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मद्रास हाई कोर्ट ने रखी जमानत की शर्त, पहले संविधान का पालन करने की शपथ लो

मद्रास हाई कोर्ट ने एक आरोपी को इस शर्त पर जमानत दी है कि उसे ऐफिडेविट देकर संविधान की शपथ लेनी होगी, साथ ही यह वचन देना होगा कि वह कभी संविधान को नुकसान नहीं पहुंचाएगा. आरोपी को नक्सली संगठनों के करीबी होने का शक में एनआईए ने गिरफ्तार किया था.

मद्रास हाई कोर्ट
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Published : May 4, 2022, 10:38 PM IST

चेन्नै : तमिलनाडु की मद्रास हाई कोर्ट ने माओवादी संगठन से जुड़े आरोपी की जमानत के लिए गजब की शर्त रखी है. हाई कोर्ट ने आरोपी से शपथपत्र देकर भारत के संविधान का पालन करने का वचन मांगा है.

मद्रास हाई कोर्ट में एक ऐसे मामले की सुनवाई हुई, जिसकी जांच एनआईए कर रही है. माओवादी संगठन की जांच से जुड़े इस केस में दो आरोपी पकड़े गए थे. जांच कर एजेंसी एनआईए को दूसरे आरोपी सुरेश राजन पर भी माओवादी एक्टिविटी में सक्रिय होने का शक है. इस केस में सुनवाई के बाद हाई कोर्ट की खंडपीठ के जज पी एन प्रकाश और जज ए ए नक्किरन की खंडपीठ ने आरोपी की जमानत मंजूर कर ली. हालांकि खंडपीठ ने जमानत देते हुए यह शर्त रखी कि सुरेश राजन को ऐफिडेविट देकर संविधान की शपथ लेनी होगी.

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि सुरेश राजन विशेष अदालत में तमिल में एक हलफनामा देगा, जिस पर उसके हस्ताक्षर और अंगूठे का निशान होगा. इस हलफनामे में सुरेश राजन संविधान की शपथ लेगा कि वह माओवादी विचारधारा को नहीं मानता है. वह यह भी कहेगा कि वह हिंसा में भरोसा नहीं करता और भविष्य में संविधान को नुकसान पहुंचाने वाला कोई काम नहीं करेगा.

खंडपीठ ने इसके अलावा अन्य सामान्य शर्तें भी लगाईं. कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया है कि अगर वह इनमें से किसी का भी उल्लंघन करता है तो विशेष अदालत को जमानत रद्द करने का अधिकार है. रिपोर्ट के अनुसार एनआईए ने 8 जून, 2021 को मामले की जांच अपने हाथ में ली थी और सुरेश राजन को गिरफ्तार किया था. उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.

(भाषा)

पढ़ें : ऑटो की छत पर 'ग्रीन गार्डन', है न गर्मी से बचने का लाजवाब तरीका

चेन्नै : तमिलनाडु की मद्रास हाई कोर्ट ने माओवादी संगठन से जुड़े आरोपी की जमानत के लिए गजब की शर्त रखी है. हाई कोर्ट ने आरोपी से शपथपत्र देकर भारत के संविधान का पालन करने का वचन मांगा है.

मद्रास हाई कोर्ट में एक ऐसे मामले की सुनवाई हुई, जिसकी जांच एनआईए कर रही है. माओवादी संगठन की जांच से जुड़े इस केस में दो आरोपी पकड़े गए थे. जांच कर एजेंसी एनआईए को दूसरे आरोपी सुरेश राजन पर भी माओवादी एक्टिविटी में सक्रिय होने का शक है. इस केस में सुनवाई के बाद हाई कोर्ट की खंडपीठ के जज पी एन प्रकाश और जज ए ए नक्किरन की खंडपीठ ने आरोपी की जमानत मंजूर कर ली. हालांकि खंडपीठ ने जमानत देते हुए यह शर्त रखी कि सुरेश राजन को ऐफिडेविट देकर संविधान की शपथ लेनी होगी.

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि सुरेश राजन विशेष अदालत में तमिल में एक हलफनामा देगा, जिस पर उसके हस्ताक्षर और अंगूठे का निशान होगा. इस हलफनामे में सुरेश राजन संविधान की शपथ लेगा कि वह माओवादी विचारधारा को नहीं मानता है. वह यह भी कहेगा कि वह हिंसा में भरोसा नहीं करता और भविष्य में संविधान को नुकसान पहुंचाने वाला कोई काम नहीं करेगा.

खंडपीठ ने इसके अलावा अन्य सामान्य शर्तें भी लगाईं. कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया है कि अगर वह इनमें से किसी का भी उल्लंघन करता है तो विशेष अदालत को जमानत रद्द करने का अधिकार है. रिपोर्ट के अनुसार एनआईए ने 8 जून, 2021 को मामले की जांच अपने हाथ में ली थी और सुरेश राजन को गिरफ्तार किया था. उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.

(भाषा)

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