मेरठ : ज्यादा दिन नहीं बीते जब नगर निगम के अफसरों ने कमिश्नर दफ्तर के बाहर महात्मा गांधी का स्टेच्यू लगवाकर अपनी ही पीठ थपथपाई थी. तब अफसरों ने दावा किया था कि इस स्टेच्यू से शहर की खूबसूरती में चार चांद लग जाएंगे. कबाड़ से तैयार इस स्टेच्यू की कम लागत का भी ढिंढ़ोरा पीटा गया. लेकिन जब लोगों की इस पर नजर पड़ी तो नाराजगी फैल गई. आपत्ति चेहरे को लेकर भी थी. इसके बाद नगर निगम के अफसरों ने जो किया, उसने एक और विवाद को जन्म दे दिया. किरकिरी से बचने के लिए के लिए स्टेच्यू को हटवा तो दिया लेकिन कूड़ागाड़ी से.
गांधी जयंती पर हुआ था अनावरण : पिछले दो अक्टूबर को कमिश्नरी दफ्तर के पास राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का आदमकद स्टेच्यू लगाया गया. स्टेच्यू को इको इंडिया इनोवेशन कंपनी के आर्टिस्ट डा. प्रिंस राज ने तैयार किया था. इसका अनावरण नगर आयुक्त डॉ. अमित पाल शर्मा ने किया था.
लोगों ने जताई आपत्ति : कबाड़ से जुगाड़ के नाम पर 1 लाख 34 हजार रूपये से अधिक खर्च किए गए. पहले तो स्टेच्यू लगने के बाद लोगों ने इसे बापू का मानने से इनकार कर दिया. आपत्ति जताई कि स्टेच्यू कहीं से बापू का नहीं लगता. उस पर नगर निगम की जुगाड़ तकनीक भी लोगों को रास नहीं आई. इससे नगर निगम की किरकिरी हुई. अब इस मामले में नगर निगम के अधिकारी सफाई देते नजर आ रहे हैं.
13 फीट ऊंचे स्टेच्यू को लगाया था सेल्फी प्वाइंट के बगल : नगर निगम ने कमिश्नर दफ्तर के बाहर बने आई लव मेरठ सेल्फी प्वाइंट के बगल में स्टेच्यू लगाया था. निगम के अफसरों का तर्क था कि यहां से गुजरने वाले हजारों लोग सेल्फी ले सकेंगे. साथ ही इससे शहर की खूबसूरती भी बढ़ेगी.
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