सूरत : गुजरात विधानसभा चुनाव में दिल्ली के मुख्यमंत्री 'आप' संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपने पूर्व विभाग (आयकर विभाग) के एक पूर्व अफसर को उतारा है. केजरीवाल ने मजुरा सीट (Majura Seat) पर गृह राज्यमंत्री हर्ष संघवी के खिलाफ इनकम टैक्स विभाग के पूर्व ज्वाइंट कमिश्नर पीवीएस शर्मा को उतारा है (majura seat kejriwal fielded former officer pvs sharma against sanghvi). शर्मा इससे पहले भाजपा के शहर उपाध्यक्ष रह चुके हैं. भाजपा छोड़कर वह आम आदमी पार्टी में शामिल हुए हैं.
तेलंगाना में जन्मे : पीवीएस शर्मा का जन्म दिसंबर 1964 में तेलंगाना के देवगर कोंडा गांव में हुआ था. उन्होंने हैदराबाद में बीकॉम की पढ़ाई की है. इसके बाद उन्होंने वड़ोदरा में एमएस यूनिवर्सिटी में मैनेजमेंट और लेबर की पढ़ाई की, फिर इनकम टैक्स की परीक्षा दी और इसे क्लियर किया. उन्होंने 1990 में वडोदरा में आयकर विभाग ज्वाइन किया था. आज तक देखें तो वह सूरत में डायमंड टेक्सटाइल और बिल्डर ग्रुप पर रेड कर चुके हैं.
मोदी की सलाह पर लिया था वीआरएस अब भाजपा के खिलाफ ही लड़ेंगे : वह 1992 में सूरत में आईटी इंस्पेक्टर के रूप में स्थानांतरित हुए थे. उन्होंने 2007 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सलाह पर वीआरएस लेकर भाजपा ज्वाइन की थी. डेढ़ दशक में डनभाल के कॉर्पोरेट और भाजपा सूरत महानगर के उपाध्यक्ष सहित विभिन्न पदों पर रहने के बाद उन्होंने राज्य नेतृत्व पर 'दुर्व्यवहार और बदले की भावना' का आरोप लगाते हुए भाजपा छोड़ दी थी. वह 9 नवंबर को आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे.
नोटबंदी के दौरान की थी पीएम से शिकायत : उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ऑनलाइन शिकायत की थी कि नोटबंदी के दौरान सूरत में कुछ ज्वेलर्स, सीए और आयकर विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों का भ्रष्टाचार हुआ. उन्होंने नोटबंदी के बाद सूरत में एक जौहरी की दुकान पर गंभीर आरोप लगाए थे. हालांकि, आरोप लगाने के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की गई और उन्हें जेल हो गई. इसके बाद उन्होंने आत्महत्या करने की भी कोशिश भी की थी.
शर्मा बोले- भ्रष्टाचार की बीमारी से निपटेंगे केजरीवाल : पीवीएस शर्मा ने कहा कि ' मैं केवल 24 साल का था जब मैंने सरकारी नौकरी शुरू की थी और अगर मैं राजनीति में नहीं आया होता, तो एक वरिष्ठ पद पर होता. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात में स्थिति दिशाहीन जहाज जैसी हो गई है. हमने कई जगह शिकायत भी की. शिकायतों के बाद भी कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो पता चला कि गुजरात की राजनीति बहुत गंदी हो चुकी है. भारतीय जनता पार्टी समुद्र में एक ऐसा जहाज है कि जिसे नहीं पता कि वह कहां जा रहे हैं. मैं अरविंद केजरीवाल और अन्ना हजारे को आंदोलन के पहले से जानता हूं. वह आरटीआई कार्यकर्ता के रूप में भी भ्रष्टाचार विरोधी गतिविधियां करते रहे हैं. गुजरात में भ्रष्टाचार की जो भी बीमारी है, उसे अरविंद केजरीवाल साल 2022 में संभाल लेंगे.'
दो बार से जीतती आई है भाजपा : मजुरा विधानसभा सीट से गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी भाजपा के उम्मीदवार हैं. इस सामान्य सीट पर पिछले 2 बार से बीजेपी का कब्जा रहा है. यहां जैन मारवाड़ी, मोधा वनिका समुदाय प्रमुख रूप से हावी है. हर्ष संघवी ने 2012 में मजुरा सीट से पहली बार चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी. तब वह केवल 27 वर्ष के थे. वो फिलहाल गुजरात कैबिनेट में गृह मंत्री के पद पर काबिज हैं. मजुरा सीट को लेकर आम आदमी पार्टी की एंट्री ने बीजेपी के लिए कुछ चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस भी जिस तरह अथक परिश्रम कर रही है, यह सीट 2022 में किसके हाथ लगती है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा. लेकिन राजनीतिक जानकारों की मानें तो इस सीट पर बीजेपी सबसे बड़ी दावेदार है.
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