कोलकाता : पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने शनिवार को कहा कि 1999 में कंधार में आईसी-814 विमान के अपहरण के बाद से चल रहे तनाव के बीच, ममता बनर्जी ने बंधकों को रिहा करने के बदले खुद को बंधक के रूप में रखने की पेशकश की थी. भाजपा के दिग्गज नेता रहे और अटल बिहारी सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने शनिवार को तृणमूल कांग्रेस की सदस्यता ली. इस मौके पर सिन्हा ने यहां मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी के बारे में वो किस्सा सुनाया, जब ममता बनर्जी ने कथित तौर पर कंधार हाईजैक के समय खुद को आतंकियों के पास बंधक के रूप में भेजे जाने की मांग रखी थी.
देश के लिए कुर्बानी देने को तैयार
सिन्हा ने कहा कि जब इंडियन एयरलाइंस का हवाई जहाज हाईजैक कर लिया गया था और आतंकवादी उसे कंधार ले गए थे, तब कैबिनेट में एक दिन चर्चा हो रही थी तो ममता बनर्जी ने ऑफर किया कि वह स्वयं बंधक बनकर जाएंगी. शर्त ये होनी चाहिए कि बाकी जो बंधक हैं, उनको आतंकवादी छोड़ दें और वो उनके कब्जे में चली जाएंगी. उसके बाद जो कुर्बानी देनी होगी, वो देश के लिए देने को तैयार होंगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धुर विरोधी यशवंत सिन्हा शनिवार को ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए. उन्होंने कहा कि तब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार में तृणमूल कांग्रेस सहयोगी थी. मंत्रिमंडल की बैठक में ममता ने स्वेच्छा से पेशकश की थी कि बंधकों को छुड़ाने के लिए उन्हें अपहरणकर्ताओं से बातचीत करने के लिए कंधार भेजा जाए. सिन्हा ने कहा कि वह (ममता) अपनी जान को लेकर बिल्कुल नहीं डरतीं.
2018 में भाजपा छोड़ दी थी
उन्होंने बताया कि तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने का फैसला करने से पहले उनकी करीब 45 मिनट तक ममता बनर्जी से बातचीत हुई थी. सिन्हा ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस की विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीत समय की मांग है. उन्होंने कहा कि इससे वर्ष 2024 के लोक सभा चुनाव में मोदी सरकार की हार और देश को बचाने के लिए संदेश जाएगा. सिन्हा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी निभा चुके हैं, लेकिन भगवा पार्टी के नेतृत्व से मतभेदों के चलते वर्ष 2018 में उन्होंने भाजपा छोड़ दी थी.
देश का लोकतंत्र खतरे में है
उनके बेटे जयंत सिन्हा झारखंड की हजारीबाग लोक सभा सीट से भाजपा के सांसद हैं. जीवन के आठ दशक पूरे कर चुके सिन्हा ने वर्ष 2019 में हुए लोक सभा चुनाव में भी तृणमूल कांग्रेस के लिए प्रचार किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर हमला करते हुए सिन्हा ने कहा कि उनके शासन में देश का लोकतंत्र खतरे में है. सिन्हा ने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती उसकी संस्थाओं में निहित है और सभी संस्थाओं को व्यवस्थित तरीके से कमजोर किया जा रहा है.
मूल्यों एवं सिद्धांतों को महत्व नहीं
सिन्हा ने कहा कि देश अजीब स्थिति से गुजर रहा है. जिन मूल्यों एवं सिद्धांतों को हम बहुत महत्व देते रहे हैं, उनका और हमारे गणतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि देश के किसान दिल्ली के नजदीक महीनों से बैठे हैं, लेकिन सरकार को कोई चिंता नहीं है. सत्तारूढ़ पार्टी का एक ही उद्देश्य है और वह है किसी भी तरह से चुनाव जीतना है. सिन्हा (83 वर्षीय) ने भाजपा के खिलाफ लड़ाई में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का समर्थन करने का संकल्प जताया.
भाजपा की पराजय का आगाज
उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस भारी बहुमत से जीत दर्ज करेगी, लेकिन हमें इस जीत को अगले चरण पर ले जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि (गोपाल कृष्ण) गोखले ने कहा था कि बंगाल जो आज सोचता है उसे भारत कल सोचता है. बंगाल बदलाव का वाहक हो. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की जीत से 2024 के आम चुनाव में बदलाव और उनके (मोदी-शाह) नेतृत्व वाली भाजपा की पराजय का आगाज होगा.
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सिन्हा ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भाजपा आज की भगवा पार्टी से अलग थी. उन्होंने कहा कि अटल जी सहमति में भरोसा करते थे. अब मोदी और शाह विपक्ष की राय को कुचलने में विश्वास करते हैं. अटल जी लोगों को साथ लेकर चलने में भरोसा करते थे, लेकिन आज का भाजपा शासन लोगों पर जीत दर्ज करने में भरोसा करता हैं. सिन्हा ने कहा कि अटल जी गठबंधन में भरोसा करते थे, लेकिन आज सहयोगी दल एक के बाद एक भाजपा का साथ छोड़ रहे हैं.
गणतंत्र को बचाने की मुहिम
वयोवृद्ध नेता ने कहा कि आज की लड़ाई केवल चुनाव जीतने के लिए नहीं, बल्कि गणतंत्र को बचाने के लिए है. उन्होंने कहा कि यह सरकार चुनाव जीतने के लिए कुछ भी कर सकती है. ममता पर हमले की वजह से मैंने उनके साथ काम करने का फैसला किया. सिन्हा ने यह टिप्पणी 10 मार्च को ममता बनर्जी पर नंदीग्राम में हुए कथित हमले के संदर्भ में की. इससे पहले तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने उनका पार्टी में स्वागत करते हुए कहा कि हम अपनी पार्टी में यशवंत सिन्हा का स्वागत करते हैं.
सिविल सेवा से राजनीति में आए
सिन्हा ने वर्ष 1990 में चंद्रशेखर की सरकार में वित्त मंत्री की जिम्मेदारी निभाई थी और इसके बाद वाजपेयी मंत्रिमंडल में भी उन्हें इस मंत्रालय का कार्यभार मिला. उन्होंने वाजपेयी सरकार में विदेश मंत्री की भी जिम्मेदारी निभाई. सिन्हा वर्ष 1977 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के प्रधान सचिव थे, लेकिन लोकनायक जयप्रकाश नारायण से प्रभावित होकर वर्ष 1984 में उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया और राजनीति में चले आए.