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उत्तराखंड : नरेंद्र गिरी की दो टूक, नहीं छोड़ी मोह-माया तो छोड़ना पड़ेगा अखाड़ा - निरंजनी अखाड़े

संन्यास परंपरा के श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े ने साफ किया है कि जो भी साधु-संत मोह माया में फंसे हुए हैं, उन पर कार्रवाई करते हुए अखाड़े से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा.

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Published : Mar 26, 2021, 8:49 PM IST

हरिद्वार : संन्यास परंपरा के श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े ने शुक्रवार को बड़ा फैसला लिया है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने ऐलान किया है कि जो भी संत घर-परिवार से रिश्ता रखे हुए हैं या फिर गृहस्थ जीवन जी रहे हैं, उन्हें अब अखाड़े से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा.

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि महाराज ने बताया कि संन्यास परंपरा में आने के बाद संत का पुनर्जन्म होता है. संत अपना घर, परिवार और माता-पिता समेत मोह माया त्याग देते हैं.

उन्होंने कहा कि संत बनने के बाद दोबारा गृहस्थ जीवन में लौटना या फिर घर परिवार व अन्य परिवारजनों से रिश्ता रखना संन्यास परपंरा के खिलाफ है. निरंजनी अखाड़े के सभी संतों ने एकमत से ये फैसला किया है. ऐसा करने वाले संतों को अखाडे़ से बाहर किया जाएगा.

यह भी पढ़ें-मुख्तार अंसारी को दो हफ्ते के अंदर पंजाब से यूपी शिफ्ट करो : सुप्रीम कोर्ट

बता दें कि संन्यास परंपरा के सात अखाड़े हैं. इनमें प्रमुख जूना, निरंजनी, अग्नि, आह्वान, महानिर्वाणी और अटल आनंद हैं. इन सभी अखाड़ों में लाखों की संख्या में नागा संन्यासी और संत हैं.

हरिद्वार : संन्यास परंपरा के श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े ने शुक्रवार को बड़ा फैसला लिया है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने ऐलान किया है कि जो भी संत घर-परिवार से रिश्ता रखे हुए हैं या फिर गृहस्थ जीवन जी रहे हैं, उन्हें अब अखाड़े से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा.

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि महाराज ने बताया कि संन्यास परंपरा में आने के बाद संत का पुनर्जन्म होता है. संत अपना घर, परिवार और माता-पिता समेत मोह माया त्याग देते हैं.

उन्होंने कहा कि संत बनने के बाद दोबारा गृहस्थ जीवन में लौटना या फिर घर परिवार व अन्य परिवारजनों से रिश्ता रखना संन्यास परपंरा के खिलाफ है. निरंजनी अखाड़े के सभी संतों ने एकमत से ये फैसला किया है. ऐसा करने वाले संतों को अखाडे़ से बाहर किया जाएगा.

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बता दें कि संन्यास परंपरा के सात अखाड़े हैं. इनमें प्रमुख जूना, निरंजनी, अग्नि, आह्वान, महानिर्वाणी और अटल आनंद हैं. इन सभी अखाड़ों में लाखों की संख्या में नागा संन्यासी और संत हैं.

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