मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में फूट के बाद राज्य में शिवसेना-बीजेपी-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सरकार आ गई है. एनसीपी अजित पवार गुट के विधायक कार्यालय का उद्घाटन मंगलवार को मुंबई में हुआ. लेकिन उससे पहले ही बताया जा रहा है कि कार्यालय परिसर में एक अलग ही ड्रामा हुआ. एनसीपी के दो गुटों में टूटने के बाद एनसीपी पार्टी के दोनों गुटों की ओर से एक जैसे दावे किए जा रहे हैं.
वहीं, अजित पवार दोपहर 12 बजे के करीब प्रतापगढ़ में अपने ग्रुप के एनसीपी कार्यालय का उद्घाटन करने वाले थे. लेकिन 11 बजे तक भी प्रतापगढ़ बंगले का मुख्य गेट नहीं खोला गया. निर्माण विभाग और कर्मचारी के बीच कोई समन्वय देखने को नहीं मिला. इसके अलावा यहां बारिश हो रही थी, लेकिन इसके बाद भी यहां काफी भीड़ लगी रही. बारिश से बचने के लिए कार्यकर्ताओं ने चाभी का इंतजार किए बिना दरवाजा खोल दिया और कार्यालय के अंदर चले गए.
सूरज चव्हाण का कहना है कि हम इसकी जांच की मांग करेंगे कि किसने जबरन प्रतापगढ़ बंगले का गेट खोला और अंदर प्रवेश किया. उन्होंने कहा कि कैबिनेट बैठक के बाद कार्यालय उद्घाटन किया गया. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अजित पवार गुट के पार्टी कार्यालय का उद्घाटन प्रतापगढ़ में हुआ. इस कार्यालय के उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान उपमुख्यमंत्री अजित पवार, प्रफुल्ल पटेल, छगन भुजबल उपस्थित रहे.
एनसीपी शरद पवार गुट ने बागियों के खिलाफ खोला मोर्चा
एनसीपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष जयंत पाटिल ने अजित पवार समेत 9 नेताओं के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई की सिफारिश विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से की है. इस पत्र के बाद अजित पवार के गुट में शामिल हुए दो विधायक शरद पवार के गुट में वापस लौट आये हैं. विधायकों के नाम सतारा विधायक मकरंद पाटिल और उत्तर कराड विधायक बालासाहेब पाटिल बताए जा रहे हैं. एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने विधायकों को समय सीमा के भीतर लौटने या कार्रवाई का सामना करने की चेतावनी दी है.
उधर, अजित पवार ने ऐलान किया है कि जयंत पाटिल को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है. इसलिए एनसीपी में दोनों गुटों के नेताओं को उनके पदों से हटाया जाना शुरू हो गया है और नई नियुक्तियों के आदेश दिए गए हैं. अजित पवार द्वारा बगावत का झंडा बुलंद करने के बाद एनसीपी दो फाड़ हो गई है. हालांकि एनसीपी के 30 से 40 विधायक अजित पवार के पक्ष में बताए जा रहे हैं, लेकिन कुछ वफादार अभी भी एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के प्रति अपनी वफादारी जाहिर कर रहे हैं.
अजित पवार के उपमुख्यमंत्री बनने के बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक
महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने पिछले एक साल में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण फैसलों का उल्लेख करते हुए मंगलवार को एक पुस्तिका जारी की. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार ने पिछले एक साल में किए कामों का उल्लेख करते हुए पुस्तिका का विमोचन किया. गौरतलब है कि रविवार को अजित पवार की अगुवाई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नौ विधायकों के सरकार में शामिल होने के बाद मंत्रिमंडल की यह पहली साप्ताहिक बैठक थी.
राज्य में शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार को 30 जून को एक साल पूरा हो गया. उपमुख्यमंत्री अजित पवार की अगुवाई में राकांपा के नवनियुक्त मंत्री राज्य सचिवालय मंत्रालय पहुंचे. वे पिछले साल जून में शिवसेना (अविभाजित), राकांपा और कांग्रेस की महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार गिरने के बाद पहली बार मंत्रालय पहुंचे. एमवीए की मंत्रिमंडल की आखिरी बैठक 29 जून 2022 को हुई थी.
अभी नौ मंत्रियों को विभागों का आवंटन नहीं किया गया है. अभी तक मंत्रिमंडल में कोई भी राज्यमंत्री नहीं है. राकांपा की अदिति तटकरे शिंदे मंत्रिमंडल में शामिल होने वाली पहली महिला हैं. अजित पवार और अन्य नवनियुक्त मंत्रियों ने सचिवालय में छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले, डॉ. बी आर आंबेडकर की तस्वीरों पर पुष्पांजलि अर्पित की.
अजित पवार महाराष्ट्र के विकास का समर्थन और मोदी के नेतृत्व में भरोसा जताने के लिए हमसे जुड़े: शिंदे
इसके अलावा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अजित पवार राज्य के विकास का समर्थन करने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अपना विश्वास व्यक्त करने के लिए उनकी सरकार में शामिल हुए हैं. राकांपा के वरिष्ठ नेता अजित पवार ने रविवार को बगावत करते हुए एकनाथ शिंदे नीत महाराष्ट्र सरकार में उपमुख्यमंत्री पद की, जबकि पार्टी के आठ अन्य विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली थी.
मुंबई में संवाददाताओं से बातचीत में शिंदे ने कहा कि उनके नये उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने विकास का मार्ग चुना है और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भरोसा जताया है. उन्होंने कहा कि हम खुद इस मार्ग पर चल रहे हैं. शिंदे ने पिछले साल अपने साथी विधायकों के साथ मिलकर अविभाजित शिवसेना के नेतृत्व से बगावत कर दी थी, जिससे महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे नीत महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार गिर गई थी.
(अतिरिक्त इनपुट - एजेंसी)