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Maharashtra BJP Luring to Journalists : 'चुनाव से पहले पत्रकारों का सत्कार करना ही पड़ेगा, वरना ...'

महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष के एक बयान से विपक्षी पार्टियां हमलावर हो गईं हैं. विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि भाजपा मीडिया को खरीदने की कोशिश कर रही है. दरअसल, प्रदेश अध्यक्ष ने सभी पार्टी कार्यकर्ताओं से पत्रकारों को ढाबों पर ले जाने की बात कही थी.

BJP chief, maharashtra
चंद्रशेखर बावनकुले, महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष
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By PTI

Published : Sep 25, 2023, 7:41 PM IST

मुंबई : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख चन्द्रशेखर बावनकुले का एक ऑडियो क्लिप व्यापक रूप से प्रसारित हुआ है, जिसमें उन्होंने चुनाव से पहले नकारात्मक प्रचार से बचने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं से पत्रकारों को ढाबों में ले जाने और उनके साथ अच्छा व्यवहार करने के लिए कथित तौर पर कहा. इस वीडियो के सामने आने के बाद भाजपा पर मीडिया को प्रबंधित करने की कोशिश का आरोप लग रहा है.

बावनकुले ने कथित तौर पर ये "निर्देश" अहमदनगर में दिए थे, जहां वह मतदान केंद्रों के प्रबंधन को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं की एक सभा को संबोधित कर रहे थे. विपक्षी दलों के निशाने पर आए बावनकुले ने स्पष्ट किया कि उनका मतलब केवल यह था कि पत्रकारों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाना चाहिए और पार्टी कार्यकर्ताओं को, आवंटित बूथों के बारे में उनकी राय समझने की कोशिश करनी चाहिए.

ऑडियो में बावनकुले को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना जा सकता है कि “न्यूज पोर्टल चलाने वाले और आपके बूथ क्षेत्रों में रहने वाले छोटे वीडियो पत्रकार कभी-कभी एक छोटी सी घटना को ऐसे पेश करते हैं जैसे कि कोई धमाका हुआ हो.” उन्होंने कहा, "ऐसे उपद्रव मचाने वाले पत्रकारों की एक सूची तैयार करें, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या प्रिंट मीडिया के पत्रकार भी शामिल हों, और उन्हें ढाबों पर एक कप चाय के लिए आमंत्रित करें ताकि वे महा विजय 2024 से पहले हमारे खिलाफ कुछ न लिखें. आप जानते हैं कि उन्हें एक कप चाय के लिए आमंत्रित करने से मेरा क्या मतलब है.”

वह कहते हैं कि अगर कुछ कमियां हैं तो उन्हें दूर करने के लिए स्थानीय भाजपा सांसद सुजय विखे पाटिल हैं. उन्होंने कहा, “उन्हें ढाबों पर ले जाएं. उनके साथ अच्छा व्यवहार करें और सुनिश्चित करें कि हमारे खिलाफ कोई नकारात्मक खबर न आए। हमारे बारे में सकारात्मक खबरें आनी चाहिए। पहले अपने बूथों को सुरक्षित करें.'

महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “सभी पत्रकार बिके हुए नहीं हैं. क्या आपको लगता है कि पत्रकार टुकड़ों पर जीते हैं? मैं आपके शीर्ष स्तरीय और स्थानीय दोनों नेताओं की बेचैनी समझ सकता हूं, क्योंकि वे असहमति की आवाज को दबा नहीं सके। लेकिन आपने सीधे पत्रकारों को ऑफर देना शुरू कर दिया ?”

कांग्रेस की महाराष्ट्र ईकाई के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि बावनकुले की टिप्पणियां मीडिया समुदाय का अपमान हैं. उन्होंने कहा ‘‘कांग्रेस ने पत्रकारों को पूरा महत्व दिया है लेकिन भाजपा उन्हें क्या समझती है.’’ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि विपक्ष की आवाज लोकतंत्र की खूबसूरती है लेकिन भाजपा असहमति को स्वीकार नहीं करती.

उन्होंने कहा, "अखबार लोकतंत्र में विपक्ष के रूप में काम करते हैं, लेकिन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष... मीडिया को कैसे दबाया जाए, इसका पाठ पढ़ा रहे हैं। यह एक गंभीर मामला और निंदनीय हरकत है." बावनकुले ने बाद में पत्रकारों से बात करते हुए स्पष्ट किया कि उनका आशय यह था कि पत्रकार इतने महत्वपूर्ण हैं कि वे लोगों की राय भी बदल सकते हैं. बावनकुले ने कहा, "पत्रकार भी मतदाता हैं और उनके खिलाफ पूर्वाग्रह क्यों होना चाहिए? यह अच्छा नहीं है अगर आप उनसे नहीं मिलते, उनसे बात नहीं करते या उनकी राय नहीं लेते. मैंने उन्हें (भाजपा कार्यकर्ताओं) इस तरह की सलाह दी."

ये भी पढ़ें : Maharashtra News : 'उद्धव की पार्टी को लोकसभा चुनाव के लिए दो सीट दी जाती हैं, तो भी उन्हें राजी होना पड़ेगा'

मुंबई : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख चन्द्रशेखर बावनकुले का एक ऑडियो क्लिप व्यापक रूप से प्रसारित हुआ है, जिसमें उन्होंने चुनाव से पहले नकारात्मक प्रचार से बचने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं से पत्रकारों को ढाबों में ले जाने और उनके साथ अच्छा व्यवहार करने के लिए कथित तौर पर कहा. इस वीडियो के सामने आने के बाद भाजपा पर मीडिया को प्रबंधित करने की कोशिश का आरोप लग रहा है.

बावनकुले ने कथित तौर पर ये "निर्देश" अहमदनगर में दिए थे, जहां वह मतदान केंद्रों के प्रबंधन को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं की एक सभा को संबोधित कर रहे थे. विपक्षी दलों के निशाने पर आए बावनकुले ने स्पष्ट किया कि उनका मतलब केवल यह था कि पत्रकारों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाना चाहिए और पार्टी कार्यकर्ताओं को, आवंटित बूथों के बारे में उनकी राय समझने की कोशिश करनी चाहिए.

ऑडियो में बावनकुले को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना जा सकता है कि “न्यूज पोर्टल चलाने वाले और आपके बूथ क्षेत्रों में रहने वाले छोटे वीडियो पत्रकार कभी-कभी एक छोटी सी घटना को ऐसे पेश करते हैं जैसे कि कोई धमाका हुआ हो.” उन्होंने कहा, "ऐसे उपद्रव मचाने वाले पत्रकारों की एक सूची तैयार करें, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या प्रिंट मीडिया के पत्रकार भी शामिल हों, और उन्हें ढाबों पर एक कप चाय के लिए आमंत्रित करें ताकि वे महा विजय 2024 से पहले हमारे खिलाफ कुछ न लिखें. आप जानते हैं कि उन्हें एक कप चाय के लिए आमंत्रित करने से मेरा क्या मतलब है.”

वह कहते हैं कि अगर कुछ कमियां हैं तो उन्हें दूर करने के लिए स्थानीय भाजपा सांसद सुजय विखे पाटिल हैं. उन्होंने कहा, “उन्हें ढाबों पर ले जाएं. उनके साथ अच्छा व्यवहार करें और सुनिश्चित करें कि हमारे खिलाफ कोई नकारात्मक खबर न आए। हमारे बारे में सकारात्मक खबरें आनी चाहिए। पहले अपने बूथों को सुरक्षित करें.'

महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “सभी पत्रकार बिके हुए नहीं हैं. क्या आपको लगता है कि पत्रकार टुकड़ों पर जीते हैं? मैं आपके शीर्ष स्तरीय और स्थानीय दोनों नेताओं की बेचैनी समझ सकता हूं, क्योंकि वे असहमति की आवाज को दबा नहीं सके। लेकिन आपने सीधे पत्रकारों को ऑफर देना शुरू कर दिया ?”

कांग्रेस की महाराष्ट्र ईकाई के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि बावनकुले की टिप्पणियां मीडिया समुदाय का अपमान हैं. उन्होंने कहा ‘‘कांग्रेस ने पत्रकारों को पूरा महत्व दिया है लेकिन भाजपा उन्हें क्या समझती है.’’ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि विपक्ष की आवाज लोकतंत्र की खूबसूरती है लेकिन भाजपा असहमति को स्वीकार नहीं करती.

उन्होंने कहा, "अखबार लोकतंत्र में विपक्ष के रूप में काम करते हैं, लेकिन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष... मीडिया को कैसे दबाया जाए, इसका पाठ पढ़ा रहे हैं। यह एक गंभीर मामला और निंदनीय हरकत है." बावनकुले ने बाद में पत्रकारों से बात करते हुए स्पष्ट किया कि उनका आशय यह था कि पत्रकार इतने महत्वपूर्ण हैं कि वे लोगों की राय भी बदल सकते हैं. बावनकुले ने कहा, "पत्रकार भी मतदाता हैं और उनके खिलाफ पूर्वाग्रह क्यों होना चाहिए? यह अच्छा नहीं है अगर आप उनसे नहीं मिलते, उनसे बात नहीं करते या उनकी राय नहीं लेते. मैंने उन्हें (भाजपा कार्यकर्ताओं) इस तरह की सलाह दी."

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