नई दिल्ली : विदेश मंत्रालय (External Affairs Ministry) ने गुरुवार को कहा कि माले में भारतीय उच्चायोग पर हमले की आशंका के खिलाफ मालदीव की सरकार ने त्वरित कार्रवाई की और सभी तरह के एहतियाती कदम उठाये जा रहे हैं.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने संवाददाताओं से कहा कि मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की पार्टी से जुड़े एक विपक्षी नेता के 23 दिसंबर के ट्वीट में माले स्थित भारतीय उच्चायोग पर हमले की अपील किये जाने के बाद सभी तरह के एहतियाती कदम उठाये जा रहे हैं.
पूर्व में मालदीव की सरकार में आधिकारिक पद संभालने वाले अब्बास आदिल रीजा ने अपने ट्वीट में आरोप लगाया था कि आठ फरवरी 2012 को भारत के आदेश पर अड्डू शहर पर हमला एवं आगजनी हुई थी. इसी की पृष्ठभूमि में रीजा ने माले में भी भारतीय उच्चायोग पर हमला और आगजनी करने की अपील की थी.
मालदीव की सरकार ने इस धमकी से जुड़े मामले की जांच शुरू कर दी है. इस बारे में बागची ने कहा, 'आपने मालदीव सरकार के बयान को देखा होगा, साथ ही वहां के विभिन्न दलों द्वारा इसकी निंदा किये जाने की बात भी देखी होगी.' उन्होंने कहा, 'हमने देखा है कि वहां की सरकार ने त्वरित कार्रवाई की है तथा भारतीय उच्चायोग वहां की सरकार के सम्पर्क में है.'
भारत के यूक्रेन अन्न गलियारा में शामिल होने की संभावना नहीं : वहीं, विदेश मंत्रालय नेकहा कि भारत के यूक्रेन अन्न गलियारा में शामिल होने की संभावना नहीं है और वैश्विक दक्षिण क्षेत्र में विभिन्न देशों को खाद्यान्न सहायता पहुंचाने के लिये भारत के पास द्विपक्षीय तंत्र मौजूद है. यह पूछे जाने पर कि क्या भारत अन्न गलियारा में शामिल होने पर विचार कर रहा है, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने संवाददाताओं से कहा, 'हम वैश्विक दक्षिण क्षेत्र में देशों को सहायता पहुंचा रहे हैं। मेरे पास स्पष्टता नहीं है कि हम इसमें (अन्न गलियारा) शामिल होंगे, संभवत: नहीं। हमारा ध्यान दक्षिण-दक्षिण द्विपक्षीय तंत्र पर होगा.'
उन्होंने कहा, 'अभी की स्थिति में मेरे पास यह जानकारी नहीं है कि क्या हम इस पहल में शामिल होना चाहते हैं।’’ गौरतलब है कि यूक्रेन के बंदरगाहों से अन्न एवं खाद्य सामग्री के सुरक्षित परिवहन की पहल 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले के दौरान रूस एवं यूक्रेन के बीच तुर्किये और संयुक्त राष्ट्र का समझौता है जिसे काला सागर अन्न गलियारा पहल के रूप में जाना जाता है.
यह पूछे जाने पर कि क्या अमेरिका के प्रतिबंध के बीच रूस के एक जहाज ने भारतीय बंदरगाह पर लंगर डाला था, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत ने इस विषय पर कोई नीतिगत बयान नहीं दिया है. उन्होंने कहा, 'क्या प्रतिबंधित है, क्या नहीं है...यह तकनीकी मामला है और मैं समझता हूं कि तेल प्राप्त करने के मामले में हमने अपनी स्थिति बार-बार स्पष्ट की है.'
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(पीटीआई-भाषा)