एर्नाकुलम : केरल उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पूर्व मंत्री केटी जलील द्वारा लोकायुक्त रिपोर्ट के खिलाफ दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्हें भाई-भतीजावाद का दोषी पाया गया है. जस्टिस पीबी सुरेश कुमार और जस्टिस के बाबू की डिविजन बेंच ने लोकायुक्त के फैसले को बरकरार रखा है.
बेंच ने पाया कि लोकायुक्त की ओर से फैसला सुनाने में कोई भी चूक नहीं हुई थी और इसलिए उच्च न्यायालय इस फैसले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता है.
लोकायुक्त द्वारा जारी आदेश में यह देखा गया कि जलील ने सत्ता का दुरुपयोग किया और इसलिए वे मंत्री के पद पर रहने के योग्य नहीं हैं. उन पर आरोप है कि उन्होंने नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अपने रिश्तेदार केटी अदीब को केरल राज्य अल्पसंख्यक विकास निगम के महाप्रबंधक के रूप में नियुक्त किया था.
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जलिल ने अपनी याचिका में लोकायुक्त की रिपोर्ट के खिलाफ आरोप लगाया था कि बिना प्रारंभिक जांच के और प्रक्रियाओं का बगैर पालन किए रिपोर्ट तैयार किया गया था. जलील के इस दावे का राज्य सरकार ने भी समर्थन किया था.
गौरतलब है कि पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री केटी जलील ने पिछले मंगलवार को ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.