने का था.
सभी 10 आरोपी का आपसी रिश्ता काफी करीब का है. कथित लुटेरों के गिरोह का नेतृत्व मनदीप कौर कर रही थी, जिसके पति और चचेरे भाई को भी लूट के लिए दोषी ठहराया गया था.
कंपनी में काम कर रहा था एक आरोपी : एक अन्य मास्टरमाइंड मनजिंदर सिंह मणि, जो सीएमएस इंफो सिस्टम्स लिमिटेड में चार साल से कार्यरत है, उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया है. पुलिस कमिश्नर सिद्धू ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि अपराध करने का मकसद रातों-रात अमीर बनना था. सिद्धू ने पत्रकारों को जब्त नोटों के बंडल दिखाते हुए कहा कि मनदीप कौर और मनजिंदर मणि के बीच काफी नजदीकियां नजर आती हैं. कौर को विदेश जाने के लिए पैसों की जरूरत थी.
पुलिस ने पंजाब से ताल्लुक रखने वाले संदिग्धों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) प्रणाली का इस्तेमाल किया. सिद्धू ने कंपनी पर नकदी की सुरक्षा में लापरवाही का आरोप लगाया.
गौरतलब है कि लुधियाना के पुलिस कमिश्नर मनदीप सिद्धू पहले ही कह चुके हैं कि आरोपियों को पकड़ने के लिए अब तक करीब 1 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं. साथ ही पैसे की तलाश में कर्मचारियों को सीवरेज लाइन में उतरना पड़ा. आरोपियों ने घटना के दिन काले कपड़े इसलिए पहने, ताकि रात में कुछ नजर न आए. उन्होंने बताया था कि कंपनी से लागत वसूलने को लेकर डीजीपी से बातचीत चल रही है.
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(इनपुट एजेंसी)