बगहा: पिछले एक महीने से बिहार के बगहा में आदमखोर बाघ के आतंक का अंत (Tiger Killed in Bagaha) हो गया है. वन विभाग के कर्मियों ने नरभक्षी बाघ को मार गिराया है. गन्ने के खेत में घिर चुके बाघ को वनकर्मियों ने 4 गोलियां मारी. चार गोली लगने के बाद बाघ वहीं गन्ने के खेत ढेर हो गया. पिछले तीन दिन से लगातार इंसानों को अपना शिकार बना रहा था. पिछले चार दिनों ने बाघ ने चार लोगों को अपना शिकार बनाया था. इस तरह बाघ ने पिछले एक महीने में 9 लोगों को मार डाला था.
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बगहा में बाघ के खौफ का अंत: लगातार कई लोगों को अपना शिकार बना चुके आदमखोर बाघ को अब मारने का आदेश जारी किया गया था. बिहार के चीफ वाइल्ड लाईफ वार्डन पीके गुप्ता ने बाघ को मारने का आदेश जारी किया था. जिसके बाद टीम ने पहले उसे पकड़ने की कोशिश की लेकिन बाघ के खतरनाक रुख को देखते हुए उसे गोली मारनी पड़ी. बता दें कि इलाके में बढ़ते गुस्से को देखते हुए यह आदेश जारी किया गया था.
''आज आदमखोर बाघ को हमलोग ढेर कर दिए. कल सुबह से अंचल प्रशासन, जिला प्रशासन, बेतिया प्रशासन लगा हुआ था. देखते ही मारने का ऑर्डर प्राप्त किए. फिर शूटर बुलाए. साढ़े 9 बजे रात में शूटर की चार टीमों का गठन किया. सुबह में सभी को भेजा गया. हमलोग मॉनिटरिंग कर रहे थे. आज सुबह में बाघ ने लोगों की जान ले ली. हमलोग ट्रेकिंग करके उसे आज मार दिए हैं. वन विभाग और एसटीएफ ने मिलकर यह सफलता हासिल की है. शूट एंड साइट किया गया है. वह बाघ मर चुका है. किसी प्रकार का कोई संदेह नहीं है.''- विनोद कुमार मिश्रा, सीओ, रामनगर
बाघ को देखते ही गोली मारने का था आदेश : सरकार ने आदमखोर बन चुके इस बाघ को देखती ही गोली मारने का आदेश दे दिया था. वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व के क्षेत्र निदेशक नेशामणि के ने बताया कि बाघ के रेस्क्यू के लिए हैदराबाद, पटना से आई टीम पहले से तैनात थी. बाघ को मारने के लिए पुलिस के शार्प शूटर की भी मदद ली गई. बाघ पर काबू पाने के लिए करीब 25 दिन से वन विभाग की टीम प्रयास कर रही थी. आखिरकार शनिवार को वन विभाग की टीम ने बाघ का अंत कर दिया.
तीन दिन में चोर लोगों को बनाया था शिकार : आदमखोर बाघ ने शनिवार को फिर से दो लोगों (मां और पुत्र) को अपना निशाना बना लिया है. पिछले तीन दिनों में इस आदमखोर बाघ ने चार लोगों को मार डाला था. इस बीच, हालांकि बाघ को मारने का आदेश दे दिया गया था. वन विभाग और विशेषज्ञों की टीम इस कार्य में लगी हुई थी.
बाघ ने अब तक 9 लोगों का किया था शिकार : शुक्रवार को गोवर्धना थाना इलाके के बलुआ गांव में बाघ ने मां-बेटे पर हमला कर दिया. इस हमले में दोनों की मौत हो गई. बताया जाता है कि महिला अपने पुत्र को लेकर खेत में घास लेने गई थी कि बाघ ने दोनों पर हमला कर दिया था, जिससे दोनों की मौत हो गई. आदमखोर बाघ ने शुक्रवार को डुमरी गांव में संजय यादव को मार दिया था. बुधवार की रात सोए अवस्था में एक बच्ची को निशाना बनाया था. पिछले एक महीने में बाघ ने 9 लोगों का शिकार किया था.
आदमखोर कैसे बना बाघ? : वीटीआर के डीएफओ प्रद्युम्न गौरव की माने तो बाघ की प्रवृति मैन ईटर की हो गई थी. लेकिन क्या सभी बाघ आदमखोर नहीं होते है? अगर हां तो फिर कौन से बाघ आदमखोर होते हैं? पश्चिम बंगाल के वाइल्ड लाइफ वार्डन चीफ देवल रॉय की माने तो आमतौर पर टाइगर इंसानों से बचते हैं. वे कोशिश करते हैं कि इंसान उन्हें देख न सकें. यानि बाघ की टारगेट लिस्ट में इंसान नहीं होते है. टाइगर इंसानों को अपना भोजन नहीं समझते हैं. आप पूछेंगे ऐसा क्यों?
''ये बाघ जंगल में रहने की प्रवृति को छोड़ चुका था, रिकार्ड से पता चला है कि इस बाघ का जन्म 3 साल पहले गन्ने के खेत में ही हुआ था, इसलिए वो बार-बार खेत में आ जा रहा था. पहली दो घटनाएं जंगल से सटे सीमा क्षेत्र में हुई थी, लेकिन अब अगल-अलग क्षेत्र में बाघ अटैक कर रहा था. इससे ये साफ हो गया है कि इसकी प्रवृति मैन ईटर की हो गई थी. इसलिए इसे मारने का ऑडर दिया गया था" - प्रद्युम्न गौरव, डीएफओ वीटीआर
दरअसल, एक टाइगर एक बार में औसतन 45 किलोग्राम मीट खाता है. इंसान का औसत वजन 70 किलोग्राम होता है जिसमें हड्डी और पानी आदि होता है. ऐसे में टाइगर को खाने के लिए कम ही मिलता है. इस तरह से इंसान को मारने से टाइगर की भूख मिटने की संभावना कम रहती है. मीट यामी मांस की क्वॉलिटी भी टाइगर को नहीं अच्छी लगती है. इसलिए, इंसान टाइगर की टारगेट लिस्ट में नहीं होते.
इंसान पर हमला करने वाले टाइगर कौन होते हैं? : ऐसे में सवाल ये है कि इंसान पर हमला करने वाले टाइगर कौन होते हैं?. दरअसल, समस्या तब शुरू होती है जब टाइगर बूढ़ा हो जाता है, दूसरे जानवर के साथ लड़ाई में या किसी अन्य कारण से घायल हो जाता है. इसके अलावा अगर टाइगर ज्यादा चल फिर नहीं पाता, हिरण या दूसरे जानवर का शिकार करना उसके लिए मुश्किल हो जाता है. बूढ़े होने के कारण उसके दांत घिस जाते हैं या गिर जाते हैं. ऐसे में उसके लिए खाने की व्यवस्था करना मुश्किल हो जाता है.
बूढ़े शेर का शिकार कौन? : जब जब बूढ़ा हो जाता है तो उसे लगता है कि इंसान उसके लिए सबसे आसान शिकार हैं क्योंकि वह आसानी से बिना ज्यादा भागे हमला कर सकता है और इंसान का मांस भी जानवर की अपेक्षाकृत नरम होता है. एक बार इंसान का खून लगने के बाद वह मैन ईटर यानी नरभक्षी बन जाता है. जानवरों के साथ संघर्ष बढ़ने के लिए कुछ हद तक इंसान भी जिम्मेदार हैं. जंगल घटते जा रहे हैं, जंगली जानवरों के लिए उनका ठिकाना असुरक्षित होता जा रहा है और वे रिहायशी इलाकों की तरफ भाग रहे हैं. ऐसे में उनके हमले भी बढ़ते हैं.