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तमिलनाडु के अधिकतर लोगों ने समिति से कहा कि वे नीट नहीं चाहते: न्यायमूर्ति राजन - नीट

नीट की परीक्षा को लेकर फिलहाल विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है. अब तमिलनाडु में इस परीक्षा के प्रभाव और इसके क्रियान्वयन संबंधी मुद्दों पर एक रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी गई है.

Justice AK Rajan, CM MK STALIN
सीएम को सौंपी गई रिपोर्ट
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Published : Jul 14, 2021, 8:15 PM IST

चेन्नई: तमिलनाडु में नीट परीक्षा को लेकर राज्य सरकार को फैसला लेना है, क्योंकि मद्रास उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए के राजन की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति ने बुधवार को इस संबंध में सीएम एम के स्टालिन को अपनी रिपोर्ट सौंप दी. मद्रास उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए के राजन की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति ने इस रिपोर्ट को तैयार किया है.

न्यायमूर्ति राजन ने कहा कि मुख्यमंत्री स्टालिन को 165 पन्नों की पूरी रिपोर्ट सौंपी गई है और प्रमुख विषयों पर उनका ध्यान आकर्षित किया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार से की गयी सिफारिशों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता. उन्होंने मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंपने के बाद सचिवालय में संवाददाताओं से कहा कि पक्षकारों के करीब 86,000 सुझावों पर विचार करने के बाद रिपोर्ट तैयार की गई है.

पढ़ें: नीट परीक्षा अब 13 भाषाओं में आयोजित होगी, कुवैत में खुला परीक्षा केंद्र

इनमें से अधिकतर लोगों ने कहा कि वे 'नीट नहीं चाहते'. न्यायमूर्ति राजन ने कहा कि इस राष्ट्रीय परीक्षा के परीक्षार्थियों, लोगों और समाज के अनेक वर्गों पर पड़ने वाले असर का अध्ययन किया गया है और रिपोर्ट पूरी तरह आंकड़ों पर आधारित है, ना कि व्यक्तिगत रायों पर. उन्होंने कहा कि समिति का काम पूरा हो गया है और हम काम को लेकर संतुष्ट हैं.

(पीटीआई-भाषा)

चेन्नई: तमिलनाडु में नीट परीक्षा को लेकर राज्य सरकार को फैसला लेना है, क्योंकि मद्रास उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए के राजन की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति ने बुधवार को इस संबंध में सीएम एम के स्टालिन को अपनी रिपोर्ट सौंप दी. मद्रास उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए के राजन की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति ने इस रिपोर्ट को तैयार किया है.

न्यायमूर्ति राजन ने कहा कि मुख्यमंत्री स्टालिन को 165 पन्नों की पूरी रिपोर्ट सौंपी गई है और प्रमुख विषयों पर उनका ध्यान आकर्षित किया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार से की गयी सिफारिशों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता. उन्होंने मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंपने के बाद सचिवालय में संवाददाताओं से कहा कि पक्षकारों के करीब 86,000 सुझावों पर विचार करने के बाद रिपोर्ट तैयार की गई है.

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इनमें से अधिकतर लोगों ने कहा कि वे 'नीट नहीं चाहते'. न्यायमूर्ति राजन ने कहा कि इस राष्ट्रीय परीक्षा के परीक्षार्थियों, लोगों और समाज के अनेक वर्गों पर पड़ने वाले असर का अध्ययन किया गया है और रिपोर्ट पूरी तरह आंकड़ों पर आधारित है, ना कि व्यक्तिगत रायों पर. उन्होंने कहा कि समिति का काम पूरा हो गया है और हम काम को लेकर संतुष्ट हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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