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नौकरी के बदले नकद मामला: जमानत मिलने के बाद मुख्य आरोपी राकेश पॉल जेल से रिहा

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Published : Mar 29, 2023, 10:25 AM IST

असम का यह घोटाला 2016 में कांग्रेस की तरुण गोगोई सरकार में हुआ था, बीजेपी की सरकार बनने के बाद यह घोटाला उजागर हुआ था.

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गुवाहाटी: नौकरी के बदले नकद मामले के मुख्य आरोपी एवं असम लोक सेवा आयोग (एपीएससी) के पूर्व अध्यक्ष राकेश पॉल को जेल से रिहा कर दिया गया है. राकेश को गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने 24 मार्च को कृषि विकास अधिकारी के पद पर नौकरी देने के एवज में रिश्वत लेने के मामले में जमानत दे दी थी. अधिकारियों ने बताया कि कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने में समय लगने के कारण उनकी रिहाई में तीन दिन की देरी हुई.

मंगलवार को जेल से रिहा होने के बाद पॉल ने पत्रकारों से कहा कि मामला विचाराधीन होने के कारण वह इस पर अभी कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. पॉल ने बताया कि जेल में उन्होंने नामघर, सत्संग केंद्र और संगीत विद्यालय के निर्माण सहित कई गतिविधियों में हिस्सा लिया. न्यायमूर्ति देवाशीष बारुआ की एकल पीठ ने इस आधार पर पॉल को जमानत दे दी थी कि पॉल पहले ही इस अपराध के लिए अधिकतम सजा की आधी सजा काट चुके हैं.

न्यायमूर्ति बारुआ ने पॉल को कुछ शर्तों के साथ जमानत दी जिसमें पासपोर्ट जमा कराना, पूर्व सूचना दिए बगैर गुवाहाटी छोड़कर न जाना और मामले के सबूतों से छेड़छाड़ न करना शामिल है. डिब्रूगढ़ पुलिस ने नवंबर 2016 में पॉल को गिरफ्तार किया था और तब से वह न्यायिक हिरासत में थे. इस घोटाले के संबंध में पॉल के अलावा असम सिविल और पुलिस सेवा के अधिकारियों समेत 70 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया था.

बता दें, असम का यह घोटाला 2016 में कांग्रेस की तरुण गोगोई सरकार में हुआ था, बीजेपी की सरकार बनने के बाद यह घोटाला उजागर हुआ था.

पीटीआई-भाषा

गुवाहाटी: नौकरी के बदले नकद मामले के मुख्य आरोपी एवं असम लोक सेवा आयोग (एपीएससी) के पूर्व अध्यक्ष राकेश पॉल को जेल से रिहा कर दिया गया है. राकेश को गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने 24 मार्च को कृषि विकास अधिकारी के पद पर नौकरी देने के एवज में रिश्वत लेने के मामले में जमानत दे दी थी. अधिकारियों ने बताया कि कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने में समय लगने के कारण उनकी रिहाई में तीन दिन की देरी हुई.

मंगलवार को जेल से रिहा होने के बाद पॉल ने पत्रकारों से कहा कि मामला विचाराधीन होने के कारण वह इस पर अभी कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. पॉल ने बताया कि जेल में उन्होंने नामघर, सत्संग केंद्र और संगीत विद्यालय के निर्माण सहित कई गतिविधियों में हिस्सा लिया. न्यायमूर्ति देवाशीष बारुआ की एकल पीठ ने इस आधार पर पॉल को जमानत दे दी थी कि पॉल पहले ही इस अपराध के लिए अधिकतम सजा की आधी सजा काट चुके हैं.

न्यायमूर्ति बारुआ ने पॉल को कुछ शर्तों के साथ जमानत दी जिसमें पासपोर्ट जमा कराना, पूर्व सूचना दिए बगैर गुवाहाटी छोड़कर न जाना और मामले के सबूतों से छेड़छाड़ न करना शामिल है. डिब्रूगढ़ पुलिस ने नवंबर 2016 में पॉल को गिरफ्तार किया था और तब से वह न्यायिक हिरासत में थे. इस घोटाले के संबंध में पॉल के अलावा असम सिविल और पुलिस सेवा के अधिकारियों समेत 70 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया था.

बता दें, असम का यह घोटाला 2016 में कांग्रेस की तरुण गोगोई सरकार में हुआ था, बीजेपी की सरकार बनने के बाद यह घोटाला उजागर हुआ था.

पीटीआई-भाषा

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