लखनऊ : 20 वर्ष पहले हुए चर्चित कवियत्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड के दोषी उम्र कैदी की सजा काट रहे पूर्व मंत्री अमरमणि व पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को समय पूर्व रिहा किया जा रहा है. इस बाबत 24 अगस्त को शासन ने आदेश जारी कर दिया है. इस बीच मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने आदेश जारी होने से एक दिन पूर्व राष्ट्रपति को पत्र लिख अमरमणि को किसी भी प्रकार की राहत न देने का अनुरोध किया था. निधि का कहना कि अमरमणि व उसकी पत्नी ने 60 फीसदी से अधिक का समय जेल से बाहर अस्पताल में गुजारा है. ऐसे में इस कुख्यात अपराधी की सजा माफी नहीं होनी चाहिए.
अमरमणि व मधुमणि को समय से पूर्व रिहाई देने के बाबत सुप्रीम कोर्ट से 18 अगस्त आदेश हुआ था. इसके बाद शासन और मधुमिता की बहन ने दो अलग अलग चिट्ठियां लिखीं. 24 अगस्त को शासन ने दोनों की समय पूर्व रिहाई का आदेश जारी किया तो उससे एक दिन पहले मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने राष्ट्रपति को पत्र लिख अमरमणि और उसकी पत्नी मधुमणि की सजा माफ न करने की गुहार लगाई है.
अमरमणि ने हमेशा सजा का उड़ाया मजाक, अस्पताल में बिताए दिन : निधि
निधि शुक्ला ने राष्ट्रपति को पत्र लिखते हुए कहा है कि मैं मधुमिता की बहन निधि शुक्ला अवगत कराना चाहती हूं कि मेरी छोटी बहन मधुमिता जो भारत की नामचीन राष्ट्रीय कवियत्री थी. उसकी हत्या करवाने वाला दुर्दान्त माफिया जिस पर पहले से ही 33-33 गम्भीर मुकदमे विभिन्न जिलों में चल रहे हैं. ऐसे बाहुबली पूर्व मंत्री अमरमणी त्रिपाठी एवं मधुमणी त्रिपाठी को कतई सजा मुक्ति न प्रदान करें. क्योंकि अमरमणी व मधुमणि ने कोर्ट द्वारा दी गई उम्रकैद की सजा को भुगता ही नहीं बल्कि उसका मजाक उड़ाते हुए हमेशा अस्पताल में ही रहे हैं. अमरमणी के साथ ही उम्रकैद की सजा भुगत रही मधुमणी त्रिपाठी द्वारा सजा में राहत देने की याचिका विचारण करते हुए माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड ने इनके जेल प्रवास की जांच हेतु एक समिति गठित की थी. उस समिति ने अपनी रिपोर्ट में कोर्ट को बताया था कि यह उम्रकैदी 62 प्रतिशत समय जेल से बाहर रहे हैं. इस आधार पर न्यायालय ने इनकी याचिका रद्द कर दी थी. यानी कि यह न्यायालय द्वारा भी सिद्ध हो चुका है कि इन उम्रकैदियों ने अभी तक कोई सजा काटी ही नहीं है.
बता दें, करीब 20 वर्ष पहले 9 मई 2003 को राजधानी की पेपरमिल कॉलोनी में रहने वाली 7 माह की गर्भवती कवियत्री मधुमिता शुक्ला की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में पवन पांडे, संतोष राय के साथ तत्कालीन बसपा सरकार में मंत्री अमरमणि त्रिपाठी, पत्नी मधुमणि त्रिपाठी और भतीजे रोहित मणि त्रिपाठी को आरोपी बनाया गया था. पहले जांच पुलिस ने की फिर सीबीसीआईडी की 20 दिन की जांच के बाद सरकार ने केस CBI को सौंप दिया था. सीबीआई ने अपनी जांच में अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि को दोषी करार देते हुए अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था. मधुमिता की बहन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और केस को लखनऊ से दिल्ली या तमिलनाडु ट्रांसफर करने की अपील की. सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2005 में केस उत्तराखंड ट्रांसफर कर दिया. 24 अक्टूबर 2007 को देहरादून सेशन कोर्ट ने पांचों लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई. अमरमणि त्रिपाठी नैनीताल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गए, लेकिन सजा बरकरार रही. तब से ही वो गोरखपुर जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे थे.