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इस गांव में सभी धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध, ग्रामीणों ने पेश किया उदाहरण

महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के बराड़ गांव में पिछले पांच साल से किसी भी धार्मिक स्थल पर लाउडस्पीकर नहीं लगेंगे. ग्रमीणों के मुताबिक, पांच साल पहले गांव में लाउडस्पीकर को लेकर विवाद हुआ था, जिसके बाद सभी समुदायों के लोगों मिलकर गांव में लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया था.

धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध
धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध
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Published : Apr 21, 2022, 1:21 PM IST

नांदेड़ : देशभर में धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर को लेकर सियासी माहौल गरम है. हालांकि, महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में एक गांव है, जहां धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर नहीं है. नांदेड़ जिले के बराड़ गांव (मुदखेड़ तालुका) में किसी भी धार्मिक स्थल पर लाउडस्पीकर नहीं लगेंगे. बताया जाता है कि 30 जनवरी, 2017 को बराड़ ग्राम पंचायत ने गांव में लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगाने का सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था. इस प्रस्ताव को सभी जातियों और धर्मों के लोगों ने मंजूरी दी थी. बराड़ गांव में पिछले 5 साल से लाउडस्पीकर की आवाज नहीं सुनी गई.

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बराड़ गांव में लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध

2017 में सर्वसम्मति से लिया गया फैसला: बराड़ को मुदखेड़ तालुका में सबसे बड़ी ग्राम पंचायत के रूप में जाना जाता है. गांव की आबादी 10 हजार है और गांव में सभी जाति और धर्म के लोग रहते हैं. पांच साल पहले लाउडस्पीकर की आवाज से इस गांव में विवाद हो गया था. इसके बाद 2017 में ग्रामीणों ने एक साथ मिलकर विवाद को हमेशा के लिए रोकने के लिए धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया.

अध्ययन के लिए उपयुक्त वातावरण: गांव में लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध के कारण छात्रों को पढ़ने के लिए अच्छा माहौल मिलता है. इससे छात्र भी खुश हैं. साथ ही लाउडस्पीकर न होने से गांव में ध्वनि प्रदूषण भी नहीं होता है. ग्रामीणों ने बताया कि लाउडस्पीकर की आवाज को लेकर होने वाले छोटे-मोटे विवाद अब रुक गए हैं. इस गांव में आठ हिंदू मंदिर, एक मस्जिद, दो बौद्ध मठ और एक जैन मंदिर है. इन सभी पूजा स्थलों में लाउडस्पीकर नहीं हैं. गांव में धार्मिक स्थलों के अलावा धार्मिक कार्यक्रमों, राजनीतिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में लाउडस्पीकर के उपयोग पर भी रोक है. ग्रामीणों का कहना है कि अगर नांदेड़ जिले के बराड़ गांव की इस पहल को अपनाया जाता है, तो लाउडस्पीकर पर विवाद निश्चित रूप से रुक जाएगा.

यह भी पढ़ें- लाउडस्पीकर विवाद पर भाजपा नेता से मारपीट, मस्जिद में नमाज न पढ़ने देने की धमकी

नांदेड़ : देशभर में धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर को लेकर सियासी माहौल गरम है. हालांकि, महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में एक गांव है, जहां धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर नहीं है. नांदेड़ जिले के बराड़ गांव (मुदखेड़ तालुका) में किसी भी धार्मिक स्थल पर लाउडस्पीकर नहीं लगेंगे. बताया जाता है कि 30 जनवरी, 2017 को बराड़ ग्राम पंचायत ने गांव में लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगाने का सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था. इस प्रस्ताव को सभी जातियों और धर्मों के लोगों ने मंजूरी दी थी. बराड़ गांव में पिछले 5 साल से लाउडस्पीकर की आवाज नहीं सुनी गई.

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बराड़ गांव में लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध

2017 में सर्वसम्मति से लिया गया फैसला: बराड़ को मुदखेड़ तालुका में सबसे बड़ी ग्राम पंचायत के रूप में जाना जाता है. गांव की आबादी 10 हजार है और गांव में सभी जाति और धर्म के लोग रहते हैं. पांच साल पहले लाउडस्पीकर की आवाज से इस गांव में विवाद हो गया था. इसके बाद 2017 में ग्रामीणों ने एक साथ मिलकर विवाद को हमेशा के लिए रोकने के लिए धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया.

अध्ययन के लिए उपयुक्त वातावरण: गांव में लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध के कारण छात्रों को पढ़ने के लिए अच्छा माहौल मिलता है. इससे छात्र भी खुश हैं. साथ ही लाउडस्पीकर न होने से गांव में ध्वनि प्रदूषण भी नहीं होता है. ग्रामीणों ने बताया कि लाउडस्पीकर की आवाज को लेकर होने वाले छोटे-मोटे विवाद अब रुक गए हैं. इस गांव में आठ हिंदू मंदिर, एक मस्जिद, दो बौद्ध मठ और एक जैन मंदिर है. इन सभी पूजा स्थलों में लाउडस्पीकर नहीं हैं. गांव में धार्मिक स्थलों के अलावा धार्मिक कार्यक्रमों, राजनीतिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में लाउडस्पीकर के उपयोग पर भी रोक है. ग्रामीणों का कहना है कि अगर नांदेड़ जिले के बराड़ गांव की इस पहल को अपनाया जाता है, तो लाउडस्पीकर पर विवाद निश्चित रूप से रुक जाएगा.

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