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हैदराबाद में दो कोविड मरीजों के फेफड़े का सफल प्रत्यारोपण कर बचाई जान

कोरोना पॉजिटिव होने के बाद फेफड़े संक्रमित हो जाने से हैदराबाद में दो मरीजों के फेफड़े का प्रत्यारोपण करके उनकी जान बचाई गई. हालांकि यह प्रत्यारोपण काफी महंगा है लेकिन फिर भी शहर में 20 से 25 कोविड मरीजों के फेफड़े का प्रत्यारोपण किया जा चुका है. वहीं मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि हैदराबाद पहली पसंद बन गया है. उनका कहना है कि शहर में मुंबई या दिल्ली की तुलना में बेहतर चिकित्सा सुविधाएं हैं. पढ़िए पूरी रिपोर्ट..

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Published : Jul 14, 2021, 6:53 PM IST

Updated : Jul 14, 2021, 11:01 PM IST

फेफड़े का सफल प्रत्यारोपण
फेफड़े का सफल प्रत्यारोपण

हैदराबाद : हुबली की एक सरकारी डॉक्टर और इंदौर के एक युवक के कोरोना पॉजिटिव हो जाने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन दोनों रोगियों की तबीयत बिगड़ जाने के साथ ही उनके फेफड़े में संक्रमण हो गया. इस पर डॉक्टरों का मानना था कि फेफड़े का प्रत्यारोपण ही एकमात्र उपाय है. इसके बाद दोनों मरीजों को एयर एंबुलेंस से हैदराबाद लाया गया. यहां पर दोनों मरीज फेफड़े के प्रत्यारोपण की सर्जरी के बाद ठीक हो गए.

बताया जाता है राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. शारदा सुमन की 14 अप्रैल को कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. वहीं कोरोना के कारण उनके फेफड़े को काफी नुकसान हुआ था. चूंकि डॉ. शारदा गर्भवती थीं, इसलिए डॉक्टरों ने बच्चे को बचाने के लिए एक आपातकालीन सर्जरी की. लेकिन प्रसव के बाद उन्हें कोई फायदा नहीं होने पर ईसीएमओ (Extracorporeal membrane oxygenation) मशीन पर रखा गया. यह एक ऐसी मशीन है जो की शरीर से बाहर खून को निकालकर उसमें ऑक्सीजन मिला कर वापस से शरीर में पहुंचा देती है.

देखें वीडियो

20 से 25 कोविड रोगियों का हैदराबाद के विभिन्न अस्पतालों में हो चुका है फेफड़े का प्रत्यारोपण
वहीं एक विशेषज्ञ पैनल ने अंतिम उपाय के रूप में फेफड़ों के प्रत्यारोपण सर्जरी की सिफारिश की. इसके बाद पिछले हफ्ते, डॉ. शारदा को फेफड़ों के प्रत्यारोपण के लिए शहर के एक अस्पताल में ले जाया गया था. बता दें कि देश के विभिन्न हिस्सों के लगभग 20 से 25 कोविड रोगियों का हैदराबाद के विभिन्न कॉर्पोरेट और निजी अस्पतालों में फेफड़ों का प्रत्यारोपण किया जा चुका है.

इससे पहले इस तरह की सर्जरी के लिए चेन्नई एकमात्र जगह हुआ करती थी. हालांकि,अब मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि हैदराबाद पहली पसंद बन गया है. उनका कहना है कि शहर में मुंबई या दिल्ली की तुलना में बेहतर चिकित्सा सुविधाएं हैं.

जीवनदान ट्रस्ट की अंगदान को लेकर जागरूकता पैदा करने में अहम भूमिका
शहर में विशेषज्ञों की उपलब्धता से बड़ी संख्या में प्रत्यारोपण सर्जरी की जा रही है. इसीक्रम में जीवनदान ट्रस्ट अंगदान को लेकर जागरूकता पैदा करने में अहम भूमिका निभा रहा है. वहीं संभावित अंग प्राप्तकर्ताओं को पहले एनआईएमएस (NIMS) में पंजीकरण करना होगा. इसबीच यदि जीवनदान ट्रस्ट द्वारा ब्रेन डेड मरीजों की पहचान की जाती है तो वे मरीज के परिवार से अंगदान के बारे में बात करते हैं.

इतना ही नहीं अंगदान में पुलिस कर्मियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है. क्योंकि कम से कम समय में दूर-दराज के स्थानों से अंगों के परिवहन के लिए इनके द्वारा ग्रीन कॉरिडोर बनाया जाता है.

महंगी सर्जरी है फेफड़े का प्रत्यारोपण
हालांकि कोविड से पीड़ित होने के बाद कुछ मरीज फेफड़े के संक्रमण से पीड़ित हैं. इसमें महज 25 फीसदी मरीजों को वेंटिलेटर और ईसीएमओ (Extracorporeal membrane oxygenation) से लाभ हो सकता है. शेष अन्य के मामलों में फेफड़े का प्रत्यारोपण ही एकमात्र उपाय है. वहीं एक उपयुक्त दाता को खोजने में कठिनाई के साथ महंगी सर्जरी ने फेफड़ों के प्रत्यारोपण को कुछ चुनिंदा लोगों के लिए सुलभ बना दिया है.

चूंकि अलग-अलग लोगों में अलग-अलग लक्षण दिखते हैं, इसलिए डॉक्टरों का सुझाव है कि उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी पुरानी बीमारियों वाले लोगों को सतर्क रहना चाहिए. विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड से बचने के लिए टीकाकरण के अलावा सभी आवश्यक सावधानियों का पालन करना चाहिए.

जबतक कोविड आसपास है तबतक आवश्यक सावधानी बरतना जरूरी : डॉ. गोपाल कृष्ण गोखले
देश में फेफड़े के प्रत्यारोपण के इलाज में हैदराबाद अग्रणी है. चूंकि फेफड़े का प्रत्यारोपण काफी महंगा है. वहीं फेफड़े के प्रत्यारोपण के बाद 50 फीसदी मामलों में जीवित रहने की दर 5 साल तक होती है. जबकि केवल 10 फीसदी मामलों में 10 साल तक व्यक्ति के जीवित रहने की संभावना जताई गई है.

इस बारे में अपोलो अस्पताल के कार्डियो थोरैसिक सर्जन डॉ. गोपाल कृष्ण गोखले का कहना है कि हम फेफड़े के प्रत्यारोपण से गंभीर रूप से बीमार रोगियों को बचा सकते हैं. लेकिन जबतक कोविड आसपास है तबतक लोगों को आवश्यक सावधानियों का पालन करना चाहिए. साथ ही सभी लोगों को टीका लगवाना चाहिए.

हैदराबाद : हुबली की एक सरकारी डॉक्टर और इंदौर के एक युवक के कोरोना पॉजिटिव हो जाने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन दोनों रोगियों की तबीयत बिगड़ जाने के साथ ही उनके फेफड़े में संक्रमण हो गया. इस पर डॉक्टरों का मानना था कि फेफड़े का प्रत्यारोपण ही एकमात्र उपाय है. इसके बाद दोनों मरीजों को एयर एंबुलेंस से हैदराबाद लाया गया. यहां पर दोनों मरीज फेफड़े के प्रत्यारोपण की सर्जरी के बाद ठीक हो गए.

बताया जाता है राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. शारदा सुमन की 14 अप्रैल को कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. वहीं कोरोना के कारण उनके फेफड़े को काफी नुकसान हुआ था. चूंकि डॉ. शारदा गर्भवती थीं, इसलिए डॉक्टरों ने बच्चे को बचाने के लिए एक आपातकालीन सर्जरी की. लेकिन प्रसव के बाद उन्हें कोई फायदा नहीं होने पर ईसीएमओ (Extracorporeal membrane oxygenation) मशीन पर रखा गया. यह एक ऐसी मशीन है जो की शरीर से बाहर खून को निकालकर उसमें ऑक्सीजन मिला कर वापस से शरीर में पहुंचा देती है.

देखें वीडियो

20 से 25 कोविड रोगियों का हैदराबाद के विभिन्न अस्पतालों में हो चुका है फेफड़े का प्रत्यारोपण
वहीं एक विशेषज्ञ पैनल ने अंतिम उपाय के रूप में फेफड़ों के प्रत्यारोपण सर्जरी की सिफारिश की. इसके बाद पिछले हफ्ते, डॉ. शारदा को फेफड़ों के प्रत्यारोपण के लिए शहर के एक अस्पताल में ले जाया गया था. बता दें कि देश के विभिन्न हिस्सों के लगभग 20 से 25 कोविड रोगियों का हैदराबाद के विभिन्न कॉर्पोरेट और निजी अस्पतालों में फेफड़ों का प्रत्यारोपण किया जा चुका है.

इससे पहले इस तरह की सर्जरी के लिए चेन्नई एकमात्र जगह हुआ करती थी. हालांकि,अब मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि हैदराबाद पहली पसंद बन गया है. उनका कहना है कि शहर में मुंबई या दिल्ली की तुलना में बेहतर चिकित्सा सुविधाएं हैं.

जीवनदान ट्रस्ट की अंगदान को लेकर जागरूकता पैदा करने में अहम भूमिका
शहर में विशेषज्ञों की उपलब्धता से बड़ी संख्या में प्रत्यारोपण सर्जरी की जा रही है. इसीक्रम में जीवनदान ट्रस्ट अंगदान को लेकर जागरूकता पैदा करने में अहम भूमिका निभा रहा है. वहीं संभावित अंग प्राप्तकर्ताओं को पहले एनआईएमएस (NIMS) में पंजीकरण करना होगा. इसबीच यदि जीवनदान ट्रस्ट द्वारा ब्रेन डेड मरीजों की पहचान की जाती है तो वे मरीज के परिवार से अंगदान के बारे में बात करते हैं.

इतना ही नहीं अंगदान में पुलिस कर्मियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है. क्योंकि कम से कम समय में दूर-दराज के स्थानों से अंगों के परिवहन के लिए इनके द्वारा ग्रीन कॉरिडोर बनाया जाता है.

महंगी सर्जरी है फेफड़े का प्रत्यारोपण
हालांकि कोविड से पीड़ित होने के बाद कुछ मरीज फेफड़े के संक्रमण से पीड़ित हैं. इसमें महज 25 फीसदी मरीजों को वेंटिलेटर और ईसीएमओ (Extracorporeal membrane oxygenation) से लाभ हो सकता है. शेष अन्य के मामलों में फेफड़े का प्रत्यारोपण ही एकमात्र उपाय है. वहीं एक उपयुक्त दाता को खोजने में कठिनाई के साथ महंगी सर्जरी ने फेफड़ों के प्रत्यारोपण को कुछ चुनिंदा लोगों के लिए सुलभ बना दिया है.

चूंकि अलग-अलग लोगों में अलग-अलग लक्षण दिखते हैं, इसलिए डॉक्टरों का सुझाव है कि उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी पुरानी बीमारियों वाले लोगों को सतर्क रहना चाहिए. विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड से बचने के लिए टीकाकरण के अलावा सभी आवश्यक सावधानियों का पालन करना चाहिए.

जबतक कोविड आसपास है तबतक आवश्यक सावधानी बरतना जरूरी : डॉ. गोपाल कृष्ण गोखले
देश में फेफड़े के प्रत्यारोपण के इलाज में हैदराबाद अग्रणी है. चूंकि फेफड़े का प्रत्यारोपण काफी महंगा है. वहीं फेफड़े के प्रत्यारोपण के बाद 50 फीसदी मामलों में जीवित रहने की दर 5 साल तक होती है. जबकि केवल 10 फीसदी मामलों में 10 साल तक व्यक्ति के जीवित रहने की संभावना जताई गई है.

इस बारे में अपोलो अस्पताल के कार्डियो थोरैसिक सर्जन डॉ. गोपाल कृष्ण गोखले का कहना है कि हम फेफड़े के प्रत्यारोपण से गंभीर रूप से बीमार रोगियों को बचा सकते हैं. लेकिन जबतक कोविड आसपास है तबतक लोगों को आवश्यक सावधानियों का पालन करना चाहिए. साथ ही सभी लोगों को टीका लगवाना चाहिए.

Last Updated : Jul 14, 2021, 11:01 PM IST
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