नई दिल्ली : लोकपाल को वर्ष 2020-21 के दौरान कम से कम 110 शिकायतें मिलीं, जिनमें से चार सांसदों के खिलाफ थीं. हालांकि, यह संख्या 2019-20 में प्राप्त 1,427 शिकायतों के मुकाबले करीब 92 फीसदी कम रही. लोकपाल के आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में प्राप्त 12 शिकायतों में से आठ समूह ए अथवा बी स्तर के अधिकारियों के खिलाफ थीं.
इसके मुताबिक, दो शिकायतों को शुरुआती जांच के बाद बंद कर दिया गया जबकि तीन शिकायतों में अभी केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के पास जांच लंबित है. वहीं, एक शिकायत में सीबीआई से स्थिति रिपोर्ट मिलने का इंतजार है. भ्रष्टाचार-रोधी कार्यकर्ता अजय दूबे (Anti-corruption activist Ajay Dubey) ने कहा कि अगर लोकपाल द्वारा भ्रष्टाचार के पिछले मामलों में कार्रवाई की गई है, तो उसे अभियोजन का विवरण साझा करना चाहिए.
उन्होंने कहा, 'दो साल से अधिक समय से लोकपाल कार्य कर रहा है. लोकपाल को उसके द्वारा प्राप्त भ्रष्टाचार की शिकायतों से संबंधित अभियोजन का विवरण सार्वजनिक करना चाहिए.' दूबे ने लोकपाल में रिक्त दो सदस्यों के पदों को जल्द से जल्द भरे जाने की भी केंद्र सरकार से अपील की है.
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने 23 मार्च, 2019 को न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष को लोकपाल के अध्यक्ष के रूप में शपथ दिलाई थी. बता दें कि लोकपाल प्रधानमंत्री सहित सार्वजनिक पदाधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने के लिए शीर्ष निकाय है.
(पीटीआई-भाषा)