मुंबई: गणेश चतुर्थी की धूम पूरे देश में मची है. शुक्रवार से शुरू हुए इस पर्व को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है. बता दें, महाराष्ट्र में बंगाली मूर्तिकार गणेश भगवान की मूर्तियां बना रहे हैं. इनके द्वारा बनाई गई भगवान गणेश की मूर्तियां मध्य प्रदेश में भी स्थापित होंगी. जानकारी के मुताबिक ये सभी मूर्तियां बंगाली मिट्टी से बनाई जा रही हैं.
आपको बता दें कि गजानन की मूर्तियां नारियल, अखबार, चॉकलेट, सोने और चांदी से भी बनती हैं, लेकिन क्या आपने कभी साबूदाने से भगवान गणेश की मूर्ति बनाने के बारे में सुना है. जी हां, जलगांव में एक बंगाली मूर्तिकार ने नायलॉन के साबूदाने से 5 फीट की आकर्षक गणेश प्रतिमा बनाई है. यह मूर्ति आकर्षण का केंद्र है. इस मूर्तिकार का नाम रामकृष्ण सचगोपाल पाल (उम्र 41) है. रामकृष्ण पाल कोलकाता, पश्चिम बंगाल के मूल निवासी हैं.
जानकारी के मुताबिक रामकृष्ण पाल पीढ़ियों से मूर्तिकार रहे हैं. वह पिछले 15 साल से जलगांव में तरह-तरह की मूर्तियां बनाते आ रहे हैं. उनके साथ उनके 10 से 12 अन्य शिल्पकार भी मूर्तिकला पर काम करते हैं. रामकृष्ण पाल हर साल गणेशोत्सव के लिए अलग-अलग विचारधाराओं पर गणेश प्रतिमाएं बनाते हैं. इस साल भी उन्होंने ऐसी ही एक विचारधारा को लेकर मूर्तियां बनाई हैं. इससे पहले वह चाय की पत्ती, मूंगफली, काजू, बादाम, बिस्कुट, नारियल और विभिन्न फलों से गणेश की मूर्तियां बना चुके हैं. पिछले साल मध्य प्रदेश के खेतिया के एक गणेश मंडल ने उनसे नारियल की गणेश प्रतिमा खरीदी थी. इस वर्ष गणेश मंडल के भक्तों ने उनसे थोड़ी अलग अवधारणा पर गणेश की मूर्ति बनाने का अनुरोध किया था.
रामकृष्ण पाल के मुताबिक नायलॉन के साबूदाने से गणेश की मूर्तियां बनाई गई हैं. उन्होंने कहा कि गणेश की इन मूर्तियों को बनाने में 20 दिन लगे. इस संबंध में ईटीवी भारत से उन्होंने कहा कि इस मूर्ति के लिए विशेष रूप से पश्चिम बंगाल से मिट्टी और घास लाई गई थी. मिट्टी से मूर्ति बनाने के बाद, उस पर नायलॉन साबूदाना चिपकाया जाता है. मूर्ति को 50 किलो साबूदाना की आवश्यकता होती है. जब मूर्ति ने आकार लिया तो उसको भारतीय तिरंगे का आकर्षक रंग दिया गया. सजावट के लिए विभिन्न रंगों और आकृतियों के मोतियों और आभूषणों का उपयोग किया गया.
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रामकृष्ण पाल द्वारा बनाई गई इस मूर्ति की ऊंचाई 5 फीट है. उसका वजन करीब 5 क्विंटल है. रामकृष्ण पाल ने बताया कि मूर्ति को खेतिया में गणेश मंडल ने 15,000 रुपये में खरीदा है. मूर्तिकार के धंधे पर पिछले दो साल से कोरोना का असर पड़ रहा है, जिससे बड़ी दिक्कतें हो रही हैं. कोरोना ने कारोबार ठप कर दिया है इसलिए हम भूखे मर रहे हैं. इस साल हमने केवल 30 मूर्तियां बनाई हैं. इनमें से 15 मूर्तियों को बुक किया गया था. शेष मूर्तियां अभी भी बची हैं.
उन्होंने कहा कि जहां एक ओर कच्चा माल महंगा है, वहीं दूसरी ओर कोरोना से बनी मूर्तियों को ग्राहक नहीं मिल रहे हैं जो कि बुरी स्थिति है. ऐसे में मूर्ति बनाने का खर्चा नहीं आएगा.