नई दिल्ली: हमेशा से एकनाथ शिंदे शिवसेना के संकटमोचक माने जाते रहे हैं, जब जब सरकार पर संकट आई एकनाथ शिंदे ने संकटमोचक की भूमिका निभाई है, लेकिन इस बार उन्होंने शिवसेना को धोखा देकर सिर्फ खुद नहीं बल्कि लगभग 30 विधायकों को भी अपने पक्ष में कर लिया है और उद्धव सरकार के लिए संकट पैदा कर दी है. हालांकि शिवसेना ने एकनाथ शिंदे को पार्टी पदों से हटा दिया है. फिर भी हर हालत में शिवसेना शिंदे को मनाने और पार्टी में सबकुछ ठीक करने की कोशिश में है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बीजेपी ने एकनाथ शिंदे और उनके साथ सूरत में मौजूद विधायकों से लगातार संपर्क बना रखा है. वहीं एकनाथ शिंदे अपनी पार्टी पर इस बात का भी दबाव बना रहे हैं कि वो कांग्रेस के समर्थन की बजाय बीजेपी से समर्थन लें. लेकिन इन सब के बीच एक बात निकल कर सामने आई है वो है, बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस का कद इस पूरे प्रकरण में बढ़ा है क्योंकि फडणवीस ने जिस तरह से महाराष्ट्र के नए चाणक्य के रूप में अपनी जगह दोबारा पार्टी में बनाई वो काफी महत्वपूर्ण है. इस पूरे प्रकरण में पूर्व सीएम फडणवीस बीजेपी के लिए एक चाणक्य की तरह ही साबित हुए और बीजेपी में उनका कद और बढ़ा. फडणवीस ने राज्यसभा और एमएलसी का चुनाव जिताया और अब शिवसेना के एक बड़े कुनबे को 'तोड़ने' का काम किया है जो पार्टी के लिए एक बड़ा फायदा हो सकता है.
यही नहीं पिछले ढाई सालों से देवेंद्र फडणवीस पार्टी में एक तरह से हाशिए पर ही थे और इस ढाई साल के बाद शिवसेना के बड़े कुनबे को 'तोड़ना' एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है, जिसने एक बड़े राज्य में पार्टी को और मजबूती दिलाई है. वहीं शिवसेना सत्ता में रहते हुए भी अपनी सत्ता संभाल नहीं पा रही, ये पब्लिक मैसेज देने में भी बीजेपी कामयाब हुई है. अब अगर इस प्रकरण के बाद, बीजेपी महाराष्ट्र में सरकार नहीं भी बनाती है तो भी वो जो सार्वजनिक संदेश देना चाहती थी उसमें कामयाब हुई है.
आरपार की लड़ाई के मूड में शिवसेना
वहीं, दूसरी तरफ, एकनाथ शिंदे से उनका पद छीन कर शिवसेना आरपार की लड़ाई के मूड में आ गई है. वहीं, अब एकनाथ की मदद लेकर बीजेपी आगे की रणनीति तैयार कर रही है. एमएलसी चुनावों में बीजेपी को मदद करने के बाद जैसे ही अगली सुबह एकनाथ शिंदे और उनके 26 समर्थक विधायक जैसे ही सूरत के एक फाइव स्टार होटल में पाए गए, उसी समय शिवसेना में हलचल मच गई थी, और तभी शिवसेना के आला नेता भी हरकत में आ चुके थे, मगर इसबार स्थिति हाथ से निकलती नजर आ रही है और अब शिवसेना आरपार की स्थिति में आ चुकी है.
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नाम ना लेने की शर्त पर भाजपा के एक राष्ट्रीय महासचिव का कहना है कि इसमें बीजेपी ने कुछ नहीं किया बल्कि शिवसेना सत्ता में रहते हुए भी अपने नेताओं को संभाल नहीं पा रही है और पूरी तरह से एक्सपोज हो चुकी है, उन्हें खुद इस्तीफा दे देना चाहिए. वहीं, महाराष्ट्र के दलित नेता और केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले का कहना है कि हम नहीं चाहते कि किसी की सरकार गिरे, मगर शिवसेना खुद अपने विधायकों की बात नहीं सुन रही और पार्टी में लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं रही, इसलिए पार्टी के नेता खुद नाराज होकर एनडीए को समर्थन देना चाहते हैं, उन्हें पता है कि अगर वो कांग्रेस के साथ रहे तो उनका बचा खुचा जनाधार भी खत्म हो जाएगा.