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अयोध्या में मृत्यु के देवता यमराज की भी होती पूजा, देखिए यम मंदिर और जानिए महत्व

आपको जानकर हैरानी होगी कि भगवान राम की पावन जन्मभूमि अयोध्या में मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा होती है. चलिए जानते हैं इस मंदिर के बारे में.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 15, 2023, 12:11 PM IST

अयोध्याः रामनगरी अयोध्या को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है. वजह है कि इस प्राचीन नगरी में 5000 से अधिक छोटे-बड़े मंदिर हैं जिनमें भगवान श्री सीताराम के साथ ही हनुमानजी, शिवजी मां दुर्गा, स्वामी नारायण भगवान, भगवान जगन्नाथ, मां कामाक्षी तिरुपति बालाजी सहित अन्य देवी देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है. इस पौराणिक नगरी में एक ऐसा भी मंदिर है जहां मृत्यु के देवता यमराज को भी स्थान मिला है. यमराज को यह स्थान ऐसे ही नहीं मिला बल्कि अयोध्या देवी से प्राप्त आशीर्वाद के आधार पर उन्हें अयोध्या नगरी में सरयू तट के किनारे स्थान मिला था और आज यह स्थान एक तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध हो चुका है. इसे यम तीर्थ क्षेत्र भी कहा जाता है. यहां बुधवार को यम द्वितीया के मौके पर भक्तों ने बड़ी संख्या में पूजन-अर्चन किया.

अयोध्या का यम तीर्थ.


14 कोसी परिक्रमा मार्ग पर स्थित है यम तीर्थ क्षेत्र
अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा मार्ग के किनारे यमथरा घाट पर स्थित प्राचीन यम देवता के मंदिर पर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है. हालांकि वर्ष पर्यंत यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कम रहती है लेकिन यम द्वितीय के दिन यहां पर एक बड़ा मेला लगता है और बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं. राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि यम द्वितीया के दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा अर्चना करने से नर्क की महादशा से मुक्ति मिलती है. बहने अपने भाइयों की दीर्घायु के लिए आज यम देवता की पूजा करती हैं. अयोध्या में इसका विशेष महत्व है. दीपावली के पर्व की उत्पत्ति अयोध्या से ही हुई है और दीपावली के बाद ही यम द्वितीया का त्यौहार मनाया जाता है.

अयोध्या देवी ने यमराज को दिया था अयोध्या में स्थान
भगवान राम की नगरी में वैसे तो भगवान की पूजा रोज होती है,लेकिन एक दिन ऐसा भी है जो साल में एक बार यमराज के लिए भी आता है और उनकी भी पूजा होती है. काल देवता माने जाने वाले यमराज की पूजा दीपावली के तीसरे दिन यमद्वितीया को सरयू घाट के यमथरा घाट पर होती है. यहा पर भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर महाराज यमराज की तपोस्थली पर पूजा अर्चन कर खुद को भयमुक्त करने की कामना करते है.अयोध्या में प्राचीन मान्यताओं को संजोए हुए सरयू तट पर स्थित यमराज की तपोस्थली माने जाने वाले यमथरा घाट पर कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया के अवसर पर परंपरागत ढंग से यम द्वितीया का मेला लगता है और वहां पर महाराज यमराज की पूजा होती है.

मृत्यु भय से मुक्ति को यमराज की पूजा
प्रत्येक वर्ष यम द्वितीया पर सुबह से ही श्रद्धालु सरयू में स्नान कर दीर्घायु होने की कामना लेकर यमराज की पूजा अर्चना करते हैं. विशेषकर यम द्वितीया को बहनें व्रत रखकर अपने भाई के कल्याण और दीर्घायु होने की भी कामना लेकर यमथरा घाट पर स्नान और यमराज की पूजा अर्चना करतीं है. प्राचीन मान्यताओं के अनुसार यमराज ने इस तपोस्थली को अयोध्या माता से प्राप्त किया था और मान्यता है कि यमराज महाराज की पूजा-अर्चना करने वालों को यमराज से भय नहीं लगता हैं. इन्हीं कामनाओ को लेकर यमथरा घाट पर महाराज यमराज की पूजा अर्चना होती है.इसके साथ ही दिवाली में पूजा की गयी गणेश लक्ष्मी की मूर्ति को भी आज के दिन सरयू में विसर्जित भी करते है.

ये भी पढ़ेंः खटारा स्कूटर से जहाज तक का सफर: गोरखपुर से कारोबार की शुरुआत, 40 साल में खड़ी कर दीं 4500 कंपनियां

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अयोध्याः रामनगरी अयोध्या को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है. वजह है कि इस प्राचीन नगरी में 5000 से अधिक छोटे-बड़े मंदिर हैं जिनमें भगवान श्री सीताराम के साथ ही हनुमानजी, शिवजी मां दुर्गा, स्वामी नारायण भगवान, भगवान जगन्नाथ, मां कामाक्षी तिरुपति बालाजी सहित अन्य देवी देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है. इस पौराणिक नगरी में एक ऐसा भी मंदिर है जहां मृत्यु के देवता यमराज को भी स्थान मिला है. यमराज को यह स्थान ऐसे ही नहीं मिला बल्कि अयोध्या देवी से प्राप्त आशीर्वाद के आधार पर उन्हें अयोध्या नगरी में सरयू तट के किनारे स्थान मिला था और आज यह स्थान एक तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध हो चुका है. इसे यम तीर्थ क्षेत्र भी कहा जाता है. यहां बुधवार को यम द्वितीया के मौके पर भक्तों ने बड़ी संख्या में पूजन-अर्चन किया.

अयोध्या का यम तीर्थ.


14 कोसी परिक्रमा मार्ग पर स्थित है यम तीर्थ क्षेत्र
अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा मार्ग के किनारे यमथरा घाट पर स्थित प्राचीन यम देवता के मंदिर पर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है. हालांकि वर्ष पर्यंत यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कम रहती है लेकिन यम द्वितीय के दिन यहां पर एक बड़ा मेला लगता है और बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं. राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि यम द्वितीया के दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा अर्चना करने से नर्क की महादशा से मुक्ति मिलती है. बहने अपने भाइयों की दीर्घायु के लिए आज यम देवता की पूजा करती हैं. अयोध्या में इसका विशेष महत्व है. दीपावली के पर्व की उत्पत्ति अयोध्या से ही हुई है और दीपावली के बाद ही यम द्वितीया का त्यौहार मनाया जाता है.

अयोध्या देवी ने यमराज को दिया था अयोध्या में स्थान
भगवान राम की नगरी में वैसे तो भगवान की पूजा रोज होती है,लेकिन एक दिन ऐसा भी है जो साल में एक बार यमराज के लिए भी आता है और उनकी भी पूजा होती है. काल देवता माने जाने वाले यमराज की पूजा दीपावली के तीसरे दिन यमद्वितीया को सरयू घाट के यमथरा घाट पर होती है. यहा पर भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर महाराज यमराज की तपोस्थली पर पूजा अर्चन कर खुद को भयमुक्त करने की कामना करते है.अयोध्या में प्राचीन मान्यताओं को संजोए हुए सरयू तट पर स्थित यमराज की तपोस्थली माने जाने वाले यमथरा घाट पर कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया के अवसर पर परंपरागत ढंग से यम द्वितीया का मेला लगता है और वहां पर महाराज यमराज की पूजा होती है.

मृत्यु भय से मुक्ति को यमराज की पूजा
प्रत्येक वर्ष यम द्वितीया पर सुबह से ही श्रद्धालु सरयू में स्नान कर दीर्घायु होने की कामना लेकर यमराज की पूजा अर्चना करते हैं. विशेषकर यम द्वितीया को बहनें व्रत रखकर अपने भाई के कल्याण और दीर्घायु होने की भी कामना लेकर यमथरा घाट पर स्नान और यमराज की पूजा अर्चना करतीं है. प्राचीन मान्यताओं के अनुसार यमराज ने इस तपोस्थली को अयोध्या माता से प्राप्त किया था और मान्यता है कि यमराज महाराज की पूजा-अर्चना करने वालों को यमराज से भय नहीं लगता हैं. इन्हीं कामनाओ को लेकर यमथरा घाट पर महाराज यमराज की पूजा अर्चना होती है.इसके साथ ही दिवाली में पूजा की गयी गणेश लक्ष्मी की मूर्ति को भी आज के दिन सरयू में विसर्जित भी करते है.

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