नांदेड़ : जिस समाज में बेटियों को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, उसी समाज की स्याह हकीकत ऐसी भी है कि आर्थिक तंगी के कारण लोग जान लेने और जान देने पर उतारु हैं. यह मामला एक किसान परिवार का है, जहां बेटी की शादी के लिए पैसे जमा न कर सका एक किसान पिता बेटी का हत्यारा बन बैठा. महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले की इस घटना से इंसानियत शर्मसार हुई है. सरकारी स्तर पर लड़कियों की जन्म दर में गिरावट रोकने के लिए राज्य और केंद्र सरकारें योजनाएं चला रही हैं, लेकिन कई परिवार ऐसे हैं, जिन्हें इनका लाभ नहीं मिल रहा.
हताशा में इतना पीटा की मर गई बेटी : नांदेड़ जिले में लड़की की शादी के लिए पैसे जमा नहीं कर सके किसान पिता ने बेटी की हत्या कर दी. घटना जामखेड़ की है. जानकारी के मुताबिक घरेलू विवाद में मां-बेटी को पीटा गया. बच्ची की मौके पर ही मौत हो गई. जानकारी के मुताबिक नांदेड़ के मुखेड तालुका में जामखेड़ गांव की इस घटना में किसान बालाजी देवकाटे 18 साल की बेटी सिंधु की शादी धूमधाम से करना चाहता था, लेकिन मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक लड़की की अरेंज मैरेज के लिए पैसे जुटाने में नाकाम रहे पिता ने हताशा और आक्रोश में अपनी सौतेली बेटी को इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई.
शादी के लिए खेत बेचने की नौबत : खबरों के मुताबिक शादी के लिए खेत बेचने की नौबत आने पर पिता बालाजी विश्वम्भर देवकाटे और उनकी पत्नी अहिल्याबाई के बीच झगड़ा शुरू हो गया. बालाजी देवकाटे छोटी जोत के किसान हैं. उनके पास पांच एकड़ सूखी जमीन है. बालाजी के परिवार में पत्नी, दो बेटे और दो बेटियां हैं. पिछले कुछ वर्षों से वांछित उपज नहीं मिल पा रही है. कोरोना महामारी और महंगाई के कारण परिवार गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था. बालाजी देवकाटे को चिंता थी कि बेटी की शादी के लिए खेत बेचना पड़ेगा. पैसों की तंगी के बीच पत्नी से बालाजी का विवाद हुआ.
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झगड़ा सुलझाने गई बेटी पर हमला, मौके पर ही मौत : माता-पिता का झगड़ा सुलझाने के लिए बेटी सिंधुताई बीचबचाव करने गई, लेकिन बालाजी ने गुस्से में आकर बेटी पर अटैक कर दिया. सिर पर लकड़ी से हुए वार के कारण सिंधु गंभीर रूप से घायल हो गई. अत्यधिक खून बह जाने के कारण उसकी मौके पर ही मौत हो गई. बालाजी देवकाटे की पत्नी की शिकायत पर ठाणे के मुखेड थाने में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124/2022, धारा 302, 324,506 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है. पुलिस आरोपी बालाजी देवकाटे की तलाश कर रही है.
सरकारी कवायद के बावजूद किसानों की दुर्दशा : इस आपराधिक प्रकरण के मद्देनजर किसानों की दुर्दशा को लेकर कवि सुदीप भोला की कविता भी प्रासंगिक है. इसमें किसानों के सामने आर्थिक संकट आने के बाद उनकी हालत का मार्मिक वर्णन किया गया है. अन्नदाता को 'धरती के भगवान' की संज्ञा देते हुए कवि सुदीप भोला ने लिखा था, 'इतना सूद चुकाया उसने कि अपनी सुध भूल गया. सावन के मौसम में झूला लगा के फांसी झूल गया.' आम तौर पर बेबसी में आत्महत्या जैसे कदम उठाने वाले किसान कई बार बालाजी देवकाटे जैसे आपराधिक कृत्य को भी अंजाम देने से नहीं चूकते. उत्तर प्रदेश के बांदा में एक कार्यक्रम के दौरान सुदीप भोला ने किसान की बेटी का दर्द भी पढ़ा था. हत्या की इस वारदात से इतर पढ़ें किसानों की दुर्दशा का वर्णन करती सुदीप भोला की कविता के कुछ अंश-
एक अरब 25 करोड़ की भूख जो रोज मिटाता है
कह पाता नहीं किसी से जब भूखा सो जाता है
फिर सीने पर गोली खाता सरकारी सम्मान की...किसी को काले धन की चिंता, किसी को भ्रष्टाचार की
मगर लड़ाई कौन लड़ेगा फसलों के हकदार की
सरेआम बाजार में इज्जत लुट जाती खलिहान की...जो अपने कांधे पर देखो खुद हल लेकर चलता है
आज उसी की कठिनाई का हल क्यों नहीं निकलता है
है जिनसे उम्मीद उन्हें बस चिंता है मतदान की
टूटी माला जैसे बिखरी किस्मत आज किसान कीदेख कलेजा फट जाता है आंखों से आंसू बहते
ऐसा ना हो कलम रो पड़े सच्चाई कहते-कहते
बाली तक गिरवी रखी है, बेटी के अभिमान की
टूटी माला जैसे बिखरी किस्मत आज किसान कीचीख पड़ी खेतों की माटी तड़प उठी गम से धरती
बिना कफन जब पगडंडी से गुजरी थी उसकी अर्थी, और
वही विदा हो गया जिसे चिंता थी कन्यादान की.
टूटी माला जैसे बिखरी...