कुल्लू: देशभर में अयोध्या राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर उत्साह देखा जा रहा है. वहीं, जगह-जगह राम मंदिरों में श्रद्धालुओं द्वारा भजन कीर्तन किया जा रहा है. जहां देश भर में कई मंदिरों में भगवान श्री राम अपने भाइयों के साथ पूजे जाते हैं. वहीं, हिमाचल प्रदेश में प्रभु श्री राम की बड़ी बहन शांता का मंदिर है, जहां उनकी विधि विधान से पूजा की जाती है.
भगवान श्री राम की बड़ी बहन शांता का मंदिर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला के उपमंडल बंजार में स्थित है. यहां पर माता शांता अपने पति श्रृंगा ऋषि के साथ पूजी जाती है. धार्मिक मान्यता अनुसार श्रृंगा ऋषि ने ही राजा दशरथ का पुत्रेष्टि यज्ञ संपन्न कराया था. इसके बाद ही राजा दशरथ को राम, लक्ष्मण, शत्रुघ्न और भरत की प्राप्ति हुई थी. ऐसे में भगवान श्री राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह को लेकर जिला कुल्लू में भी भक्तों में उत्साह देखा जा रहा है.
![Lord Ram Sister Mata Shanta Temple in Himachal](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/09-01-2024/hp-kul-mata-shanta-img-7204051_09012024155208_0901f_1704795728_411.jpg)
देवता श्रृंगा ऋषि बंजार घाटी के आराध्य देवता है और अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में भी उनकी प्रमुख भूमिका है. देवता श्रृंगा ऋषि का मंदिर चेहनी के साथ लगते बागी नामक गांव में स्थित है और यहीं पर ही माता शांता की पाषाण मूर्ति भी स्थापित है. देवता श्रृंगा ऋषि का रथ जब इलाके की परिक्रमा पर निकलता है तो माता शांता भी चांदी की छड़ी के रूप में उनके साथ निकलती है और अपने भक्तों को सुख शांति का वरदान भी देती हैं. श्रृंगा ऋषि के मंदिर में भगवान राम से जुड़े हुए सभी त्यौहार भी धूमधाम के साथ मनाए जाते हैं और श्रृंगा ऋषि को भगवान श्री राम के गुरु होने का भी सौभाग्य प्राप्त है.
धार्मिक कथाओं के अनुसार एक बार रानी कौशल्या की बहन वर्षिनी और उसके पति राजा रोमपद अयोध्या आए. राजा रोमपद अंगदेश के राजा थे. राजा रोमपद और रानी वर्षिनी की कोई संतान नहीं थी. ऐसे में उन्होंने दुखी होकर यह बात कौशल्या और राजा दशरथ से कही. इस दौरान कौशल्या ने भी अपनी बहन वर्षिनी को यह वचन दिया कि उसकी जो भी पहली संतान होगी, उसे वह वर्षिनी को गोद दे देगी. इसी तरह से जब राजा दशरथ और रानी कौशल्या की पहली बेटी हुई तो उन्होंने अपनी बेटी शांता को वर्षिनी और राजा रोमपद को गोद दे दिया. राजा रोमपद और वर्षिनी ने ही शांता का पालन पोषण किया.
![Lord Ram Sister Mata Shanta Temple in Himachal](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/09-01-2024/hp-kul-mata-shanta-img-7204051_09012024155208_0901f_1704795728_378.jpg)
ऐसे में कहा जाता है कि एक बार एक ब्राह्मण राजा रोमपद के दरबार में आया और अपने लिए उसने राजा से मदद मांगी, लेकिन राजा रोमपद अपनी बेटी से बात करने में काफी व्यस्त रहे और उन्होंने ब्राह्मण की बात नहीं सुनी. ऐसे में वह ब्राह्मण काफी निराश हुआ और वह उस राज्य को छोड़कर चला गया. ब्राह्मण की अनदेखी के चलते देवराज इंद्र अंगदेश राज्य से नाराज हो गए और उनके राज्य में वर्षा नहीं हुई. जिसके चलते पूरे राज्य में सूखा पड़ गया.
ऐसे पर राजा रोमपद श्रृंगा ऋषि के पास पहुंचे और उन्होंने श्रृंगा ऋषि की मदद से देवराज इंद्र को प्रसन्न किया. उसके बाद पूरे राज्य में बारिश हुई और खेत खलिहान फसलों से भर गए. राजा रोमपद देवता श्रृंगा ऋषि से प्रसन्न हुए और उन्होंने उसके बाद अपनी बेटी शांता का विवाह भी श्रृंगा ऋषि से कर दिया. बाद में श्रृंगा ऋषि ने ही राजा दशरथ के लिए पुत्रेष्ठी यज्ञ का आयोजन किया था. उसके बाद ही राजा दशरथ को चार पुत्र हुए थे.
श्रृंगा ऋषि मंदिर की पुजारी जितेंद्र कुमार शर्मा का कहना है कि यहां पर देवता श्रृंगा ऋषि का मंदिर दशकों पुराना है और यह मंदिर बागी गांव में स्थित है. देवता श्रृंगा ऋषि बंजार घाटी के आराध्य देवता है और माता शांता की भी यहां पर रोजाना पूजा अर्चना की जाती है. ऐसे में राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह के अवसर पर श्रृंगा ऋषि के मंदिर में भी भजन कीर्तन का विशेष रूप से आयोजन किया जाएगा और दीए जलाकर इस प्रतिष्ठा समारोह को मनाया जाएगा.
![Lord Ram Sister Mata Shanta Temple in Himachal](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/09-01-2024/hp-kul-mata-shanta-img-7204051_09012024155208_0901f_1704795728_637.jpg)
देवी देवता कारदार संघ के महासचिव टीसी महंत का कहना है कि भगवान श्री राम के प्रति यहां लोगों में काफी श्रद्धा है और देवता श्रृंगा ऋषि को भगवान श्री राम के गुरु की उपाधि भी हासिल है. देवता श्रृंगा ऋषि के साथ माता शांता हमेशा साथ रहती है और छड़ी रूप में माता शांता लोगों को अपना आशीर्वाद प्रदान करती है.
हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ सूरत ठाकुर का कहना है कि देवता श्रृंगा ऋषि के भारत में काफी कम मंदिर हैं. जहां पर उनकी पत्नी शांता के साथ उनकी पूजा होती है. माता शांता भगवान श्री राम की सबसे बड़ी बहन थी और शादी के बाद में श्रृंगा ऋषि के साथ हिमालय में भी तपस्या करने के लिए आए थे. ऐसे में उपमंडल बंजार में भी इनका मंदिर स्थित है. जहां पर हजारों लोग इनकी पूजा अर्चना करते हैं.
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