नई दिल्ली : देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद ने राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) के फ्रेमवर्क के तहत मदरसा छात्रों को माध्यमिक स्तर की शिक्षा प्रदान करने का बीड़ा उठाया है. इस उद्देश्य से जमीयत नेशनल ओपन स्कूल की स्थापना की गई है. पहले चरण में 50 हजार मदरसा छात्रों को आधुनिक शिक्षा उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है.
शुक्रवार को जमीयत ओपन स्कूल के उद्घाटन सत्र में, जमीयत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि हर साल हजारों युवा विभिन्न दारुल उलूम (इस्लामी अध्ययन केंद्र) से स्नातक करते हैं, उनकी अपने क्षेत्रों में अच्छी पकड़ होती है. हालांकि, वे समकालीन शिक्षा या आधुनिक शिक्षा के मामले में अज्ञानता के कारण अपने समुदाय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में कुछ हद तक असफल हैं.
मौलाना मदनी ने कहा कि जमीयत ने मदरसा छात्रों को सक्षम बनाने के लिए जमीयत नेशनल ओपन स्कूल खोला है, ताकि वे मुख्यधारा की शिक्षा ग्रहण कर सकें और मुसलमानों के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों से निपटने में सक्षम हों.
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और दिल्ली के लगभग 100 मदरसा प्रतिनिधि शुक्रवार को जमीयत के मुख्यालय में जमा हुए और उन्हें संगठन की पहल के बारे में बताया गया. अब, वे इस कार्यक्रम के लिए एक महीने के प्रशिक्षण के लिए पुणे जाएंगे.
हमने आधुनिक शिक्षा के लिए अपना रास्ता चुना
मदनी ने आगे कहा कि हमारे बुजुर्गों ने सरकारी मदरसा बोर्ड का विरोध किया था और वक्त ने यह साबित कर दिया है कि उनकी चिंताएं जायज थीं. मदनी ने इस संबंध में असम सरकार के हालिया रवैये का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि हम धार्मिक मदरसों में सरकार के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करते हैं, हमने आधुनिक शिक्षा के लिए अपना रास्ता चुना है.
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वहीं, जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रवक्ता नियाज फारूकी ने बताया कि कार्यक्रम में पहले चरण में 50,000 छात्रों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है.
फारूकी ने कहा कि अब तक 100 मदरसों का चयन किया गया है, जिसमें 2000 छात्र आधुनिक शिक्षा से लाभान्वित होंगे. पुणे के आजम कैंपस में इन मदरसों के समन्वयकों और शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाएगा.