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इस मंत्री ने 5 बार लगातार अलग-अलग सिंबल पर जीता चुनाव, लेकिन नहीं मिला BJP का टिकट - Himachal Assembly Election 2022

बीजेपी ने हिमाचल विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट में एक ऐसे चेहेर का नाम गायब है जो मौजूदा सरकार में मंत्री है और उसके नाम चुनाव जीतने का एक अनोखा रिकॉर्ड है. ये अनोखा रिकॉर्ड बड़ा ही दिलचस्प है. जानने के लिए पढ़ें पूरी ख़बर (Mahendra Singh Thakur World record) (Unique Record of winning elections)

महेंद्र ठाकुर
महेंद्र ठाकुर
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Published : Oct 19, 2022, 6:12 PM IST

शिमला : हिमाचल विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने 62 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. इस बार भी बीजेपी ने कई चौंकाने वाले फैसले किए हैं. 11 विधायकों के टिकट काटे गए हैं और दो मंत्रियों का चुनाव क्षेत्र बदला है. पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल जैसा बड़ा नाम भी लिस्ट से नदारद है. इन सबसे अलग एक मंत्री ऐसा है जो चुनाव जीतने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुका है लेकिन बीजेपी ने उस चेहरे को टिकट नहीं दिया है. कैबिनेट मंत्री महेंद्र ठाकुर को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया है. आखिर क्या है वो वर्ल्ड रिकॉर्ड ? और अब किस भूमिका में दिखेंगे महेंद्र सिंह ? पहले जानते हैं कि आखिर क्यों कटा महेंद्र ठाकुर का टिकट. (Mahendra Singh Thakur World record) (Unique Record of winning elections)

बेटे को मिला टिकट - बीजेपी ने मंडी जिले की धर्मपुर सीट से कैबिनेट मंत्री महेंद्र ठाकुर के बेटे रजत ठाकुर को टिकट दिया है. महेंद्र सिंह की उम्र भी इसकी वजह बताई जा रही है. 73 साल के महेंद्र सिंह ठाकुर ने अपनी सीट छोड़कर बेटे के लिए टिकट मांगा है. (World Record of Winning Elections on different symbols) (Himachal Assembly Election 2022)

महेंद्र ठाकुर के नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड- कैबिनेट मंत्री महेंद्र ठाकुर के नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड भी दर्ज है. दरअसल महेंद्र ठाकुर के नाम अलग-अलग चिन्ह पर चुनाव जीतने का रिकॉर्ड है. साल 2017 में महेंद्र ठाकुर लगातार 7वीं बार विधायक बने थे. 1990 से 2007 तक वो 5 चुनाव जीते और पांचों चुनाव अलग-अलग चुनाव चिन्ह पर लड़कर विधायक बने थे. (Election Winning Record) (Himachal Election interesting facts)

  • -1990 में पहला चुनाव आजाद उम्मीदवार के रूप में जीते
  • -1993 में मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीता
  • -साल 1998 में पंडित सुखराम की पार्टी हिमाचल विकास कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीता
  • - महेंद्र सिंह ने हिम लोकतांत्रिक मोर्चा बनाया था, साल 2003 में इसी बैनर पर चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे.
  • - साल 2007 में बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ा और लगातार 5वीं बार विधायक बने.

महेंद्र ठाकुर का सियासी सफर- भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके महेंद्र ठाकुर का जन्म 22 फरवरी 1950 को मंडी जिले के रिच्छी गांव में हुआ था. सेना से रिटायर होने के बाद वो सियासी रण में कूदे और 40 साल की उम्र में साल 1990 में निर्दलीय चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे. इसके बाद महेंद्र ठाकुर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार 7 बार विधायक चुने गए. जयराम कैबिनेट में मुख्यमंत्री के बाद वो वो नंबर दो के मंत्री थे. वो हिमाचल सरकार में ग्रामीण विकास, पंचायती राज, परिवहन विभाग जैसे कई अहम विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. मौजूदा बीजेपी सरकार में वो जल शक्ति और बागवानी मंत्री हैं.

अब क्या करेंगे महेंद्र ठाकुर- अलग अलग सिंबल पर चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बनाने वाले महेंद्र ठाकुर इस बार हिमाचल के सियासी दंगल में भले ताल ना ठोक रहे हों लेकिन बीजेपी ने महेंद्र ठाकुर के बेटे रजत ठाकुर को टिकट दिया है. धर्मपुर सीट पर महेंद्र ठाकुर अपनी सियासत की विरासत अगली पीढ़ी को सौंप रहे हैं. इस फैसले के बाद तय है कि वो एक्टिव पॉलिटिक्स को तो अलविदा कह देंगे लेकिन इस बार के सियासी दंगल में बेटे को चुनाव जिताने के लिए वोट मांगते जरूर दिख जाएंगे.

ये भी पढ़ें : भाई को मिली पिता की टिकट तो बहन ने खोला मोर्चा, पूछा- परिवारवाद में हर बार बेटियों की बलि क्यों

शिमला : हिमाचल विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने 62 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. इस बार भी बीजेपी ने कई चौंकाने वाले फैसले किए हैं. 11 विधायकों के टिकट काटे गए हैं और दो मंत्रियों का चुनाव क्षेत्र बदला है. पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल जैसा बड़ा नाम भी लिस्ट से नदारद है. इन सबसे अलग एक मंत्री ऐसा है जो चुनाव जीतने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुका है लेकिन बीजेपी ने उस चेहरे को टिकट नहीं दिया है. कैबिनेट मंत्री महेंद्र ठाकुर को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया है. आखिर क्या है वो वर्ल्ड रिकॉर्ड ? और अब किस भूमिका में दिखेंगे महेंद्र सिंह ? पहले जानते हैं कि आखिर क्यों कटा महेंद्र ठाकुर का टिकट. (Mahendra Singh Thakur World record) (Unique Record of winning elections)

बेटे को मिला टिकट - बीजेपी ने मंडी जिले की धर्मपुर सीट से कैबिनेट मंत्री महेंद्र ठाकुर के बेटे रजत ठाकुर को टिकट दिया है. महेंद्र सिंह की उम्र भी इसकी वजह बताई जा रही है. 73 साल के महेंद्र सिंह ठाकुर ने अपनी सीट छोड़कर बेटे के लिए टिकट मांगा है. (World Record of Winning Elections on different symbols) (Himachal Assembly Election 2022)

महेंद्र ठाकुर के नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड- कैबिनेट मंत्री महेंद्र ठाकुर के नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड भी दर्ज है. दरअसल महेंद्र ठाकुर के नाम अलग-अलग चिन्ह पर चुनाव जीतने का रिकॉर्ड है. साल 2017 में महेंद्र ठाकुर लगातार 7वीं बार विधायक बने थे. 1990 से 2007 तक वो 5 चुनाव जीते और पांचों चुनाव अलग-अलग चुनाव चिन्ह पर लड़कर विधायक बने थे. (Election Winning Record) (Himachal Election interesting facts)

  • -1990 में पहला चुनाव आजाद उम्मीदवार के रूप में जीते
  • -1993 में मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीता
  • -साल 1998 में पंडित सुखराम की पार्टी हिमाचल विकास कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीता
  • - महेंद्र सिंह ने हिम लोकतांत्रिक मोर्चा बनाया था, साल 2003 में इसी बैनर पर चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे.
  • - साल 2007 में बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ा और लगातार 5वीं बार विधायक बने.

महेंद्र ठाकुर का सियासी सफर- भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके महेंद्र ठाकुर का जन्म 22 फरवरी 1950 को मंडी जिले के रिच्छी गांव में हुआ था. सेना से रिटायर होने के बाद वो सियासी रण में कूदे और 40 साल की उम्र में साल 1990 में निर्दलीय चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे. इसके बाद महेंद्र ठाकुर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार 7 बार विधायक चुने गए. जयराम कैबिनेट में मुख्यमंत्री के बाद वो वो नंबर दो के मंत्री थे. वो हिमाचल सरकार में ग्रामीण विकास, पंचायती राज, परिवहन विभाग जैसे कई अहम विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. मौजूदा बीजेपी सरकार में वो जल शक्ति और बागवानी मंत्री हैं.

अब क्या करेंगे महेंद्र ठाकुर- अलग अलग सिंबल पर चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बनाने वाले महेंद्र ठाकुर इस बार हिमाचल के सियासी दंगल में भले ताल ना ठोक रहे हों लेकिन बीजेपी ने महेंद्र ठाकुर के बेटे रजत ठाकुर को टिकट दिया है. धर्मपुर सीट पर महेंद्र ठाकुर अपनी सियासत की विरासत अगली पीढ़ी को सौंप रहे हैं. इस फैसले के बाद तय है कि वो एक्टिव पॉलिटिक्स को तो अलविदा कह देंगे लेकिन इस बार के सियासी दंगल में बेटे को चुनाव जिताने के लिए वोट मांगते जरूर दिख जाएंगे.

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