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लॉटरी विक्रेता ने पेश की मिसाल, 6 करोड़ की बंपर राशि वाला टिकट मालिक को सौंपा

केरल में लॉटरी बेचने वाली महिला ने ईमानदारी की मिसाल पेश की है. उसने 6 करोड़ की लॉटरी निकलने के बाद भी टिकट को उसके मालिक को सौंप दिया.

लॉटरी विक्रेता
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Published : Mar 26, 2021, 10:37 PM IST

एर्नाकुलम : केरल की एक लॉटरी बेचने वाली महिला ने ईमानदारी की ऐसी मिसाल पेश की है, जिसे सुनकर सभी हैरान हो जाएंगे.

6 करोड़ की बंपर लॉटरी निकलने के बाद इस महिला ने टिकट को उसके मालिक के हवाले कर दिया. दिलचस्प यह है कि इस टिकट को नकद खरीदा भी नहीं गया था. इसके मालिक ने टिकट को उधार खरीदा था.

खास बात यह है कि राजगिरी अस्पताल के सामने लॉटरी टिकट बेचने वाली स्मिजा के पास 12 लॉटरी टिकट बचे थे. इस पर स्मिजा ने एक टिकट खरीदने के लिए चक्कमकुलंगरा के पलाचोटिल के पी.के. चंद्रन सहित अपने कई नियमित खरीदारों को बुलाया.

इसी दौरान फोन से बातचीत के बाद चंद्रन ने टिकट संख्या एसडी 316142 को चुना और वादा किया कि वह अगले दिन मिलने पर 200 रुपए की टिकट राशि का भुगतान कर देगा.

इसी बीच रविवार की शाम को स्मिजा को पता चला कि पहला पुरस्कार उस टिकट का निकला था जो उसने चंद्रन के लिए रखा था. इसके बाद स्मिजा और उनके पति राजेश्वरन ने चन्द्रन के घर पहुंचे और टिकट की कीमत के 200 रुपए लेने बाद उन्हें टिकट सौंप दिया.

पढ़ें : पुथुपल्ली विधान सभा : चुनावी लड़ाई में कौन होगा फेल कौन होगा पास

स्मिजा और उनके पति राजेश्वरन कक्कानाड सरकारी प्रेस के अस्थायी कर्मचारी थे, जो लॉटरी टिकट छापते थे. नौकरी छूटने के बाद उन्होंने लॉटरी बेचना शुरू कर दिया था.

एर्नाकुलम : केरल की एक लॉटरी बेचने वाली महिला ने ईमानदारी की ऐसी मिसाल पेश की है, जिसे सुनकर सभी हैरान हो जाएंगे.

6 करोड़ की बंपर लॉटरी निकलने के बाद इस महिला ने टिकट को उसके मालिक के हवाले कर दिया. दिलचस्प यह है कि इस टिकट को नकद खरीदा भी नहीं गया था. इसके मालिक ने टिकट को उधार खरीदा था.

खास बात यह है कि राजगिरी अस्पताल के सामने लॉटरी टिकट बेचने वाली स्मिजा के पास 12 लॉटरी टिकट बचे थे. इस पर स्मिजा ने एक टिकट खरीदने के लिए चक्कमकुलंगरा के पलाचोटिल के पी.के. चंद्रन सहित अपने कई नियमित खरीदारों को बुलाया.

इसी दौरान फोन से बातचीत के बाद चंद्रन ने टिकट संख्या एसडी 316142 को चुना और वादा किया कि वह अगले दिन मिलने पर 200 रुपए की टिकट राशि का भुगतान कर देगा.

इसी बीच रविवार की शाम को स्मिजा को पता चला कि पहला पुरस्कार उस टिकट का निकला था जो उसने चंद्रन के लिए रखा था. इसके बाद स्मिजा और उनके पति राजेश्वरन ने चन्द्रन के घर पहुंचे और टिकट की कीमत के 200 रुपए लेने बाद उन्हें टिकट सौंप दिया.

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स्मिजा और उनके पति राजेश्वरन कक्कानाड सरकारी प्रेस के अस्थायी कर्मचारी थे, जो लॉटरी टिकट छापते थे. नौकरी छूटने के बाद उन्होंने लॉटरी बेचना शुरू कर दिया था.

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