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Macro Photography: तिरुपति के इनेश ने खींची दुर्लभ तस्वीरें, जानें क्या है उनकी चाहत

शुरूआती दिनों में दोस्तों ने कीड़-मकोड़ों की तस्वीरें खींचने के लिए उनका उपहास उड़ाया. वहीं, रिवार ने भी नौकरी पाने और बेहतर जीवन गुजारने का दबाव बनाया. लेकिन इस उत्साही युवक ने खुद के लिए वन्यजीव फोटोग्राफी (wildlife photography) का रास्ता चुना और कई पुरस्कार भी जीते.

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Published : Feb 26, 2022, 3:48 PM IST

अमरावती: तिरुपति के रहने वाले इनेश सिद्धार्थ (inesh siddharth) ऐसे फोटोग्राफर हैं, जिन्होंने मैक्रो फोटोग्राफी (Macro Photography) में कमाल किया है. इसके लिए वे कई दिनों तक जंगलों की खाक छानते रहे और धैर्यपूर्वक सही समय का इंतजार भी किया. उनके इस प्रयास ने नई पहचान दिलाई और वन्यजीव फोटोग्राफी (wildlife photography) में उन्होंने कई पुरस्कार जीते.

जब आज के समय में शिक्षा और नौकरी के चक्रव्यूह में फंसे अधिकांश युवा विभिन्न प्रकार के जीवित प्राणियों की मौजूदगी से अनजान हैं. शहर में रहने वाले युवा तितलियां, ड्रैगनफ्लाइज और मकड़ियों तक को नहीं जानते. ऐसे माहौल में भी सिद्धार्थ ने कीट-पतंगों की दुनिया को नये चश्मे से देखने और दुनिया को दिखाने की कोशिश की है.

तिरुपति के इनेश ने खींची दुर्लभ तस्वीरें

सिद्धार्थ ने अपनी स्कूली शिक्षा गृहनगर तिरुपति में पूरी की है और श्रीविद्यानिकेतन में बीएससी माइक्रोबायोलॉजी की पढ़ाई की है. बाद में उन्होंने शहर के एक निजी अस्पताल में लैब टेक्नीशियन के रूप में भी काम किया. इसी दौरान सिद्धार्थ ने स्पाई क्रिएशन्स द्वारा आयोजित एक फोटो वॉक में हिस्सा लिया और मैक्रो फोटोग्राफी के बारे में काफी कुछ सीखा. फिर सिद्धार्थ को इस विषय के प्रति लगाव पैदा हो गया. उन्होंने कीड़ों की दुर्लभ तस्वीरें खींचने के लिए जंगलों में लंबी यात्राएं शुरू कीं. दोस्तों और परिवार से हतोत्साहित करने वाली टिप्पणियों का सामना करने के बावजूद उन्होंने वह करना जारी रखा जो उन्हें सबसे ज्यादा पसंद था.

उन्होंने शेषचलम पहाड़ियों में कई दुर्लभ तितलियों और ड्रैगनफ्लाई की तस्वीरें खींची. कई तस्वीरें जिसमें कोबरा अपना फन फैला रहा है, ड्रैगनफ्लाई अपने पैरों से चेहरे का पानी पोंछ रही है, यह कुछ ऐसे अनमोल क्षण हैं, जिन्हें वे पकड़ने में कामयाब रहे. सीमित वित्तीय संसाधनों के बावजूद सिद्धार्थ मैक्रो लेंस वाला महंगा कैमरा नहीं खरीद पाए. फिर भी वे अपने फोन से काम करते रहे. उनका कहना है कि पैसा कमाना उनके लिए मुख्य मकसद नहीं है. इसके बजाय उनका लक्ष्य एक विशेष डोमेन में पहचान हासिल करना है, जिस कारण उन्होंने मैक्रो फोटोग्राफी को चुना है.

यह भी पढ़ें- विश्व फोटोग्राफी दिवस : डिजिटल हो गया जमाना, हर इंसान बन गया फोटोग्राफर

यह भी पढ़ें- फोटोग्राफी प्रतियोगिता में भारत को मिला स्थान, उज्जैन के कुलदीप को कांस्य पदक

अब सिद्धार्थ की तस्वीरों की तारीफ हो रही है. उनके कई शॉट्स के बीच लाल ड्रैगनफ्लाई की एक तस्वीर ने विशेष ध्यान आकर्षित किया है. सिद्धार्थ ने कहा कि शॉट को ठीक करने में उन्हें छह घंटे लगे क्योंकि ड्रैगनफ्लाई लगातार मंडरा रहा था. इस तस्वीर ने उन्हें वन्यजीव फोटोग्राफर के रूप में कई पुरस्कार दिलाए हैं. हालांकि प्रोफेशनल फोटोग्राफर के रूप में वे अपने कौशल के साथ जल्दी पैसा कमा सकते हैं लेकिन सिद्धार्थ मैक्रो वन्यजीव फोटोग्राफर के रूप में काम करना जारी रखना चाहते हैं. उनका उद्देश्य सर्वोत्तम छवियों को कैप्चर करना और नेशनल ज्योग्राफिक चैनल की तस्वीरों के समान काम करना है.

अमरावती: तिरुपति के रहने वाले इनेश सिद्धार्थ (inesh siddharth) ऐसे फोटोग्राफर हैं, जिन्होंने मैक्रो फोटोग्राफी (Macro Photography) में कमाल किया है. इसके लिए वे कई दिनों तक जंगलों की खाक छानते रहे और धैर्यपूर्वक सही समय का इंतजार भी किया. उनके इस प्रयास ने नई पहचान दिलाई और वन्यजीव फोटोग्राफी (wildlife photography) में उन्होंने कई पुरस्कार जीते.

जब आज के समय में शिक्षा और नौकरी के चक्रव्यूह में फंसे अधिकांश युवा विभिन्न प्रकार के जीवित प्राणियों की मौजूदगी से अनजान हैं. शहर में रहने वाले युवा तितलियां, ड्रैगनफ्लाइज और मकड़ियों तक को नहीं जानते. ऐसे माहौल में भी सिद्धार्थ ने कीट-पतंगों की दुनिया को नये चश्मे से देखने और दुनिया को दिखाने की कोशिश की है.

तिरुपति के इनेश ने खींची दुर्लभ तस्वीरें

सिद्धार्थ ने अपनी स्कूली शिक्षा गृहनगर तिरुपति में पूरी की है और श्रीविद्यानिकेतन में बीएससी माइक्रोबायोलॉजी की पढ़ाई की है. बाद में उन्होंने शहर के एक निजी अस्पताल में लैब टेक्नीशियन के रूप में भी काम किया. इसी दौरान सिद्धार्थ ने स्पाई क्रिएशन्स द्वारा आयोजित एक फोटो वॉक में हिस्सा लिया और मैक्रो फोटोग्राफी के बारे में काफी कुछ सीखा. फिर सिद्धार्थ को इस विषय के प्रति लगाव पैदा हो गया. उन्होंने कीड़ों की दुर्लभ तस्वीरें खींचने के लिए जंगलों में लंबी यात्राएं शुरू कीं. दोस्तों और परिवार से हतोत्साहित करने वाली टिप्पणियों का सामना करने के बावजूद उन्होंने वह करना जारी रखा जो उन्हें सबसे ज्यादा पसंद था.

उन्होंने शेषचलम पहाड़ियों में कई दुर्लभ तितलियों और ड्रैगनफ्लाई की तस्वीरें खींची. कई तस्वीरें जिसमें कोबरा अपना फन फैला रहा है, ड्रैगनफ्लाई अपने पैरों से चेहरे का पानी पोंछ रही है, यह कुछ ऐसे अनमोल क्षण हैं, जिन्हें वे पकड़ने में कामयाब रहे. सीमित वित्तीय संसाधनों के बावजूद सिद्धार्थ मैक्रो लेंस वाला महंगा कैमरा नहीं खरीद पाए. फिर भी वे अपने फोन से काम करते रहे. उनका कहना है कि पैसा कमाना उनके लिए मुख्य मकसद नहीं है. इसके बजाय उनका लक्ष्य एक विशेष डोमेन में पहचान हासिल करना है, जिस कारण उन्होंने मैक्रो फोटोग्राफी को चुना है.

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अब सिद्धार्थ की तस्वीरों की तारीफ हो रही है. उनके कई शॉट्स के बीच लाल ड्रैगनफ्लाई की एक तस्वीर ने विशेष ध्यान आकर्षित किया है. सिद्धार्थ ने कहा कि शॉट को ठीक करने में उन्हें छह घंटे लगे क्योंकि ड्रैगनफ्लाई लगातार मंडरा रहा था. इस तस्वीर ने उन्हें वन्यजीव फोटोग्राफर के रूप में कई पुरस्कार दिलाए हैं. हालांकि प्रोफेशनल फोटोग्राफर के रूप में वे अपने कौशल के साथ जल्दी पैसा कमा सकते हैं लेकिन सिद्धार्थ मैक्रो वन्यजीव फोटोग्राफर के रूप में काम करना जारी रखना चाहते हैं. उनका उद्देश्य सर्वोत्तम छवियों को कैप्चर करना और नेशनल ज्योग्राफिक चैनल की तस्वीरों के समान काम करना है.

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