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गुटबाजी को खत्म करने के लिए ममता बनर्जी ने मदन मित्रा पर जताया विश्वास - पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए आठ चरणों में मतदान कराए जाने हैं. ममता बनर्जी ने आज कहा है कि वे सिर्फ नंदीग्राम सीट से ही चुनाव लड़ेंगी. ममता बनर्जी ने तृणमूल उम्मीदवारों की सूची जारी की. 50 महिलाओं की टिकट दिया गया है. ममता 10 मार्च को नामांकन दाखिल करेंगी. पार्टी नौ मार्च को घोषणा पत्र जारी करेगी.

mamata banerjee keeps faith on madan mitra
ममता बनर्जी ने मदन मित्र पर जताया विश्वास
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Published : Mar 5, 2021, 10:49 PM IST

कोलकाता: ममता बनर्जी ने आज तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों का एलान करते हुए कहा, 'मैं नंदीग्राम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ूंगी, जबकि शोभनदेब चट्टोपाध्याय भवानीपुर सीट से चुनाव लड़ेंगे.' इससे पहले ममता भवानीपुर से चुनाव जीतती आ रहीं थीं. उऩ्होंने आज उम्मीदवारों की सूची जारी की. 294 में से 291 सीटों पर टीएमसी चुनाव लड़ेगी. तीन सीटें सहयोगी पार्टी को दी गई है.

वहीं, वित्तीय घोटाले के आरोप में मदन मित्रा को सलाखों के पीछे जाना पड़ा. अंत में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया और उसके बाद उन्होंने काफी समय तक चुप्पी साधे रखी. हालांकि, उन्होंने हमेशा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ कुछ भी बोलने से परहेज किया. संभवत: इसके लिए मदन मित्रा को इसका ईनाम भी मिला. सीएम ममता बनर्जी ने शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों के लिस्ट जारी की. इस लिस्ट में मुख्यमंत्री ने उत्तर 24 परगना के कामरहटी से मदन मित्रा को कैंडीडेट के रूप में उतारा.

बता दें, 2011 के चुनाव में भी मदन मित्रा इसी विधानसभा क्षेत्र से चुने गए थे. उसके बाद उन्हें राज्य परिवहन और खेल विभाग का मंत्री पद सौंपा गया था. उनका नाम शारदा चिट फंड में उनका नाम सामने आया और सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. इसी सिलसिले में उनको मंत्री और विधायकी से हाथ धोना पड़ा. उन्होंने जेल में रहकर 2016 का विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन वह माकपा के मानस मुखर्जी से चुनाव हार गए.

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में एक बार फिर वह इस विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं. इस बार 24 परगना में तृणमूल कांग्रेस की स्थिति कुछ कमजोर है. जिले से तृणमूल नेता अर्जुन सिंह पहले से ही भाजपा के लोकसभा सांसद हैं. यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि जिले के एक और पूर्व नेता दिनेश त्रिवेदी भी जल्द ही भगवा खेमे में शामिल हो सकते हैं. मित्रा की सबसे खास बात यह है कि उनका जनसंपर्क बहुत मजबूत है.

पढ़ें: प. बंगाल विधानसभा चुनाव : नंदीग्राम ही क्यों, मजबूरी या रणनीति

ममता बनर्जी के बाद उन्हें तृणमूल में जनता का नेता माना जाता है. हालांकि वह कुछ समय के लिए लाइमलाइट से दूर थे, फिर से मुख्यमंत्री का करीबी होने के नाते उनको टिकट मिला. इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि उन्होंने शुवेंदु अधिकारी और राजीब बंदोपाध्याय की तरह भारतीय जनता पार्टी में शामिल नहीं हुए. उन्होंने ममता बनर्जी पर एक गीत की रचना भी की है.

कोलकाता: ममता बनर्जी ने आज तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों का एलान करते हुए कहा, 'मैं नंदीग्राम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ूंगी, जबकि शोभनदेब चट्टोपाध्याय भवानीपुर सीट से चुनाव लड़ेंगे.' इससे पहले ममता भवानीपुर से चुनाव जीतती आ रहीं थीं. उऩ्होंने आज उम्मीदवारों की सूची जारी की. 294 में से 291 सीटों पर टीएमसी चुनाव लड़ेगी. तीन सीटें सहयोगी पार्टी को दी गई है.

वहीं, वित्तीय घोटाले के आरोप में मदन मित्रा को सलाखों के पीछे जाना पड़ा. अंत में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया और उसके बाद उन्होंने काफी समय तक चुप्पी साधे रखी. हालांकि, उन्होंने हमेशा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ कुछ भी बोलने से परहेज किया. संभवत: इसके लिए मदन मित्रा को इसका ईनाम भी मिला. सीएम ममता बनर्जी ने शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों के लिस्ट जारी की. इस लिस्ट में मुख्यमंत्री ने उत्तर 24 परगना के कामरहटी से मदन मित्रा को कैंडीडेट के रूप में उतारा.

बता दें, 2011 के चुनाव में भी मदन मित्रा इसी विधानसभा क्षेत्र से चुने गए थे. उसके बाद उन्हें राज्य परिवहन और खेल विभाग का मंत्री पद सौंपा गया था. उनका नाम शारदा चिट फंड में उनका नाम सामने आया और सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. इसी सिलसिले में उनको मंत्री और विधायकी से हाथ धोना पड़ा. उन्होंने जेल में रहकर 2016 का विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन वह माकपा के मानस मुखर्जी से चुनाव हार गए.

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में एक बार फिर वह इस विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं. इस बार 24 परगना में तृणमूल कांग्रेस की स्थिति कुछ कमजोर है. जिले से तृणमूल नेता अर्जुन सिंह पहले से ही भाजपा के लोकसभा सांसद हैं. यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि जिले के एक और पूर्व नेता दिनेश त्रिवेदी भी जल्द ही भगवा खेमे में शामिल हो सकते हैं. मित्रा की सबसे खास बात यह है कि उनका जनसंपर्क बहुत मजबूत है.

पढ़ें: प. बंगाल विधानसभा चुनाव : नंदीग्राम ही क्यों, मजबूरी या रणनीति

ममता बनर्जी के बाद उन्हें तृणमूल में जनता का नेता माना जाता है. हालांकि वह कुछ समय के लिए लाइमलाइट से दूर थे, फिर से मुख्यमंत्री का करीबी होने के नाते उनको टिकट मिला. इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि उन्होंने शुवेंदु अधिकारी और राजीब बंदोपाध्याय की तरह भारतीय जनता पार्टी में शामिल नहीं हुए. उन्होंने ममता बनर्जी पर एक गीत की रचना भी की है.

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